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भारतीय फिल्म निर्देशक मधुर भंडारकर
भारतीय फिल्म निर्देशक मधुर भंडारकर ने मीडिया से कहा कि समय वाली अवधारणा भारतीय लोगों के जीवन से घनिष्ठ संबंध है। ब्रिक्स देशों के कई मध्यम शहरों में इससे संबंधित स्थिति मौजूद है। बड़े शहरों में लोगों के जीवन की गति बहुत तेज है। निर्देशक मधुर भंडारकर के मुताबिक सामूहिक फिल्म《समय कहां गया》के भारतीय अंक《मुंबई धुंध》में एक बूढ़ा और एक युवक के बीच की कहानी दिखाई गई है। फिल्म में मुख्य पात्र एक वृद्ध है, जो कार्य में बहुत व्यस्त रहता है। एक बार उसे सड़क पर संयोग से अपनी आत्मा का साथी मिला। वह एक युवा है, जो अनाथ है। इन दोनों की कहानी को फिल्म में दिखाई गई है। फिल्म निर्देशक मधुर भंडारकर को आशा है कि दर्शक इस फिल्म को देखने के बाद खासकर युवा लोग अपनी व्यस्त भरी जिंदगी में समय निकालकर अपने परिवार में वृद्ध लोगों के साथ अधिक समय बिताएंगे।
वहीं दक्षिण अफ्रिका के फिल्म निर्देशक जामेल कुईबिका ने कहा कि फिल्म ने मानव की भावना का गुणगान किया। आधुनिक जमाने में लोगों ने विभिन्न देशों की यात्रा की है। उन्होंने अलग संस्कृतियों का अनुभव लिया है। उनके विचार में एक ही चीज़ समान है, यह है मानव की भावना। किसने मानव गठित किया, किसने हमें मानव बनाया। उन्होंने कहा कि उनकी फिल्म में कहानी 10 हज़ार वर्ष बाद भविष्य के बारे में है। आशा है कि विज्ञान कल्पना के तरीके से लोगों को समझाएंगे कि आखिरकार मानव क्या है?
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