शानदार विवाह समारोह
"दुल्हन के घर की गाड़ी आ गई!"
लोगों के चिल्लाने की आवाज के साथ-साथ एक बड़ी बस देहाती मार्ग से गांव में आकर रुकी। गाड़ी में खचाखच भीड़ थी। बाराती और दर्शक एक साथ उमड़ आए। दूल्हा-दुल्हन के घरवालों ने आपस में नमस्ते वगैरह की औपच-रिकताएं पूरी कीं। कुछ बच्चों ने मिट्टी की दीवार पर चढ़कर पटाखे छोड़े।
दूल्हे के घर में 40 मेजों पर दावत दी जा रही थी। सबसे पहले अपने गांव के सग-संबंधियों को बुलाया गया और इसके बाद दुल्हन के घर वालों को, कहने की आवश्यक्ता नहीं कि अपने घर वालों को दी जाने वाली दावत कहीं ज्यादा शानदार थी।
दावत में सबसे पहले तरह-तरह की सब्जियां, व्यंजन व मिठाइयां पेश की गई, इसके बाद दूध की चाय और तली हुई मीठी चीज़ें और सेंकी हुई नान, फिर चार प्लेटों में विविध ठंडे व्यंजन और शराब, इसके बाद मूली के टुकड़े और बकरी के मांस से तैयार सूप परोसे गए।
पर औपचारिक दावत तो बाद में हुई। इसमें कितने ही व्यंजन पेश किए गए, इनकी संख्या मुझे भी याद नहीं रही। खाने की हर मेज पर दो व्यक्ति शराब पिलाने के लिए विशेष तौर पर तैनात थे और वे बडी खुशी से लोगों को शराब पिला रहे थे। मेज पर बैठे ताउर पुरुष तगड़े व साहसिक थे और शराब उनके लिए तो पानी मात्र ही थी। हालांकि धार्मिक विश्वास में ताउर जाति के लोग मुसलमान नहीं हैं, फिर भी अपने उइगुर, कजाख व ह्वेइ आदि जातीय देशबन्धुओं के सम्मान में इस दावत में मुस्लिम व्यंजन पेश किए गए। लोग जल्द ही उनकी भावनाओं के प्रति श्रद्धानत हो गए।