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न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में स्वीकार कीजिए हेमा कृपलानी का नमस्कार।
शब्द "बीजिंग ड्रिफ्टर्स या बीजिंग में भटकते लोग" या जिसे चीनी भाषा में "बेइपियाओ" कहते हैं। उनके लिए कहा जाता है जो बीजिंग में "hukou" के बिना, पंजीकृत निवास की अनुमति के बिना रहते हैं और काम करते हैं। यह एक ऐसा प्रशस्त शब्द है जिसका प्रयोग कॉलेज में पढ़ रहे विद्यार्थी से लेकर संघर्ष कर रहे लोगों के लिए किसी पर भी लागू होता है। आप इसे चीन में 1978 में हुए नीति परिवर्तन और खुलापन के संदर्भ में एक व्याख्या के रूप में समझ सकते हैं, जहाँ प्रवासियों की बढ़ती संख्या देखी जा रही है।
आज के कार्यक्रम में हम कई "बीजिंग ड्रिफ्टर्स या बीजिंग में भटकते लोगों" से मिलेंगे और उनकी महत्वकांक्षाओं और संघर्षों की कहानी सुनेंगे जहाँ वे इस शहर में अपनापन और अपनों को खोज कर रहे हैं। कई दीवाने शहर में आबोदाना ढ़ूँढते हैं, इक आशियाना ढ़ूँढते हैं। कई दिलचस्प कहानियों के लिए तैयार हो जाएँ।
बीजिंग चीन का दिल है। यह देश की राजधानी है और राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक केन्द्र भी। यह वही जगह है जहाँ मौजूद हैं अपार अवसर और संसाधन भी। हर दिन सैकड़ों लोग यहाँ कई सपने और महत्वकांक्षाओं के साथ पढ़ने या काम करने आते हैं। उन्हें "बीजिंग ड्रिफ्टर्स या बीजिंग में भटकते लोग" कहा जाता है क्योंकि वे अक्सर बीजिंग की परिधि में घुमते या भटकते रहते हैं क्योंकि उनके पास रहने के लिए कोई एक निश्चित जगह नहीं होती और जहाँ किराए सस्ते होते हैं वे वहीं रहने जाते हैं। कुछ यहाँ ठीक-ठाक ढंग से रह पाते हैं तो कुछ असफल रहते हैं। लोग आते हैं–जाते हैं, अपने उत्साह और उद्यम के साथ युवा इस शहर में कई अलग-अलग रंग भरते जाते हैं।
झंग शुचिन "बीजिंग ड्रिफ्टर्स या बीजिंग में भटकते लाखों लोगों" में से एक हैं। वह उत्तर पूर्व चीन में हेलोंगजियांग के अपने पैतृक प्रांत से दस साल पहले बीजिंग आईं थीं। बीजिंग में अस्थायी आबादी के बहुमत से विपरीत, झंग बीजिंग में अपनी रिटायरमेंट के बाद आईं। इस विश्वास के साथ की अवकाश ग्रहण करने के बाद जीवन की एक नई शुरुआत होती है।
यह हैं झंग शुचिन, एक अनुभवी रेडियो नाटक निर्देशक जो करीब अस्सी साल की हैं। जो कुछ युवा आवाज़ अभिनेताओं को रेडियो अभ्यास करने में मदद कर रही हैं। जो लोग रेडियो नाटक, रेडियो ड्रामा या रेडियो थिएटर से अनजान हैं। उन्हें बता दें कि यह एक नाटकीय, ध्वनिक प्रदर्शन, रेडियो पर प्रसारित होने वाला या ऑडियो टेप या सीडी के रूप में ऑडियो-मीडिया पर प्रकाशित किया जाता है। जहाँ कोई दृश्य नहीं, रेडियो नाटक संवाद, संगीत और ध्वनि प्रभावों की मदद से श्रोताओं को पात्रों और कहानी की कल्पना करने में मदद करते हैं और वे इन पर निर्भर होते हैं।
चीनी रेडियो नाटक...............................
