खोह्वाडं(हार्प) चीन के सब से लोकप्रिय वाद्य-यंत्रों में एक है, उसके 50 से ज़्यादा नाम हैं, जो ई, लाहू, नाशी, लीसू, म्याओ, ताए, वा, ली, काओशान, छ्याडं, ताजिक, किरगिज, सालार, ह्वेइ, मानचू, ताउर, हेचन और हान जातियों में बहुत प्रचलित है और खास तौर से महिलाएं इस वाद्य को बहुत प्रसंद करती हैं।
"आधुनिक रिकार्ड"नामक प्राचीन पुस्तक में यह वर्णन है कि पौराणिक कबीलीयाई राजकुमारी न्यीवा ने पहली बार"खोह्वाडं"बनाया था और कहा जाता था कि न्यीवा ने ही पत्थरों से आकाश को टांका भी था। पूर्वी हान राजवंश के ल्यू शी ने अपनी"वाद्य-यंत्रों के बारे में"नामक पुस्तक में यह बताया कि"खोह्वाडं"बांस और लौहे से बनाया गया था। आज का "खोह्वाडं"प्राचीन "खोह्वाडं"से मिलता-जुलता है।
बांस से बना"खोह्वाडं"दक्षिण-मध्य और दक्षिण-पश्चिम चीन में प्रचलित है, इसे बनाने का तरीका इस प्रकार है कि बांस की पतली खपचियों के बीच एक सरल बांस-जीभ बनाई जाती है। सब से लंबा"खोह्वाडं"22 का, इसकी उभरवां, शंकुनुमा या समतल सिरनुमा शैलियां होती हैं। बजाते समय बाए हाथ से"खोह्वाडं"का पृष्ठभाग पकड़कर होंठों के बीच बांस-जीभ रखी जाती है, साथ ही दायां हाथ"खोह्वाडं"के दूसरे छोर पर लगे धागे को खींचता है। बजाने का और एक तरीका यह भी है---बाएं हाथ से "खोह्वाडं" पकड़कर दाएं हाथ की तीन उंगलियों से उस के सिर को बजाना।