ल्हासा से शिकाज़े जाने वाली रेलवे लाइन का इस्तेमाल इस साल की तीसरी तिमाही से किया जाने लगेगा। बता दें कि शिकाज़े पंचेन लामा का निवास स्थान है। इससे पहले अभी तक वहाँ कोई भी रेलवे लाइन नहीं है।
ल्हासा और शिराज़े तिब्बत के दो मुख्य शहर हैं। ल्हासा में पोताला महलस, जोखांग मठ औ र शिकाज़े में जाशिलून्पो मठ में पूजा करना तिब्बती बौद्ध धर्म का श्रद्धालुओं की जीदगी में एक अपरिहार्य बात है। लेकिन समुद्र तल से बहुत ऊंचे स्थल में आक्सीजन की कमी, जमी हुई मिट्टी, पर्यावरण संरक्षण, पशुओं का प्रवासन और जटिल भौगोलिक स्थिति आदि समस्याओं से छिंगहाई-तिब्बत पठार पर रेलवे लाइन का निर्माण बेहद मुश्किल था।
छिंगहाई-तिब्बत रेलवे लाइन का इस्तेमाल वर्ष 2006 की जुलाई में शुरू हुआ था। यह पहली रेलवे लाइन थी जो तिब्बत से कनेक्ट हुई थी। ल्हासा-शिकाज़े रेलवे लाइन का निर्माण 4 चार पहले यानि वर्ष 2010 से शुरू हुआ है, जिसकी लम्बाई कुल 253.15 किलोमीटर है। इस पर कुल 13.282 अरब चीनी युआन का निवेश किया गया है। बताया जाता है कि इस पटरी पर रेलगाड़ी 120 कि.मी. प्रति घण्टा की रफ्तार से चल सकती है। ल्हासा से शिकाज़े तक लगभग 2 घटे में पहुंचा जा सकता है।
(मारा)