झंग शुचिन ने 1959 की शुरुआत से ही हार्बिन शहर में हेलोंगजियांग प्रांतीय रेडियो स्टेशन पर बतौर रेडियो नाटक निर्देशक के रूप में काम करना शुरू कर दिया था उसके दो साल बाद रेडियो बीजिंग ने अपने श्रोताओं के लिए ऑडियो मनोरंजन पेश करना शुरू किया था। अपने चार दशकों के लंबे करियर के दौरान झंग को कई उपलब्धियाँ हासिल हुईं और कई पुरस्कारों से उन्हें सम्मानित किया गया। दोनों राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें कई पुरस्कार मिले। चीन की पहली और वरिष्ठ रेडियो नाटक निर्देशकों में से एक के रूप में झंग से उम्मीद की जा रही थी कि वे सेवानिवृत्त होने के बाद अपने व्यस्त और फुलफिलिंग करियर को पूरा करने के बाद बाकि का जीवन आराम और आनंद के साथ बिताना चाहेंगी। लेकिन इन वरिष्ठ नागरिक ने ऐसा न कर अपने जीवन में एक नया अध्याय शुरू करने का फैसला किया। उन्होंने बीजिंग आने का फैसला लिया और अपने सपने को पूरा करते हुए सेवानिवृत्ति के बाद अपने जीवन में एक नया अर्थ खोजने का फैसला किया। "मेरे कई दोस्तों ने मुझसे कहा कि तुम क्यों घर पर नहीं रहती और अपने जीवन का आनंद लेती। आपके पास पैसे की कमी तो है नहीं। तो मेरा जवाब था कि तुम मुझे बहुत अच्छी तरह जानते हो, किस तरह की इंसान हूँ मैं। मुझे अपने काम से कितना प्यार है और मैं अपने रेडियो जॉब से कितना प्यार करती हूँ। मुझे हमेशा व्यस्त रहना अच्छा लगता है और नई चुनौतियों का सामना करना पसंद है। अगर मैं घर पर रही और मेरे पास करने को कुछ नहीं होगा तो मुझे बहुत बुरा लगेगा। सबकी स्थिति अलग है। मैं किसी से अपने सेवानिवृत्ति के बाद आरामदायक जीवन का त्याग करने के लिए नहीं कह रही और न ही यह कह रही हूँ कि आप मेरी तरह उम्र के इस पड़ाव पर एक अनजान शहर में जाकर अपना नया जीवन शुरू करो। लेकिन मेरी इच्छा है कि मैं अपने दिल की सुनूँ और बीजिंग आऊं।"
लेकिन झंग शुचिन का बीजिंग में पहला एनकॉउंटर या मुठभेड़ कोई आसान नहीं थी। उन्हें आज भी बहुत अच्छी तरह याद है कि यहाँ आने के बाद पहले दिन उनके साथ क्या हुआ था। उन्होंने बताया कि
"मेरे एक दोस्त बीजिंग में काम कर रहे थे और उसने मुझे अपने यहाँ रहने के लिए जगह दी। हमने यह सारी बातें फोन पर तय कीं। बीजिंग पहुँचने के बाद मैं जैसा तय हुआ था मैं उसकी बेटी के दफ्तर घर की चाबी लेने के लिए गई। दोपहर बाद तक उसकी बेटी दफ्तर में नहीं आई। उसने बिना कुछ सुने और सोचे, बड़े ठंडे तरीके से मुझसे कहा कि मैं अपना इंतज़ाम कहीं और कर लूँ क्योंकि उसने वह घर किसी और को किराए पर देने का फैसला किया है।"
हालांकि झंग को निराशा हुई लेकिन उन्होंने उसे ज्यादा अपने दिल पर नहीं लिया क्योंकि वे कभी दूसरों से इतनी उम्मीद ही नहीं रखती कि उन्हें निराश या दुखी होना पड़े। किसी और की दया पर निर्भर रहना नहीं आता उन्हें। लेकिन एक तथ्य जिसे उनको परेशान किया वह यह था कि अधिकतर कंपनियाँ उन्हें उनकी उम्र के कारण काम नहीं देना चाहती थी।
