थ्यानचू कांउटी के संस्कृति और खेल विभाग की उप-प्रधान चान लीफ़ान
वास्तव में एक सेट की शानदार पारंपरिक तिब्बती पोशाक पहनना जटिलपूर्ण बात है। इस प्रकार की पोशाक पहनते वक्त वस्त्र के अनुकूल भिन्न-भिन्न प्रकार वाले आभूषण भी पहने जाते हैं। आमतौर पर रोजाना के जीवन और श्रम में पारंपरिक तिब्बती पोशाक नहीं पहनने के कारण तिब्बती लोग इसे कम खरीदते हैं। इस तरह बाज़ार में तिब्बती पोशाक कम बनाई जाती है। सांस्कृतिक क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी चांग श्वांगछङ को तिब्बती जाति के पारंपरिक वस्त्र के विकास पर चिंतित है। उन्होंने कहा:"कानसू प्रांत के कान्नान तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर की चोछ्यू कांउटी जैसे क्षेत्रों में तिब्बती पोशाक पहनने वालों की संख्या न के बराबर है। शहरी जीवन में तिब्बती पोशाक नहीं पहनी जाती। इस तरह पारंपरिक तिब्बती पोशाक बनाने वाली तकनीक भी खत्म हो रही है। आजकल आमतौर पर मशीन से बनी पोशाकों को बेचा जाता है, शुद्ध हस्तनिर्मित वस्त्र नहीं मिल पाते।"
सांस्कृतिक क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी चांग श्वांगछङ
ऐसा कहा जा सकता है कि वस्त्र किसी जातीय संस्कृति का प्रतिबिंब है। पुराने जमाने में थूपो वंश(7 से 9 शताब्दी) के दौरान व्यापारिक आवाजाही से वस्त्रों के विकास को बढ़ावा मिला था, मिंग राजवंश (1364-1683) में तिब्बती ओपेरा के विकास के चलते तिब्बती वस्त्र से जुड़ी संस्कृति का जोरदार विकास हुआ। हज़ारों वर्षों में तिब्बती पोशाक में भारी परिवर्तन भी आया है। पशुपालन क्षेत्र से कृषि प्रधानता वाले क्षेत्र तक, फिर शहरों तक, जीवन के तरीके में बदलाव के चलते पारंपरिक पोशाकें समय के साथ तिब्बतियों के जीवन के अनुकूल नहीं रहीं। युगात्मक विकास के अनुकूल जातीय संस्कृति से भरी पोशाकों का विकास करने पर तिब्बती बंधु केसांग छीलाई कभी कभी सोचते हैं, जो एक जातीय पोशाक कारखाने की स्थापना में व्यस्त हैं। उन्होंने कहा:"हमारे कान्नान तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर में एक चक्रीय आर्थिक उद्योग पार्क मौजूद है, जिसका क्षेत्रफल करीब 6.7 हेक्टेयर है। हम यहां जातीय पोशाक बनाने वाला उत्पादन केन्द्र स्थापित करेंगे। हमारा लक्ष्य है कारखाने में बनाए गए वस्त्र आधुनिक फैशन जगत में प्रवेश कर सकें। हम वस्त्र बनाने के दौरान थांगखा चित्र जैसी तिब्बती जाति की विशेष वस्तुएं शामिल करना चाहते हैं। हमें आशा है कि भविष्य में तिब्बती पोशाकों पर तिब्बती जाति की पारंपरिक सांस्कृतिक चीज़ों को डिज़ाइन किया जा सकता है। परम्परा और आधुनिक वस्तु जोड़ने से लोग इसे ज्यादा पसंद करेंगे।"