तिब्बती चिकित्सा और औषधि कोष
छिंगहाई प्रांत के तिब्बती चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के प्रधान डोर्चे
वास्तव में 7वीं शताब्दी से ही तिब्बती चिकित्सा में तिब्बत और आसपास के नेपाल, भूटान और भारत जैसे देशों में असर था। 18वीं सदी में इसका यूरोप तक विस्तार किया गया और दुनिया भर में तिब्बती चिकित्सा के अनुसंधान वाली धारा सामने आई। छिंगहाई प्रांत के तिब्बती चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के प्रधान डोर्चे तिब्बती चिकित्सा के अंतरराष्ट्रीकरण को विस्तार करने पर सोचते हैं। उनके विचार में इसे बहुत काम किया जाना जरूरी है। डोर्चे ने कहा:
"अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय तिब्बती चिकित्सा पर अधिक से अधिक ध्यान रखता है। कई विश्वविद्यालयों और देशों में तिब्बती चिकित्सा के अनुसंधान के लिए विशेष संस्थान स्थापित हुए हैं। तिब्बती चिकित्सा के अंतरराष्ट्रीकरण के विस्तार के क्षेत्र में हमारे अनुसंधान संस्थान की तरफ़ मेरा विचार है कि हमें तिब्बती चिकिस्ता से संबंधित सांस्कृतिक सामग्रियों के डिजिटलीकरण और संबंधित अनुवाद के कार्य पर जोर देना चाहिए।"