बीजिंग टी.वी स्टेशन के साथ अपनी पहली नौकरी का इंटरव्यू याद करते हुए उन्होंने बताया।
"BTV के मानव संसाधन के लोगों ने मुझे एक फार्म भरने के लिए दिया जिसमें मेरे पिछले काम के अनुभव के साथ मेरी उम्र भी भरने के लिए कहा गया। मुझे लगता था कि हेलंगजियोंग रेडियो स्टेशन पर मेरा काम काफी प्रभावशाली था लेकिन उन्होंने मुझे मेरी उम्र के कारण तुरंत ठुकरा दिया था।" BTV से बाहर आते समय झंग की आँखों में आँसू थे और वे यह समझ नहीं पा रही थीं कि क्यों उनके अतुल्य अतीत को पूरी तरह नज़रअंदाज़ किया गया और क्यों उनकी उम्र इतना महत्व रखती है। उस पल उन्हें ऐसा लगा कि वे उस बूढ़ी घोड़ी की तरह है जिनके दाँत और अयाल(बालों) की बाजा़र में अच्छी तरह जाँच के बाद भी उनके लिए कोई खरीददार नहीं है बाजा़र में।
जब उन्होंने फोन कर अपनी विफलता के बारे में हार्बिन में अपने परिवार को बताया तो उन्होंने उनसे वापस लौटने के लिए कहा। कई बार ठुकराए जाने के बाद झंग की हिम्मत भी टूट गई और उन्होंने वापस जाने का फैसला भी कर लिया था। "मैं हार्बिन की ट्रेन में बैठ भी गई थी और वह चलने भी थी। उस समय मुझे बहुत भयानक विचार आया मुझे लग रहा था कि मैं एक ऐसे कायर सैनिक की तरह हूँ जो युद्ध शुरू होने के समय मैदान छोड़कर भागना चाहता है। मैंने अपने आप से कहा कि मैं कायर नहीं, भगोड़ी नहीं। मैंने अपना इरादा बदल दिया और बीजिंग में अपने आपको एक और मौका देने का फैसला किया।"
झंग गाड़ी से उतर गईं। अपनी नौकरी की उम्मीदों को कम करने के बाद, झंग को पहली नौकरी बतौर कला शिक्षिका एक बालविहार में मिली। पश्चिमी बीजिंग में युचुआन रोड पर स्थित था यह बालविहार। "मैं बच्चों को एक्टिंग सीखाती थी। हर दिन आठ घंटे और चार कक्षाएँ एक साथ। मेरी उम्र के किसी व्यक्ति के लिए यह थकाने वाला काम था लेकिन वह मुझे खुशी देता और लगता कि मैने कुछ पाया है।" झंग के कई सहकर्मी उसकी व्यावसायिकता और सकारात्मक दृष्टिकोण से प्रभावित थे। वे उसकी अद्वितीय निर्देशन शैली और प्रभावी शैली के कायल थे। वे झंग की मानसिकता के दिवाने थे जिस कारण वह अपनी उम्र से बहुत छोटी लगती थी। इसके अलावा अस्सी वर्ष की उम्र में भी उनकी आवाज़ एक जवान महिला की तरह लगती थी। झंग अब एक मीडिया कंपनी में काम करती हैं और अधिकतर समय बीजिंग में ही बिताती हैं। कभी-कभी उनके पति और बच्चे भी उनसे मिलने आते हैं। झंग कहती है कि वे बीजिंग में अपने रोज़मर्रा के जीवन का आनंद उठा रही हैं। "मुझे सोमवार से शुक्रवार एक से नौ बजे तक काम करना पड़ता है। लेकिन मैं आमतौर पर सुबह नौ बजे तक अपने कार्यालय पहुँच जाती हूँ। मैंने कल क्या किया था और मैं आगामी क्या करने वाली हूँ। मैं लिख लेती हूँ आखिर मैं बूढ़ी हूँ और अपनी स्मृति से अधिक मैं लिखित मेमो पर विश्वास करती हूँ।" कभी-कभी वरिष्ठ प्रसारणकर्ता अफसोस जताते हैं कि रेडियो नाटक अब उतने लोकप्रिय नहीं जितने हुआ करते थे। उन्हें उन सुनहरे दिनों की याद आती है जब चीन में रेडियो ड्रामा की धूम मची थी।"
