उद्यानों का सुन्दर दृश्य
चीनी उद्यानों की दो श्रेणियां हैं---एक शाही उद्यान और दूसरे निजी उद्यान। पहले के उद्यान जैसे ग्रीष्म प्रासाद और पेइहाए पार्क अपने वैभव के लिए मशहूर हैं, जबकि सूचओ शहर के उद्यान अपनी रमणीयता के लिए लोकप्रिय हैं।
सूचओ शहर के उद्यान आम तौर पर सुव्यवस्थित और सुगठित हैं। यह गलियारों, चट्टानों तथा जल, फूलों और पेड़ों का उपयोग कर मिश्रण-कला का चमत्कार है।
सूचओ शहर दक्षिणी और उत्तरी राजवंशों(222-589) के काल के बाद समृद्ध हुआ। थाडं और सुडं राजवंशों(61801279) के काल में यहां दफ्तरशाह, जमींदार, अधिकारी तथा विद्वान आते थे। उद्यान-भू-दृश्य तभी लोकप्रिय हुए तथा अनेक प्रसिद्ध भू-दृश्य वास्तुशिल्पी इस दौरान प्रकाश में आए। सूचओ के उद्यानों में मौसम के अनुसार विशेष सावधानीपूर्वक चट्टानों, मंडपों, भवनों, तालाबों, छोटी दीवारों तथा गलियारों का विभिन्न स्वरूपों में सामंजस्य बिठाया गया है। वसंत के मौसम में उद्यान फूलों से भर जाते हैं। गर्मियों में केले उगते हैं और तालाबों में कमल बिखर जाते हैं। शरद में लाल फूल नरकट की झीलों में झूमते दिखाई देते हैं, मैपल लाल हो उठते हैं और सर्दी में नरकट व आलूचे के फूल बर्फ से ढक जाते हैं। आप देवदारु के पेड़ों के बीच हवा के झूमने की आवाज सुन सकते हैं, फूलों की परछाईं से चांद का रास्ता पता कर सकते हैं, और कोहरे में छिपे मंडपों की झलक देख सकते हैं।
मिंग राजवंश(1368-1644) काल में सूचओ में 271 उद्यान थे तथा छिडं राजवंश(1644-1911) काल में इनकी संख्या घट कर कुल 130 रह गई। शहर हो या गांव यहां के हर घर में छोटे-छोटे उद्यान बने हुए हैं। यहां के उद्यान बहुत प्रसिद्ध हैं, जैसे छाडंलाडंथिडं(नीली लहरों का मंडप), शचलिन(सिंह उद्यान), च्वोचडंय्वान(निराश अफसर का उद्यान) तथा ल्यूय्वान(मन चुराने वाला उद्यान)। "छाडंलाडंथिडं" उद्यान के आगे स्थित घुमावदार सरिताओं में वृक्ष और बांस उपवन ठसे पड़े हैं। शचलिन उद्यान बनावटी पहाड़ियों के लिए मशहूर है, "च्वोचडंय्वान" एक तालाब के बीच स्थित है, जहां अलंकृत भवन, मंडप और पुल तितरे बितरे रास्तों से जुड़े हुए हैं। ल्यूय्वान उद्यान अनेक चिलमनों द्वारा निर्मित भवन के लिए लोकप्रिय है। वाडंशी(जालों का स्वामी) नामक उद्यान शहर के दक्षिण में स्थित है, छोटा होने के बावजूद यह उत्कृष्ट लगता है। वाडंशी उद्यान के "त्येनछुन घर" की अनुलिपि अब प्रदर्शनार्थ अमरीका के मैट्रोपोलिटिन संग्रहालय में रखी हुई है।