देवता और पूर्वज
प्राचीन काल में बेहतरीन कलात्मक वस्तुओं को धार्मिक वेदियों के लिए सुरक्षित रखा जाता था। रिवाज के अनुसार उत्कृष्ट देवी को खुश करने के लिए हुडंशान जनता धरती के प्रति कृतज्ञता प्रकट करती थी और नई फसल के लिए पूजा करती थी। हुडंशान जनता देवताओं तथा पूर्वजों की पूजा करने में जीववाद और टोटमवाद से कई गुना आगे थी।
देवताओं की पूजा की जड़ें एक विशेष वर्ग के लोगों की पूजा से संबद्ध थी। जबकि प्रस्तर मकबरे से कुछ दूरी पर स्थित छोटे और मध्यम आकार के मकबरों में बहुत कम वस्तुएं मिलीं या बिल्कुल ही नहीं मिलीं, दूसरे मकबरों में अलंकृत जेड वस्तुएं जैसे बकसुएं, हार, नक्काशीदार सुअर व ड्रैगन आदि रखे गए थे। नम्बर 2 बड़ा मकबरा 300 वर्ग मीटर क्षेत्र में परिष्कृत पालिश युक्त पत्थरों से निर्मित किया गया था। इस के अन्दर एक वर्गाकार पथरीला कक्ष तथा तहखाना है। अफसोस की बात है कि प्राचीन काल में ही इस मकबरे की चीज़ें चुरा ली गई। यह मकबरा पहाड़ की चोटी के एक टीले पर निर्मित किया गया, यह इस बात का सूचक है कि दिवंगत पदाधिकारी मृत्यु के बाद भी शक्ति और प्रतिष्ठा भोगते थे। इस से यह जाहिर होता है कि वह समाज एक साधारण समुदायी जीवन-यापन की तुलना में काफी ज्यादा विकसित था। लेकिन किसी और संस्कृति से भव्य हुडंशान संस्कृति एक विकसित संस्कृति का प्रमाण है। प्रसिद्ध पुरातत्ववेता प्रोफेसर सू पिडंछी ने कहा, इस खुदाई से प्राप्त बलिवेदी, देवी मन्दिर और पत्थर के मकबरे उत्तरी चीन की उच्च प्रागैतिहासिक संस्कृति का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं और उन से 5000 वर्ष पहले की हुडंशान सभ्यता की शुरुआत का आभास मिलता है।