1950 के दशक में हेलोंगजियांग रेडियो स्टेशन देश में रेडियो नाटक प्रसारकों के बीच उच्च स्थान रखते थे। हमने कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीते और प्रतियोगिताओं के लिए विदेश जाने के कई मौके मिले। मुझे भी इटली और जापान में आयोजित पुरस्कार समारोह में भाग लेने का मौका मिला। उन्होंने अपने रेडियो जीवन में कई ऐसे खूबसूरत पल देखें हैं। जिनकी अगर बात करने लगें तो न जाने कितना समय लग जाएगा।
झंग का कहना है कि वे अपने जीवन में मिली उपलब्धियों या पूर्व ख्याति को लेकर ही नहीं बैठ जाना चाहतीं। जो हो गया सो हो गया। जो बीत गया वो कल था और जीवन आगे बढ़ने का नाम है। अब झंग के लिए यह बहुत खुशी की बात है कि वे शारीरिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ और सक्षम हैं। इसे वे ईश्वर का आशीर्वाद मानती हैं कि वे अब भी रेडियो क्षेत्र में काम कर सकती हैं जिसे वे अपनी दिल की गहराइयों से प्यार करती हैं। और डिजिटल रिकॉर्डिंग और इंटरनेट वितरण क्षेत्र में हुई प्रगति को धन्यवाद जिस कारण रेडियो नाटक का एक बार फिर से पुनरुद्धार हो रहा है। झंग के शब्दों में अगर कहें तो कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कितने पैसे कमाती हैं, अपने काम से उन्हें कितनी खुशी और संतुष्टि प्राप्त होती है। यह उनके लिए ज्यादा मायने रखती हैं। चलिए, उम्मीद करते हैं झंग शुचिन आवाज़ की मज़ेदार दुनिया में यूँ ही काम करते हुए अपने जीवन का आनंद ले सकें।
आज के इस कार्यक्रम में हम आपको चीन की राजधानी में अपने सपनों को पूरा करने आई अस्थायी आबादी में से कई प्रभावशाली हस्तियों के बारे में बता रहे हैं। चीन में वर्किंग क्लास यानी कामकाजी वर्ग दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से तेज़ी से बढ़ रहे प्रभावशाली समूह में से एक मानी जाती है। वे कई उम्मीदों के साथ देश के कई भागों से उठकर यहाँ आकर बहुत मेहनत करते हैं ताकि उनका सपना साकार हो सके। अब हम लांनतु कंपनी में काम करने वाले अलग-अलग उम्र के कार्यकर्ताओं जिनमें एक निर्माता, पेंट और कोट के आपूर्तिकर्ता और ठेकेदार से बात करते हैं।
यांग शिंगवेई लांनतु में एक कलर मेकर की तरह काम करते हैं। उनका काम कंपनी के ग्राहकों के लिए कच्चे पेंट के रंग मैच करना और उनका मिश्रण तैयार करना है। उनकी उम्र केवल 27 साल है लेकिन इस उद्योग में काम करते हुए उन्होंने लगभग अपने जीवन का एक तिहाई समय यहीं दिया है। " मुझे लगा कि स्नातक स्तर की पढ़ाई करने के बाद कुछ कौशल सीखना चाहिए तो 2005 में बाओदिंग से मैं बीजिंग आ गया और रंगों-पेंटों के बारे में सीखना शुरू किया। रंगों के साथ काम करने के लिए बहुत धैर्य और शांति की आवश्यकता होती है। कई–कई बार मुझे कई दिनों तक ग्राहकों की पसंद का रंग तैयार करने में लग जाते हैं। अब, यांग शिंगवेई का अपनी छोटी टीम है और वह युवा कर्मियों को सही तरीके से रंग पेंट करना सीखाता है। उसके कौशल की उसके बॉस और ग्राहकों द्वारा सराहना की जाती है। हालांकि, उन्होंने कहा कि आज जो वे हैं उसे बनने में उन्हें वर्षों का समय लगा है।
