चीन के 24 ऐतिहासिक शहरों में से एक सूचओ का नाम भी उल्लेखनीय है। इस शहर का निर्माण आज से 2528 वर्ष पहले यात्सी नदी हेल्टा पर किया गया। थाए झील के किनारे पर निर्मित यह संपूर्ण नदी-जाल का केंद्र है। पहाड़ों के सामने उपजाऊ खेत फैले हुए हैं, सूचओ की सुन्दरता का वर्णन अक्सर प्राचीन कविताओं में देखने को मिलता है। 19वीं शताब्दी के कवि कुडं चिचन ने लिखा है "अतिसुन्दर सूचओ मेरा स्वप्न-लोक है, मेरे संपूर्ण जीवन का स्वप्न लोक है।"
ई.पूर्व 496 में राजा ह ल्वी ने अपने पड़ोसी राज्य य्वे(अब चच्याडं प्रांत की शाओशिडं काउन्टी) पर हमला किया, लेकिन उस को हार मिली। युद्ध के दौरान घायल ह ल्वी की वापसी पर मृत्यु हो गई।
ह ल्वी के स्थान पर फू छाए ऊ राज्य का राजा घोषित हुआ और उसने ह ल्वी का बदला लेने की कसम खाई। ई.पूर्व 494 में फू छाए ने ऊ चिश्वी को अपना जनरल नियुक्त किया और य्वे राज्य पर फिर धावा बोल दिया। य्वे राज्य की हार हुई और वहां के राजा ने आत्मसमर्पण कर दिया। फू
छाए ने य्वे राजा कोच्येन और उसकी पत्नी को ह ल्वी के मकबरे के नजदीक एक पथरीली गुफ़ा में कैद करने का आदेश दिया, जहां हर रोज कोच्येन को जमीन साफ करनी पड़ती थी और घोड़ों की सानी करनी पड़ती थी। यह पथरीली गुफा हूछ्यू तथा लिडंयेन पर्वतों के आसपास स्थित है।
कोच्येन ने फ़ू छाए के हर आदेश का पालन किया, जब फ़ू छाए को यह यकीन हो गया कि उसका दुश्मन आज्ञाधीन हो गया है तो उसने ऊ चिश्वी की राय के खिलाफ़ जाकर कोच्येन को रिहा कर दिया।
कोच्येन स्वदेश वापस आने के बाद अनेक दुखः तकनीफें उठाने का बावजूद अपमान का बदला लेने की तैयारियों में जुट गया। फ़ू छाए घमंडी बन गया। उसने अपने उत्तरी पड़ोसी पर हमला करने के लिए सेना भेज दी और बड़े पैमाने पर निर्माण परियोजनाएं आरम्भ कर दी। उसने लिडंयेन पर्वत पर "क्वानवा महल" अपनी सबसे प्रिय रखैल शीश के लिए खड़ा करवाया। कूसू पर्वत पर स्थित गगनचुम्बी कूसू मंडप भी तैयार हुआ और 150 किलोमीटर की दूरी से भी साफ देखा जा सकता था। जब ऊ चिश्वी ने फ़ू छाए की आलोचना की तब फ़ू छाए ने उसे आत्महत्या करने का आदेश दिया।
ईसा पूर्व 473 में य्वे राज्य ने ऊ राज्य पर हमला बोल जीत हासिल की, इसके चलते राजा फ़ू छाए ने आत्महत्या कर ली। ऊ और य्वे राज्यों के पतन की कहानी पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ती रही। छिन राजवंश के प्रथम सम्राट(ईसा पूर्व 221-ईसा पूर्व 207) ने दक्षिण की अपनी यात्रा के दौरान मंडप का दौरा किया तथा हान राजवंश(ईसा पूर्व 206-ईसा पूर्व 220) का इतिहासकार सीमा छ्येन "थाए" झील देखने के लिए इस मंडप के खंडहरों में भी गया। थाडं राजवंश के कवि ली पो ने (701-762) वहां रिहायश के दौरान अपनी एक श्रेष्ठ कृति में लिखा-- "विलो के पेड़ खंडहरों के आसपास उगे हैं। सिंघाड़े का गीत वसंत की मनोहरता से होड़ लगाता है। अब यहां सिर्फ एक रजन सा चमकता चांद है, जो कभी ऊ के महल पर चमकता था।"