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    भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश के ऊंटों के जन्मस्थान का दौरा
    2014-07-21 10:06:18 cri

    ऊंटों के साथ बडे परवान होने वाले बुजुर्ग मंग को ऊंटों से विशेष लगाव है। उन्हों ने उंटों की प्रशंसा में कहा कि ऊंट मानवता से खूब परिचित हैं। अपनी बारह साल की उम्र में एक दिन की रात को जब वे ऊंटों को चेराने दूर जाकर रेगिस्तान में सो रहे थे, अचानक भीणष तूफान आयी , तो इस नाजुक घड़ी में एक ऊंट ने तूफान से बचने के लिये उन्हें अपने लम्बे लम्बे बालों के नीचे घूसने दिया। ऊंट अपने घर से बहुत प्यार करते हैं, हर बार जब वे घर से कहीं बाहर के लिये रवाना हो जाते हैं, तो वे बारंबार चीख पुकारते हैं, जब बाहर से घर वापस लौटते हैं , तो वे थकावट होने पर भी प्रसन्नता से डग भरते हैं। ऊंट दिशा पहचानने में सक्षम हैं। बुजुर्ग मंग ने कहा कि यदि कोई भी ऊंट अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर कई सौ किलोमीटर की दूरी पर ले जाता है, तो वह अपने आप घर वापस लौट सकता है। वे अनेक सालों तक कहीं बाहर रहने पर भी अपनी संतानों के साथ मालिक के घर वापस लौटने में भी समर्थ हैं।

    इस के अतिरिक्त ऊंट तूफान या संकट की भाविष्यवाणी करने में सक्षम भी हैं। अराशान जिले में रहने वाले चरवाहे सुबुल ने भावविभोर होकर ऊंटों की चर्चा में कहा,तूफानी वर्षा या संकट आने पर ऊंट अपने मालिकों को दिलाने के लिये लगातार आवाजें उठाता है। यदि दुर्भाग्य से अपने नन्हें बच्चे को खोया गया है, तो वह बिना खाये पीये अपने मृत बच्चे के पास सात आठ दिन रात बैठा हुआ है।

    अराशान वासी अपने परिजनों की तरह ऊंटों के साथ व्यवहार करते हैं। यदि कोई ऊंट बीमार पड़ता है या लापता होता है , तो वे अत्यंत बेचैन हो जाते हैं। साथ ही वे अपने बच्चों को ऊंट पालने की जानकारियां बताते हैं। इतना ही नहीं, वे बड़े प्यार से अपने ऊंट के रंग , मिजाज व बालों की विशेषताओं के हिसाब से नाना प्रकार वाला सुंदर नाम भी रख देते हैं।

    कभी कभार मादा ऊंट बच्चे का जन्म देने में आयी दिक्कतों की वजह से नन्हे ऊंट को छोड़ देती है, तो ऐसी स्थिति में स्थानीय चरवाहे उसे दूध पिलाओ नामक गीत गाते हैं। यह गीत सुनते सुनते मादा ऊंट भाव विभोर होकर आंसू बहाती है, फिर धीरे धीरे अपने नन्हें बच्चे को दूध पिलाने लग जाती है और इसी वक्त से अपने बच्चे को कभी भी नहीं वियोग नहीं करती। अजीना जिले के चरवाहे कनतंग ने पहले तीन सौ ऊंटों को पाला था और बहुस से ऊंटों को दूध पिलाओ नामक गीत गाये।

    उन्हों ने कहा कि नन्हा ऊंट बाल बच्चे की ही तरह भूख लगने पर रो पड़ता है, यदि मादा ऊंट उसे दूध पिलाने से इनकार करती है , तो मालिक को उसे दूध पिलाओ नाम का गीत सुनाना आवश्यक है। फिर मादा ऊंट यह गीत सुनते सुनते अपने बच्चे को स्नेह से चुमकर दूध पिलाने से राजी हो जाती है।

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