"बीजिंग में आने के बाद मैं कई दिनों तक अवसाद से घिरा रहा। मुझे यहाँ आए तीन साल का समय हो गया था। उस समय मेरे पास पैसे इतने नहीं थे। मेरे पास पर्याप्त अनुभव भी नहीं था और खुद पर विश्वास भी नहीं, इसलिए मुझे लगता था कि मैं यहाँ रहूँ कि नहीं। सौभाग्य से मैंने यहाँ रहना चुना।" यांग शिंगवेई ने कहा कि मेरा सपना है तो काफी सरल लेकिन उसे पूरा करने के लिए आवश्यकता है कड़ी मेहनत की।
कौन अच्छा जीवन नहीं जीना चाहता। मेरा सपना है कि मैं अपने परिवार के साथ एक बेहतर जीवन जी सकूँ। तो उसके लिए मुझे करना पड़ेगा ढेर सारा परिश्रम और सीखना पड़ेगा बहुत कुछ।
हालांकि, झांग यूचिंग इनकी तुलना में अधिक महत्वकांक्षी हैं। वे हैं तो यांग शिंगवेई की उम्र की। झांग यूचिंग वर्तमान में लांनतु में आईटी प्रोग्रामर हैं। वेबसाइट प्रबंधन और औद्योगिक समाचार संग्रह की प्रभारी हैं। उनका सपना है कि वे अपना खुद का व्यवसाय शुरू करें।
"मैं अपना खुद का ब्रांड बनाना चाहती हूँ जिसकी पूरी देश में प्रतिष्ठा हो। मैं आशा करती हूँ कि यह फैशन या भोजन का कोई ब्रांड हो। मेरी योजना है कि ई वाणिज्य के साथ परंपरागत दुकानों का गठबंधन हो। इन दो तरीकों से दोनों एक-दूसरे का फायदा उठा सकते हैं।
झांग यूचिंग जानती हैं कि व्यवसाय शुरू करना कोई आसान काम नहीं है। प्रारंभिक पूंजी की आवश्यकता है, बाजा़र अनुसंधान की जरुरत है और धीरे-धीरे अपने व्यवसाय का निर्माण करने की जरुरत है। फिर भी वे इस योजना से खुश हैं और आगे इस तरफ बढ़ते रहना चाहती हैं।
"कुछ लोग सिर्फ काम को काम के रूप में देखते हैं, लेकिन मैं अपनी पसंद से काम करती हूँ। व्यक्तिगत विकास के लिए काम महत्वपूर्ण है और भागीदार भी महत्वपूर्ण हैं। अपने सपने को साकार करने के लिए आपको दूसरों से समर्थन की जरूरत है।"
झांग युचिंग जैसे लोग उच्च आय के बारे में सोचते हैं और अपनी क्षमताओं की खोज कर रहे हैं। वहीं 38 साल की शू बिंग, अपेन जीवन में कई मोड़ और बदलावों के बाद एक स्थिर जीवन है जी पा रहे हैं। क्या है अब उनके मन में, क्या समाज के लिए कुछ और अधिक करना चाहते हैं।
शू बिंग ने अपने चित्रकार और डेकोरेटर पिता से सीखा है। बहुत ही छोटी उम्र में उन्हें पेंट की समझ प्राप्त हुई। वे हुआंगान्ग, मध्य चीन के हुबेई प्रांत में अपने गृहनगर से एक दशक पहले बीजिंग आए थे। वे अब लकड़ी की सतहों के लिए विशेष पेंट उत्पादन के प्रबंधन अधिकारी हैं। शू का मानना है कि उनका काम उनके ग्राहकों को अपने घर में कैसा महसूस होता होगा इसमें योगदान देने में मदद करता है।
