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ब्रिजिली फिल्म पटकथा लेखक गैबरिएला अल्मीडा
फिल्म《समय कहां गया》पाँच स्वतंत्र छोटी फिल्मों को एक धागे में पिरोया गया है। पाँच देशों की फिल्मों को कैसे अच्छी तरह एकजुट करना गैबरिएला के सामने मौजूद एक सबसे बड़ा सवाल है। इसकी चर्चा करते हुए उन्होंने कहा:"मेरा विचार है कि विभिन्न संस्कृति और अलग समय की पृष्ठभूमि को एकजुट करना और फिर लोगों के मन में प्रतिध्वनि पैदा होना इस फिल्म के सामने मौजूद सबसे बड़ी चुनौती है। इसे बनाने के वक्त हम न केवल ब्राज़िल का प्रतिनिधित्व करते हैं, बल्कि हमें पूरी फिल्म पर सोच विचार करना चाहिए। ताकि दर्शक एक-एक छोटी फिल्म के कलात्मक आकर्षण को समझ सकें। यह फिल्म नाटक लिखने के दौरान हमारे सामने मौजूद सबसे मुश्किल सवाल था।"
ब्रिक्स देशों के संयुक्त फिल्म《समय कहां गया》के ब्राजिली भाग《कुआंडो आ तेरा ट्रेम》में विपदा से ग्रस्त मां और बेटे के भविष्य के जीवन का स्पष्ट वर्णन नहीं किया गया। लेकिन फिल्म में उनके बीते, वर्तमान और भविष्य के जीवन को अच्छी तरह जोड़ा गया। जिससे जीवन और जान के प्रति ब्राज़िल लोगों का सक्रिय और मुश्किलों का सामना करने का रूख जाहिर हुआ। पटकथा लेखक गैबरिएला के अनुसार फिल्म का अंत बहुत सुन्दर है, जिसने"समय कहां गया"वाली थीम और ऊँचाई पर उठा दिया। उनका कहना है:"समय फ़्लेक्सिबल यानी लचिला है। समय अच्छी खबर के आगमन पर नहीं रूकता है, लेकिन समय बुरी खबर के आने पर ठहर-सा जाता है। फिल्म के अंत में निर्देशक ने एक सुन्दर वाक्य का प्रयोग किया, यानी कि समय सब कुछ का पता लगाएगा। हालांकि सब कुछ को खुलासा करना अच्छी बात नहीं है, लोगों को फिर भी उठना चाहिए, जैसा कि फिल्म में भूमि और जन्मस्थान का पुनर्निर्माण की तरह है।"
फिल्म《समय कहां गया》पाँच ब्रिक्स देशों की छोटी फिल्मों से बनाई गई है। जिसमें ब्राज़िल की《कुआंडो आ तेरा ट्रेम》, रूस की《सांस》, भारत की《मुंबई धुंध》, चीन की《वसंत का आगमन》और दक्षिण अफ्रिका की《पुनर्जीवन》पाँच भाग शामिल हैं। इन पाँच फिल्मों के निर्देशकों ने फिल्म के जरिए प्रेम और जीवन शक्ति से भरी पाँच कहानियां सुनाई। फिल्म के विषय और शैली में भिन्नता होने के बावजूद समय वाली मुख्य थीम के तहत मानव के बीच सच्ची भावना अभिव्यक्त की गई है।
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