एक उल्लू सीधे बैठा है। एक छोटी चिड़िया उसके सिर पर और दूसरी चिड़िया उसकी पूंछ पर पंख फैलाए बैठी हैं। यह जीती-जागती उल्लू रूपी कांस्य-कलाकृति 1976 के वसंत में हनान प्रांत के आनयाडं शहर के यिनश्वी उपनगर के फू हाओ मकबरे से खोदकर निकाली गई थी।
मध्य चीन के हनान प्रांत के आनयाडं के उपनगर में स्थित मकबरे का स्थल 3000 साल पहले पेमुडं अथवा यिन के नाम से प्रख्यात एक समृद्ध शहर था। यिन काल फान कडं(शाडं वंश का बीसवां राजा) द्वारा राजधानी उठाकर यिन ले जाने के समय से शाडं वंश (ईस्वीं पूर्व 16वीं-11वीं शताब्दी) के अंतिम 200 साल तक का काल था। ईस्वीं पूर्व 11वीं शताब्दी में पश्चिमी चओ वंश(ईस्वीं पूर्व 11वीं से 771वीं शताब्दी तक) के प्रथम राजा ऊ ने चो(शाडं वंश का अंतिम राजा) के विरुद्ध दंडस्वरूप युद्ध छेड़ दिया। यिन राजधानी पर कब्जा कर लिया गया। यह खंडहर हो गई और धीरे धीरे शताब्दियों के गुजरने पर विस्मृत हो गई।
19वीं शताब्दी के अन्त में आनयाडं में बड़ी संख्या में अस्थि-अक्षर प्राप्त हुए जिन से फिर से लोगों का ध्यान इस शहर की ओर खिंचा। बाद में यहां अनेक कीमती सांस्कृतिक अवशेष प्रकाश में आए। यिन खंडहर ने अनेक चीनी व विदेशी पुरातत्ववेत्ताओं को आकर्षित किया।
क्वोमिन्ताडं प्रतिक्रियावादियों के शासन-काल में साम्राज्यवादियों ने चीन के सांस्कृतिक अवशेष के खजाने को खूब लूटा। बड़ी संख्या में सांस्कृतिक अवशेष और जमीन में गाड़ी गई चीज़ें चुराकर विदेश ले जाए गए।
नये चीन की स्थापना के बाद राज्य-परिषद ने यिन खंडहरों को सरकारी सुरक्षा में रखा। चीनी विज्ञान अकादमी के पुरातत्व विज्ञान प्रतिष्ठान ने तफसील से अनुसंधान व खुदाई के लिए एक केंद्र स्थापित किया।