तिब्बती लड़की त्सेबा ने कहा कि वह जातीय विश्वविद्यालय में दाखिला लेना चाहती है। एक साल सर्दियों में, उसने सछ्वान प्रांत की राजधानी छंगतु में स्थित दक्षिण-पश्चिमी जातीय विश्वविद्यालय का दौरा किया। उसे विश्वविद्यालय का वातावरण बहुत अच्छा लगा। विश्वविद्यालय में एक बड़ा पुस्तकालय है। तिब्बती लड़की त्सेबा पठार की बाहरी दुनिया को देखना चाहती है। लेकिन घर की वास्तविक स्थिति को ध्यान में रखते हुए उसे अपने जन्मस्थान में ठहरना है। लड़की ने कहा:
"भविष्य में मैं माता पिता की देखभाल करूंगी। मां की शारीरिक स्थिति ठीक नहीं है। उन्हें अधिक देखभाल की आवश्यकता है। इस तरह विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद मैं जरूर जन्मस्थान वापस लौटूंगी।"
चीन के दूसरे आर्थिक विकसित इलाकों की तुलना में पठार में रहने वाले लोगों का जीवन फिर भी आसान नहीं है। इस तरह भविष्य के प्रति विद्यार्थियों का विकल्प, स्कूल में कार्य और जीवन पर्यावरण जैसे पहलुओं में आर्थिक स्थिति की वजह से सिमित है। इधर के सालों में स्थानीय सरकार के समर्थन से खांगतिंग तिब्बती भाषा के मीडिल स्कूल की शैक्षिक स्थिति में लगातार सुधार आया है। स्कूल में खाने के लिए नई कैंटिन, रहने के लिए नए छात्रावास, पढ़ाई के लिए नई शिक्षा इमारतों का निर्माण पूरा किया गया। खोंगतिंग तिब्बती भाषा के मीडिल स्कूल के शिक्षक और विद्यार्थी भविष्य के प्रति आशाप्रद हैं। वे अपने स्कूल को कानची तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर, यहां तक कि अखिल तिब्बती बहुल क्षेत्र में आदर्श स्कूल बनाने में प्रयासरत हैं। ताकि देश के विकास के लिए अधिक सुयोग्य व्यक्तियों को प्रशिक्षण दिया जा सके।
तिब्बती लड़की त्सेबा और उसके सहपाठियों की आवाज़ में"खांगतिंग का प्रेम गीत"सुनाया गया। यह सछ्वान प्रांत में ही नहीं, समूचे देश में बहुत लोकप्रिय गीत है। उनकी मीठी आवाज़ स्कूल के कोने-कोने में गुंज रही है। कामना है कि तिब्बती लड़की त्सेबा और उसके सहपाठियों की पढ़ाई बेहतर होगी। भविष्य में उन्हें अच्छे नौकरी मिलेगी और अच्छा जीवन बिताएंगे।