ल्याओनिडं प्रांत में पाए गए एक देवी मंदिर, एक बलिवेदी तथा प्रस्तर मकबरों के एक समूह से यह सिद्ध हुआ कि चीनी सभ्यता कोई 5000 वर्ष पुरानी थी, न कि 4000 वर्ष पुरानी और यह ह्वाडंहो(पीली नदी) से ल्याओहो नदी घाटी तक फैली हुई है।
आधुनिक अकादमिक प्रवृत्तियां इस बात को मान्यता दे रही हैं कि ई.पू. 21वीं शताब्दी में चीन में वर्ग समाज के साथ साथ ही श्या राजवंश की शुरूआत हुई, हालांकि चीन की प्रारंभिक संस्कृति प्राचीन ईजिप्ट और भारत की संस्कृतियों तथा टाईग्रिस और यूफराटस नदी सभ्यताओं से कोई 1000 से 1500 वर्ष बाद की है। कुछ इतिहास कारों का दावा है कि चीनी सभ्यता का उद्गम और भी पुराना है, तथाकथित पौराणिक काल तक का, लेकिन पुरातात्विक प्रमाण से इस वक्तव्य का कोई सबूत नहीं है।
हुडंशान संस्कृति
कोई 5000 या 6000 वर्ष पहले कृषक जनता शील्याओहो नदी-घाटी, जो आज का भीतरी मंगोलिया स्वायत प्रदेश है, में वास करती थी। वे रंगीन और टेढ़े-मेढ़े नमूनों वाले मृदापात्न, खपचीनुमा पालिश किए पत्थर के कृषि-औजार तथा उत्तम पत्थर-कटाई और खुरचन-औजार बनाते थे। शोधकर्ताओं का एक बार ऐसा सोचना था कि हुडंशान संस्कृति, जैसा कि माना जाता रहा है, ह्वाडंहो नदी-घाटी में स्थित थाडंशाओ संस्कृति से प्रभावित थी। लेकिन यह मत 1970 वाले दशक में हुडंशान संस्कृति से प्राप्त जेड वस्तुओं की बारीक जांच के बाद अतर्कसंगत साबित हुआ। इन में अनेक जेड निर्मित पशु-जैसे सुअर, बाघ, कछुए, मछली, पक्षी तथा टिड्डा शामिल थे जो याडंशाओ संस्कृति की वस्तुओं में नहीं मिले। अब तक प्राप्त सर्वप्रथम वृहत जेड ड्रैगन भी हुडंशान के शिल्पियों द्वारा निर्मित किया गया था, इस के चलते वैज्ञानिकों में आश्चर्य की लहर दौड़ी कि क्या हुडंशान संस्कृति जैसा कि वे मानते थे, उस से कहीं ज्यादा विकसित थी।
1980 वाले दशक में ल्याओनिडं प्राप्त की खच्चो काउन्टी के तुडंशानच्वेइ क्षेत्र में हुडंशान संस्कृति का पैतृक पूजा स्थल प्रकाश में आया। यहां बड़े-बड़े पत्थरों से एक गोल वेदी बनी हुई थी तथा नजदीक ही नग्न नारी पुराना है।
इस मंदिर में देवताओं का एक पूरा संसार अटा पड़ा है। ऊपर की मिट्टी हटाने पर छै आदमकद मानव प्रतिमाएं प्रकाश में आई। मुख्य कक्ष में खुदाई से प्राप्त मूर्तियों के कानों और नाकों का साइज सामान्य आदमी का तिगुना है। देवी की मूर्ति के सिर की आकृति आधुनिक काल के उत्तरी चीनियों से मिलती जुलती है, संपूर्ण प्रतिमाओं में विस्तार और वास्तविक शैली का एक असाधारण समन्वय है। ड्रैगन, पक्षियों तथा बांहों, हाथों, कानों, नाकों तथा वक्ष के अलग-अलग भागों से यह सिद्ध होता है कि उस जमाने की शिल्पकला बेजोड़ थी।
अगर शीआन शहर में छिन मकबरे की खुदाई से प्राप्त पकी मिट्टी से बनी घोड़ों व सैनिकों की मूर्तियां प्रारंभिक सामन्ती समाज की कला की अभिव्यक्ति हैं, तो हुडंशान संस्कृति का देवी मंदिर चीनी सभ्यता के भोरकाल की कलात्मक अभिव्यक्ति की पराकाष्ठा है।