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    चीन की पारम्परिक बुनाई
    2015-02-09 17:05:29 cri

    चीन की अधिकांश अल्पसंख्यक जातियों के लोग सुदूर सीमावर्ती पहाड़ी इलाकों में रहते हैं। सदियों से वे अपने-अपने तरीके से खुद ही कपड़े बुनते और पोशाक तैयार करते हैं। दक्षिण-पश्चिम चीन में स्थित हानि जाति की महिलाएं चरखा के बजाए पुरानी काष्ठ तकली से धागा कातती हैं। यह काष्ठ तकली छोटी व हल्की होती है। महिलाएं इसे अपने पास रखती हैं और काम पर जाने व वापस घर आने के समय रास्ते में भी इससे धागे कातती हैं।

    युननान प्रांत की फिडंप्येन काउन्टी में स्थित म्याओ जाति की महिलाएं बांस से बने एक सरल चरखे का प्रयोग करती हैं, जिसे पांव से चलाया जाता है। इससे एक बार में चार धागे काते जा सकते हैं। एक कुशल महिला तो दिन भर में इससे पांच किलोग्राम के पटसन सूत तैयार कर सकती है।

    सूत को पहले रंगों में करके धूप में सुखाया जाता है, फिर पोशाक और कमरे के साज-सामान के लिए विविध प्रकार के कपड़े तैयार किये जाते हैं। बहुत पहले दक्षिण चीन में हाएनान द्वीप पर स्थित ली जाति के लोगों ने बुनने का एक ऐसा तरीका निकाला, जिसमें रंगना व फूलदार डिजाइन बुनना शामिल है। वहां की महिलाओं को जब भी फुरसत मिलती है, घर के बाहर नारियल पेड़ की शीतल छाया में बैठकर बुनने का काम करती हैं। ली जाति के लोगों में एप्रन बुनने के लिए एक अतिसरल उपकरण "कमर करघा"प्रचलित है। जब महिलाएं बुनती हैं, वे ताना दंड के एक छोर को पांव से दबाकर और दूसरे छोर को कमर में बांधकर भरनी से बना पिरोती हैं।

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