सिरके में पकाई गई मछली
सिरके में पकाई गई मछली हांगचो के परम्परागत प्रसिद्ध व्यंजनों में से एक है।
सिरके में पकाई गई मछली का व्यंजन आज से 800 से ज़्यादा साल पहले दक्षिण सुंग राजवंश के हांगचो की एक कहानी से शुरू हुआ था। कहा जाता था कि उत्तरी सुंग राजवंश के अंत में चिन राज्य की सेना ने सुंग राजवंश पर आक्रमण किया। सुंग राजवंश के खांग वांग सम्राट च्याओ गो ने दक्षिण चीन में भाग कर लिन एन( आज का हांगचो) में अपनी राजधानी स्थापित की थी। उस समय एक महिला थी, जो सुंग वू के नाम से जानी जाती थी, आक्रमणकारियों के शासन से नहीं सहने की वजह से अपने देवर के साथ वह लिन एन आयी और पश्चिमी झील के किनारे मछलियां पकड़ने से जीवन यापन करने लगी। एक बार देवर बारिश में भीगने से बीमार होकर शय्याग्रस्त हो गया। जब भाभी सुंग वू देवर के लिए मछली व अंडा पका रही थी, तभी सरकारी सैनिक राज महल के निर्माण के लिए युवा पुरुष पकड़ने आ धमके। भाभी सुंग वू ने सैनिकों से समझाते हुए मिन्नत की कि वे रोग शय्या पकड़े हुए देवर को कहीं न ले जाऐं। जल्दबाजी में चूल्हे से टकराने से शराब व सिरके के बोतल उलट गए। जब सैनिक चले गए, तो कड़ाहे में पक रही मछली व अंडा गाढ़ा शोरबा बन गया। लेकिन देवर को वह बहुत ताजा व स्वादिष्ट लगा। उस के ज़्यादा खाने का मन भी बढ़ा और परिणामस्वरूप वह जल्द ही स्वस्थ हो गया। इस के बाद पड़ोसी के लोग भी इस तरह का मछली शोरबा पकाने लगे। बाद में दक्षिण सुंग राजवंश के सम्राट श्याओ चुंग ने पश्चिमी झील का दौरा करते समय सुंग वू भाभी को खाना पकाने के लिए भी बुलाया। मछली का शोरबा खाने के बाद सम्राट ने इस व्यंजन की भूरी सराहना की। उसने इनाम के रूप में भारी भरकम के पैसे और शराब दुकान का साइन झंडा प्रदान किए। सालों में निरंतर सुधार होने के बाद भाभी सुंग वू का यह व्यंजन मछली के व्यंजन में मशहूर ब्रांड बन गया। छिंग राजवंश के सम्राट ताओ क्वांग के शासन काल में स्थापित लो वेई लो रेस्तरां में इस व्यंजन का सुधार करके केकड़ा मांस का स्वाद युक्त मीठी व खट्टी मछली विकसित की गयी, जो पश्चिमी झील की सिरके में पकाई मछली के नाम से मशहूर है। रेस्तरां ने भी"उत्तरी चीन की भाभी सुंग वू से विकसित हुआ, पश्चिमी झील का सब से स्वादिष्ट व्यंजन"के रूप में प्रचार प्रसार किया, इसतरह वह हांगचो का सब से मशहूर व्यंजन बन गया।