कुछ लकड़ी के फर्नीचर सज्जाकार ऐसे मजबूत गंध के पेंट का उपयोग करते हैं जो पर्यावरण के लिए नुकसानदेह हैं। 38 साल के शू उम्मीद करते हैं कि वे लांनतु के क्लीनर रंग के साथ काम करना पसंद करते हैं औऱ वे पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल पेंट बनाने की ओर काम कर रहे हैं। और सच में उनका सपना बहुत वास्तविकता उन्मुख है।
अब बात करते हैं एक ऐसे व्यक्ति की जिन्होंने देश में होते कई परिवर्तनों को देखा है। पचपन वर्षीय वांग लियांगांग ने कई नौकरियाँ कीं। वे एक सिपाही, एक सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारी और एक व्यापारी रह चुके हैं। वे दो दशकों से अधिक समय से चित्रकला और कोटिंग के उद्योग में काम कर चुके हैं। मूल रूप से वे अब लांनतु में प्रबंधन का काम कर रहे हैं। एक व्यापारी के रूप में, वांग लियांगांग का मानना है कि एक अच्छा व्यापार का आयोजन दूसरों की आकांक्षाओं को पूरा करने वाले एक वाहन की तरह होता है।
"मेरी राय में, एक व्यापारी का उद्देश्य समाज को बेहतर बनाना होना चाहिए। व्यापार को बढ़ाते हुए और कर्मचारियों को अमीर बनाते हुए और लोगों को अच्छे उत्पाद प्राप्त कराने के लिए सक्षमहोना चाहिए। और प्राकृतिक आपदाओंके समय एक व्यवसायी को हमेशा मदद करनी चाहिए।"
वांग लियांगांग कहते हैं कि मेरा व्यक्तिगत सपना या उद्देश्य निजी हो सकता है, लेकिन जनता के लाभ के लिए योगदान करना इसके लिए हर किसी को काम करना चाहिए और ऐसी सबकी आकांक्षा होनी चाहिए।
"मैं उम्मीद करता हूँ कि मैं अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रख सकूँ और उम्मीद करता हूँ कि हमारा देश समृद्ध,मजबूत, एकजुट और स्थिर हो सके। ऐसी सबकी वांछित उपलब्धि होनी चाहिए।" होप्स और सपने खाली अवधारणाएँ नहीं हैं। वे लोगों को प्रोत्साहित करते है वह पाने के लिए जो वे पाना चाहते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनकी उम्र कितनी है या वे कहाँ से आते हैं। सपने युवाओं को कड़ी मेहनत और प्रयासों की कीमत समझाते हैं। सपने बेहतर जीवन के लिए, आप कहाँ होना चाहते हैं उसका निर्माण करने में अपना योगदान देते हैं। ड्रीम्स एक समान लक्ष्यको पाने के लिए एक साथ काम करने के लिए मित्रों और भागीदारों को आकर्षित करते हैं। सपने सिर्फ खुद पर ध्यान केंद्रित नहीं करते, वे हमें अन्य लोगों के बारे में भी सोचने के लिए प्रेरित करते हैं।
चीनी स्वप्न भी 1.3 अरब चीनी लोगों द्वारा दिन रात की अथक मेहनत के बाद पूरा होगा। जो उनकी कल्पना, इच्छाशक्ति और सबसे महत्वपूर्ण बात, अपने भविष्य को लेकर खुद पर और देश पर विश्वास इस स्वप्न को अवश्य पूरा करेगा।
इसी उम्मीद के साथ मैं हेमा कृपलानी लेती हूँ विदा इस वादे के साथ, अगले मंगलवार आप और हम होंगे साथ-साथ यहीं न्यूशिंग स्पेशल के साथ।