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जी-20 का हांगचो शिखर सम्मेलन विश्व आर्थिक संचालन में नई उम्मीद जगाएगाः चीन की आशा
दोस्तों, जी-20 का 11वां शिखर सम्मेलन 4 और 5 सितंबर को दक्षिण-पूर्वी चीन के चच्यांग प्रांत की राजधानी हांगचो में आयोजित होगा। सदस्य देशों और अतिथि देशों के नेताओं के साथ संबंधित अन्तरराष्ट्रीय संगठनों के ज़िम्मेदार व्यक्ति आमंत्रण पर शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग इसकी अध्यक्षता करेंगे। चीन के विदेश मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, केन्द्रीय बैंक और हांगचो शहर के संबंधित ज़िम्मेदार व्यक्तियों ने कहा कि अब शिखर सम्मेलन के लिए सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। चीन आशा करता है कि हांगचो शिखर सम्मेलन विश्व आर्थिक वृद्धि, अन्तरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग और विश्व आर्थिक संचालन में नई उम्मीद जगाएगा। लीजिए सुनिए इसके बारे में एक रिपोर्टः
जी-20 का हांगचो शिखर सम्मेलन इस वर्ष चीन में आयोजित होने वाला सबसे महत्वपूर्ण कूटनीतिक कार्यक्रम है और हाल के वर्षों में चीन के तत्वावधान में सबसे ऊंच्चे स्तर पर, सबसे बड़े पैमाने वाला और सबसे गहरा प्रभाव डालने वाला अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन भी है। चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उप विदेश मंत्री ली पाओतोंग ने कहा कि चीन विभिन्न पक्षों के साथ शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए समान कोशिश करने को तैयार है।
"हम आशा करते हैं कि शिखर सम्मेलन को बढ़ाने के ज़रिए जी-20 के लिए विकास की योजना बनाई जाएगी, ताकि मूल रूप से विश्व आर्थिक वृद्धि के धीमी होने की समस्या दूर हो सके। हम आशा करते हैं कि ढांचागत सुधार बढ़ाने के ज़रिए विश्व अर्थव्यवस्था की शक्तिशाली, अनवरत और संतुलित वृद्धि के लिए नई योजना तैयार होगी। हम आशा करते हैं कि विश्व आर्थिक और वित्तीय संचालन में समायोजन करने के साथ साथ अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संगठनों में सुधार बढ़ाया जाएगा और वित्त, कर-वसूली, ऊर्जा और भ्रष्टाचार विरोध में सहयोग मज़बूत किया जाएगा। हम आशा करते हैं कि अन्तरराष्ट्रीय व्यापार और पूंजी में सहयोग बढ़ाया जाएगा और वैश्विक व्यापार की विकास रणनीति, वैश्विक निवेश दिशा निर्देश बनाने के ज़रिए विकास के दो इंजनों का पुनरुत्थान किया जाएगा। हम आशा करते हैं कि विकास और सहयोग मज़बूत कर पूरी दुनिया में वर्ष 2030 अनवरत विकास की कार्यसूची के कार्यांवयन को बढ़ाया जाएगा। औद्योगीकरण साकार करने में अफ़्रीका का समर्थन किया जाएगा और विकासशील देशों के समान विकास के लिए नई संभावना तैयार की जाएगी।"