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चीन में छोटे बच्चों के लिए बने बिल्ली के सिर की तरह दिखने वाले हस्तनिर्मित कपड़े के जूतों के पीछे एक बहुत पुराना इतिहास है। हर जूते के आगे बिल्ली के सिर के पैटर्न की कढ़ाई की जाती है और तलवों को सिला जाता है। पारंपरिक चीनी हस्तकला और सिलाई, नीडलवर्क (कशीदाकारी) कौशल का उत्कृष्ट नमूना इससे बेहतर देखने को नहीं मिल सकता। इन्हें बच्चों को पहनाने के पीछे यह कारण माना जाता है कि इसे पहनने से वे आपदाओं से दूर रहेंगे, बुरी नज़र और बलाएँ उनके पास नहीं फटकेंगी। इन जूतों के पहनने से उसका लक गुड होगा और अपार धन-संपत्ति पाने में उसे मदद मिलेगी। ये जूते चीन की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किए गए हैं।
इसके पीछे जो किंवदंती है, उसके बारे में भी आपको बताते हैं।
800 सालों से मध्यचीन के हनान प्रांत के निवासियों द्वारा इन जूतों को पहनने की परंपरा चली आ रही है। वहां के नवजात शिशुओं को बिल्ली के सिर के डिजाइन वाले कपड़े के जूते पहनाए जाते हैं। उस प्रांत में रहने वाले चीनियों का सदियों से मानना है कि अगर कोई शिशु कम से कम तीन जोड़े बिल्ली के सिर के डिजाइन वाले जूते पहनता है तो उसे अपने जीवन में गुड लक की प्राप्ति होगी। कुछ मंझी हुई, चतुर व समझदार महिलाएँ जूतों के लिए बिल्ली के सिर के पैटर्न वाले डिजाइनस बनाती हैं। कुछ महिलाएँ रेशमकीट के कोकूनों को बिल्ली के आँख और नाक के आकार में काटकर और उन पैटर्नस पर रंगीन रेशम के धागों से कढ़ाई करती हैं। जब ये जूते तैयार हो जाते हैं तो किसी कलाकृति से कम नहीं लगते। इसके अलावा ये मुलायम जूते बच्चों के पैरों की रक्षा भी करते हैं।
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क्यों बच्चों को कैट-हैड जूते पहनने चाहिए? इसके पीछे जो किंवदंती है वह यह कि बहुत साल पहले बिल्ली को जानवरों का राजा माना जाता था। वास्तव में बिल्ली को इतना सम्मान और उच्च स्थान दिया जाता था क्योंकि वह केवल स्मार्ट ही नहीं बल्कि सभी जानवरों को एक जैसा आदर-सम्मान देती थी। हालांकि, बाघ जानवरों का राजा बनना चाहता था और उसने बिल्ली का प्रशिक्षु बनने के लिए भी सहमति व्यक्त की। ताकि वह उससे "मार्शल आर्ट" सीख सके। बिल्ली ने भी लगभग सभी तरह के गुर बाघ को सीखा भी दिए थे। जिनमें उछलना, पकड़ना और अपनी पूंछ को हिलाना था। वह धीरे-धीरे अभिमानी हो गया और बाघ बिल्ली से छुटकारा पाने का फैसला करने लगा। एक दिन बाघ ने बिल्ली पर हमला करने की कोशिश की। लेकिन बिल्ली झट उसके हमले से बचने के लिए पेड़ की चोटी पर चढ़ गई और उसके हमले से बाल-बाल बच पाई। (यह गुर बिल्ली ने उसे बुरे दिल वाले जानवर को नहीं सिखाया था।)
शर्मिंदा बाघ पहाड़ों की गहराइयों में जाकर छिप गया। आज तक, कई लोग खासकर हनान प्रांत के ग्रामीण निवासी बिल्लियों को पालतू जानवर के रूप में रखते हैं क्योंकि यह चूहों को पकड़ने में मदद करती है जो लोगों का भोजन चोरी कर, उनके कपड़े और फर्नीचर नष्ट कर देते हैं। कई माता-पिता अपने बच्चों के पैरों में कैट-हैड जूते पहनाते हैं इसी उम्मीद से कि उनके बच्चे भी बिल्ली की तरह स्मार्ट होंगे और अपने ऊपर आने वाली आपदाओं को आशीर्वाद में तब्दील करने में सक्षम होंगे।
अब बात करते हैं इस शानदार कौशल के बारे में।
