अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने हाल में भारत की राजकीय यात्रा समाप्त की। कुछ पश्चिमी मीडिया ने कहा कि अमेरिका ने भारत को चीन का"नियंत्रण और रोकथाम"करने की अहम जिम्मेदारी सौंपी है। चीनी सरकारी अखबार जन दैनिक ने 2 फरवरी को टिप्पणी लेख प्रकाशित कर कहा कि कुछ विदेशी मीडिया का कथन वर्तमान स्थिति के अनुकूल नहीं है। चीन भारत सहयोग अपने-अपने वास्तविक विकास स्थिति के आधार पर आपसी लाभ और समान जीत का विवेकपूर्ण विकल्प है।
लेख में कहा गया कि वर्तमान में एशिया के ढांचे में चीन, भारत और आसियान समेत नवोदित बाज़ार आर्थिक समुदायों के उत्थान से परिवर्तित हो रहा है। इसे केंद्र बनाते हुए हरेक भागीदारों ने विवेकपूर्ण ढंग से सहयोग और समान जीत वाले रास्ते को चुना। न कि प्रतिद्वंदी, नियंत्रण और रोकथाम के। ऐसी पृष्ठभूमि में एशिया और प्रशांत क्षेत्र में अहम शक्ति के रूप में अमेरिका एशिया में किस तरीके से कितनी शक्ति के साथ अपनी मौजूदगी बनाए रखेगा?वह क्षेत्रीय विकास की धारा से नहीं बच सकता। एशिया की स्थिति का अनुकूल होना अमेरिका केलिए एकमात्र रास्ता है। इसके उसे स्थाई लाभ मिलेगा।
लेख में यह भी कहा गया कि चीन के विकसित अनुभव से जाहिर है कि बड़ी जनसंख्या, औद्योगिक वितरण विस्तार और कठोर बुनियाद वाले विकासशील देश के रूप में चीन की वृद्धि आसपास के क्षेत्र और वैश्विक अर्थतंत्र के लिए लाभदायक होगी। चीन विश्व आर्थिक विकास का प्रमुख इंजन बन गया है। भारत की अर्थव्यवस्था और तेज़ गति से आगे बढ़ेगी। अगर भारत और चीन समान गति से विकसित हुए, तो एशिया का उत्थान जल्द ही होगा।
लेख में कहा गया कि क्षेत्रीय बड़े देशों के बीच सकारात्मक संवाद इस क्षेत्र में विभिन्न देशों के बीच आपसी विश्वास और सहयोग की मज़बूती के लिए मददगार साबित होगा। साथ ही क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए भी लाभदायक होगा। इस क्षेत्र की जनता को आशा है कि अमेरिका और भारत शांति और विकास का संकेत देंगे। तीसरे पक्ष के जरिए संबंधों का संतुलन करने वाले तथाकथित रणनीतिक विकल्प से दोनों पक्षों को नुकसान पहुंचेगा। जबकि स्वयं के विकास के लिए भी बाधक होगा। (श्याओ थांग)