थांग य्वान
थांग य्वान चीन के विशेष हलवों में से एक है जिस का बहुत पुराना इतिहास है। कहा जाता है कि थांग य्वान सुंग राजवंश से शुरू हुआ था। उस समय विभिन्न स्थलों में एक नया पकवान लोकप्रिय होने लगा, जिस का अंदर विभिन्न मेवों से बनायी गयी भराई थी और बाहर चेपदार चावल से बनायी गयी लोई थी। उबले पानी में पकाए जाने के बाद थांग य्वान बहुत सुगंधित और स्वादिष्ट लगता है। चूंकि उबालते समय वे पॉट में ऊपर आते और नीचे जाते हैं, इसलिए पहले लोग थांग य्वान को"फ़ू य्वान ज़"कहते थे। बाद में कुछ क्षेत्रों में लोग इसे"य्वान श्याओ"कहने लगे। दक्षिण चीन के अधिकांश लोगों में वसंतोत्सव की सुबह एक साथ मिलकर थांग य्वान खाने की पारंपरिक रीति है। कहा जाता है कि य्वान श्याओ मेलमिलाप का प्रतीक है। इसे खाने से लोगों को उम्मीद है कि परिवार के सदस्य कभी भी नहीं जुदा होंगे, हर क्षेत्र में मेलमिलाप होगा और सुखचैन होगा।
वास्तव में अब य्वान श्याओ व थांग य्वान दो अलग किस्मों के पकवान हैं, जो अलग अलग तौर पर उत्तरी चीन व दक्षिणी चीन में प्रचलित हैं।
पेइचिंग में य्वान श्याओ भराई के आधार पर बनाये जाते हैं। भराई को जोर से हिलाने के बाद वह एक बड़ा गोलाकार टुकड़ा बनता है। ठंडा करने के बाद टेबिल टेनिस बॉल से थोड़े छोटे क्यूब में काटे जाते हैं। इसतरह य्वान श्याओ का बाहरी चेपदार चावल आटा बहुत पतला व सूखा है। पानी में उबलते समय आटा पानी का अवशोषण करके लेई बनेगा और पक जाएगा।
दक्षिणी चीन में थांग थ्वान अलग तरीके से बनाये जाते हैं, जो चाओज़ी (डाम्पलिंग) की तरह बनाये जाते हैं। सर्वप्रथम चेपदार चावल आटे में पानी मिलाकर डाम्प्लिंग बनाये जाते हैं। फिर विभिन्न प्रकार की भराइयों को अच्छी तरह मिलाकर एक कटोरे में रखा जाता है। थांग थ्वान की भरवां में पानी य्वान श्याओ से ज़्यादा होता है, यह दोनों का प्रमुख अंतर है। थांग थ्वान चाओज़ी की तरह बनाये जाते हैं, लेकिन लोई को बेलने की ज़रूरत नहीं है। नम चेपदार चावल आटा आराम से चिपकाया जा सकता है। इसलिए लोग कुछ नम चेपदार चावल आटे को हाथ से राऊंड स्लाइसर बनाये जाते हैं, फिर चॉपस्टिक से भराई को स्लाइसर पर रखा जाता है। अंत में दोनों हाथों की मदद में लोई को जोड़ कर थांग य्वान का रूप दिया जाता है। थांग य्वान देखने खाने में मुलायम और चेपदार है, कुछ के ऊपर एक आड़ू रूप का छोटा गांठ भी है। थांग थ्वान में पर्याप्त पानी होने की वजह से बहुत चिपचिपा व रसदार है, इसे मुश्किल से सुरक्षित रखा जा सकता है। इसलिए बनाने के तुरंत बाद पका करके खाना तो अच्छा होगा।