लुओह, हनान में एक शहर के फनझाए गाँव के झाओलिंग जिले में 96 वर्षीय हू छियांग रहती हैं जो 70 सालों से अधिक वर्षों से बिल्ली के सिर के आकार के कपड़ों के जूते बनाती हैं। इस उम्र में भी हू अच्छी तरह से सुन और देख सकती हैं। बहुत से लोग उनकी शानदार कशीदाकारी से बेहद प्रभावित हैं। हू ने अपनी माँ, दादी और चाची से बिल्ली के सिर के पैटर्न के कपड़े के जूते बनाना तब सीखा जब वे छोटी लड़की थीं। जब वे 14 साल की हुई तब वे बड़ी कुशलता से जूतों पर कढ़ाई कर सकती थीं। उस समय लोग बहुत गरीब थे और गाँव में लगभग हर लड़की कपड़े सिलने के लिए सिलाई सीखती और अपने परिवार के लिए कपड़े के जूते बनाती थी।
बुजुर्ग महिला ने कहा कि पुराने समय में एक महिला को जितनी अच्छी तरह से कशीदाकारी आती है, वह उतनी ही अच्छी गृहणी होगी, ऐसा माना जाता था। कै़ट-हैड जूते बनाना कोई आसान काम नहीं है। आमतौर पर एक जोड़ी जूते बनाने में 4 से 5 दिन का समय लग जाता है। इस प्रक्रिया में कई चरण हैं जैसे पुराने कपड़े के टुकड़ों को एक साथ तलवों से सिलना, फिर ऊपरी हिस्सा बनाना और कैट-हैड के पैटर्न का जूतों के ऊपर कढ़ाई करना।
हू की सिलाई किट में 10 से ज्यादा रंग होते हैं। बिल्ली की आँखे, मुँह, नाक और कान को जूतों पर कढ़ाई करना अपने आप में एक अनूठी कला है और इसके लिए अलग-अलग रंग के धागों की आवश्यकता होती है, बुजुर्ग महिला ने ज़ोर देते हुए कहा। अगर रंग के अच्छे मिलान में आप असफल रहते हैं तो बिल्ली बदसूरत दिख सकती है। जहाँ उसकी आँखें सुस्त और चपटी नाक होगी। 70 सालों से अधिक का कशीदाकारी में अनुभव रखने वाली हू, शानदार कपड़े के जूते बनाती हैं। न जाने कितने सालों तक वे एक साल में 30 से अधिक कैट-हैड कपड़े के जूते बनाती रहीं। 80 साल की उम्र के बाद से वे अब इतने जूते नहीं बना पातीं। हू ने अपने पड़ोसियों के बच्चों के लिए भी बहुत सारे कपड़े के जूते बनाकर दिए हैं।
करीब सात साल पहले, हू ने एक स्थानीय मेले में अपने हाथों से बने जूते बेचे तो कई लोग उसके आस-पास इकट्ठा होकर उसकी शानदार कारीगरी तो देखकर हैरान थे। थोड़ी ही देर में हू के हाथों से बने जूते हाथों-हाथ बिक गए। करीब एक साल तक अपना पेट भरने के लिए उसने वहाँ से पर्याप्त पैसे कमाए। हू का कहना है कि अब जब मैं बूढ़ी होती जा रही हूँ तो मैं अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए जूते बना रही हूँ न कि उन्हें मेले में बेचने के लिए। आज मैं डरती हूँ कि पारंपरिक हस्तकला को सीखने के लिए उत्तराधिकारियों का मिलना मुश्किल हो गया है क्योंकि गाँव के युवा और मध्यम आयु वर्गीय ग्रामीणों के पास इस कला को सीखने का वक्त नहीं है। अधिकतर लोग शहरों में जाकर शारीरिक श्रमिकों का काम करने लगे हैं ताकि वे अपने परिवार का समर्थन कर सकें।
हाल के वर्षों में लोगों के जीवन में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। चीनी उपभोक्ताओं के पास अब अधिक से अधिक खरीदारी के विकल्प हैं। नतीजतन, इस तरह के पारंपरिक हस्तकला चीज़ों कि जैसे कैट हैड जूतों की बाज़ार में मांग में काफी गिरावट आई है। सौभाग्य से हाल के वर्षों में कुछ ग्रामीण महिलाओं और जिन महिला श्रमिकों के पास अब काम नहीं है उन्होंने इस तरह के जूते बनाना सीखा है। उन्होंने भी अपने हाथों से बने उत्पादों की बिक्री से बहुत सारा पैसा बनाया है। इस बीच ऐसे लोगों की संख्या में भी वृद्धि देखी जा रही है जो इस तरह के कैट हैड जूतों की तरफ आकर्षित हो रहे हैं जिनमें लोगों की आशा और ज्ञान के अवतरित होने की झलक मिलती है। कुछ स्थानीय सरकारों ने भी ऐसे कदम उठाने शुरू कर दिए हैं जहाँ वे अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करने के उपायों को अपनाएँ।
इसी के साथ आज का कार्यक्रम यहीं तक इंतज़ार कीजिए अगले हफ्ते तक। हेमा कृपलानी लेती है आपसे विदा। नमस्कार