थांगखा चित्रकला तिब्बती संस्कृति का एक अहम अंग है, जिसका इतिहास बहुत पुराना है। आज के इस कार्यक्रम में आप हमारे साथ उत्तर पश्चिमी चीन के कानसू प्रांत के कान्नान तिब्बती स्वायत्त प्रिफैक्चर का दौरा करेंगे और देखेंगे कि वहां प्राचीन इतिहास वाले थांगखा चित्र का विकास कैसे किया जा रहा है?
उत्तर पश्चिमी चीन के कानसू प्रांत के कान्नान तिब्बती स्वायत्त प्रिफैक्चर स्थित लाब्रांग मठ में कुछ भवनों की दीवारों पर दो सौ से अधिक वर्ष पूर्व लगाए गए भित्ति-चित्र अच्छी तरह सुरक्षित हैं, जो आज तक ताज़ा ही नहीं, रंगारंग और जीवित लगते हैं। लाब्रांग मठ की यात्रा करने आए पर्यटकों को इस बारे में अवगत कराते समय एक युवा भिक्षु गाइड बहुत गर्व महसूस करता है। उसने पर्यटकों को थांगखा से जुड़ी जानकारी देते हुए कहा:
"थांगखा तिब्बती भाषा का शब्द है। चित्रण के लिहाज से थांगखा चित्र को त्वेशो थांगखा, कढ़ाई थांगखा और चित्रण थांगखा तीन भागों में बांटा जाता है। लाब्रांग मठ के भवनों की दीवारों पर लगाए गए भित्ति चित्र वाली पेंटिंग थांगखा है। थांगखा भित्ति चित्र दो भागों में बंटा हुआ है, एक है सीधे तौर पर चित्रित भित्ति थांगखा चित्र, दूसरा है कपड़े पर चित्रित थांगखा, जो कपड़े पर चित्रित किए जाने के बाद दीवार पर टांगा जाता है। थांगखा चित्र का रंगद्रव्य प्राकृतिक खनिज से बनता है, जो लम्बे समय तक नहीं छूटता।"