थाछडं नगर के उत्तर-पूर्वी भाग से थोड़ी दूर एक पहाड़ी मैदान में आशिल का ताउर जातीय स्वायत्त श्याडं स्थापित है और इसमें ताउर जाति के करीब 1400 से ज्यादा निवासी बसे हुए हैं।
प्राचीन काल में यहां की ताउर जाति चीन के उत्तर पूर्व में रहने वाली अल्पसंख्यक जाति का एक हिस्सा थी। 1763 में यानी छिडं राजवंश के छ्येन लुडं सम्राट के शासन के अठाईसवें वर्ष में छिडं सरकार ने शिनच्याडं में जूंकार विद्रोह को दबाने के लिए उत्तर-पूर्वी चीन से ताउर जाति के 1000 से ज्यादा सैनिक अफसरों व सिपाहियों को शिनच्याडं के इली नामक स्थान में भेजा। इन सैनिकों के घर वालों ने भी लकड़ी की गाड़ियों से होशी गलियारे के साथ-साथ दो वर्षों की लम्बी यात्रा की। 1870 में इन ताउर सैनिकों को फिर थाछडं नगर में तैनात किया गया, जो उस समय"छुहूछु"पुकारा जाता था। आज आशिल निवासी वास्तव में इन ताउर सैनिकों के वंशज हैं।
यहां के ताउर निवासियों का मुख्य धंधा कृषि है और वे पशुपालन का कार्य भी साथ-साथ करते हैं। इन लोगों का जीवन संपन्न है।