वर्ष 2006 में कांउटी वन ब्यूरो राष्ट्रीय परियोजनाओं के तले सहायता राशि प्राप्त कर रेत-निपटारा कार्य करने लगा। कदम-दर-कदम रेतीले विस्तार की स्थिति में काबू पाया गया। अब मार्च के महीने में त्सेशो गांववासियों को पीठ पर रेत लादकर बाहर ले जाने की बिलकुल भी जरूरत नहीं है। स्थानीय नागरिकों के विचार में सरकार ने उनके लिए वास्तविक तौर पर मदद की। रेत-निपटारे के प्रति उनका रुख बदल गया। एक बार कांउटी वन ब्यूरो के कर्मचारी रेत-रोकथाम कार्य करने नंवा जिला गए। स्थानीय नागरिक मोटर साइकिल चलाते हुए उनके पीछे-पीछे आए और उन्हें अपने घर में खाना खिलाने का आमंत्रण दिया। इसकी याद करते हुए रोअर्केई काउंटी के वन ब्यूरो के उप प्रधान त्सो लिन ने भाव विभोर होकर कहा:
"वे सक्रिय रूप से हमारे कर्मचारियों से रेत-रोकथाम से संबंधित सवाल पूछते हैं। वे इस कार्य को देश का या किसी सरकारी विभाग का कार्य समझने के बजाए खुद का कार्य समझते हैं। यह पहले की स्थिति से बिलकुल अलग थी।"
वर्ष 2006 में रोअर्केई कांउटी देश भर की रेत-रोकथाम और रेत-निपटारे का आदर्श क्षेत्र बन गई है। वर्ष 2007 से ही सछ्वान प्रांत ने रेत-निपाटारे के लिए रोअर्केई कांउटी को 12 करोड़ युआन की राशि दी। जिससे कांउटी में 8 हज़ार हेक्टेयर क्षेत्रफल की भूमि में रेत-निपटारा कार्य सफल हुआ। वर्ष 2013 में केन्द्र सरकार ने रोअर्केई कांउटी में रेत-निपटारे परियोजना के लिए 5 करोड़ विशेष राशि दी। इसकी जानकारी देते हुए कांउटी के वन ब्यूरो के उप प्रधान त्सो लिन ने कहा:
"वर्तमान में देश में विकास होने के साथ-साथ पारिस्थितिकी संरक्षण पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। इसी क्षेत्र में सरकार ने बड़ी राशि दी है और देश में पर्यावरण संरक्षण पर भारी महत्व दिया जाता है।"
त्सो लिन के अनुसार देश ने आर्द्रभूमि के संरक्षण के लिए संबंधित संस्थाओं के प्रबंधन पर भी जोर दिया। रोअर्केई आर्द्रभूमि में कई राष्ट्र स्तरीय, प्रांत स्तरीय और कांउटी स्तरीय प्राकृतिक संरक्षण केंद्रों की स्थापना की गई है। इसके साथ ही संरक्षण क्षेत्रों में मौसम की निगरानी के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र भी स्थापित हुए हैं। जिनसे आर्द्रभूमी के संरक्षण के लिए तकनीकी गारंटी मिली है। रोअर्केई कांउटी में आर्द्रभूमि प्रबंधन विभाग के कर्मचारी शिन यान ने बताया:
"रोअर्केई पूरे सछ्वान प्रांत ही नहीं, यहां तक कि संपूर्ण चीन में महत्वपूर्ण भौगोलिक स्थान वाली पठारीय आर्द्रभूमि है। अब ये विश्व में एक महत्वपूर्ण आर्द्रभूमि भी बन गयी है। कई कॉलेज, चीनी विज्ञान अकादमी और वन वैज्ञानिक अकादमी जैसी संस्थाएं प्रयोग करने के लिए यहां आते हैं।"
देश में नीति और पूंजी के समर्थन के अलावा रोअर्केई आर्द्रभूमि का संरक्षण अधिकाधिक तौर पर स्थानीय नागरिकों की सक्रिय भागीदारी से अलग नहीं किया जा सकता। स्थानीय सरकार के संबंधित प्रचार से नागरिगों ने अत्यधिक पशुपालन करने से घास के मैदान को पहुंची क्षति के बारे में अधिक जानकारी हासिल की। वे धीरे-धीरे पुराने जीवन जीने के तरीके बदलते गए, घास के मैदानों का संरक्षण करने लगे और रेत-निपाटारे कार्य में सक्रिय रूप से भाग लेने लगे। रोअर्केई कांउटी के थावा गांववासी, तिब्बती बंधु च्वुनका त्सेरांग ने कहा:
"शुरु में हमारे पास स्थानीय लोगों के बारे में रेत-रोकथाम से जुड़ी कम जानकारी थी। बाद में कांउटी वन ब्यूरो के नेतृत्व में हम रेत-निपटारा कार्य करने लगे। कदम दर कदम स्थानीय लोग रेतीलेकरण की रोकथाम के महत्व को अच्छे तरीके से समझते हैं। तो हम सक्रिय रूप से रेत-निपटारे कार्य में भाग लेते हैं।"