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चीनी प्रधान मंत्री ली ख छांग सोमवार को सुबह रूमानिया के लिए पेइचिंग से रवाना हो गए हैं। रूमानिया में वो चीन-मध्य पूर्वी यूरोप शीर्ष सम्मेलन में भाग लेंगे और मध्य पूर्वी यूरोप के 16 देशों के नेताओं के साथ चीन-मध्य पूर्वी यूरोप सहयोग के स्तर की उन्नति पर रायों का आदान-प्रदान करेंगे तथा मध्य पूर्वी यूरोपीय देशों के साथ सहयोग के चीन के कदमों का स्पष्टीकरण करेंगे।
पिछले साल अप्रैल माह में चीन और मध्य पूर्वी यूरोपीय देशों के नेताओं ने वार्सा में अपनी पहली बैठक बुलाई थी और इसमें चीन-मध्य पूर्वी यूरोप के संबंधों को प्रगाढ बनाने के 12 कदम तय किए गए थे। इसके एक साल से अधिक समय बाद चीन और मध्यपूर्वी यूरोप की दूसरी शीर्ष बैठक होने वाली है। यह पहली बार है कि चीन की नई सरकार मध्यपूर्वी यूरोपीय देशों के साथ सहयोग करने की योजना बना रही है।
नई पृष्ठभूमि में चीन-मध्यपूर्वी यूरोप सहयोग किस तरह का मौका देख रहा है? और चीन-मध्यपूर्वी यूरोप संबंधों को आगे बढाने से चीन-यूरोप सहयोग को कौन-सी प्रेरकशक्ति मिलेगी?इन प्रश्नों के उत्तर में चीनी आधुनिक अंतर्राष्ट्रीय संबंध अनुसंधान प्रतिष्ठान के यूरोपीय मामला कार्यालय की शोधकर्ता सुश्री वांग ली ने कहा कि चीन के साथ सहयोग बढाना, खासकर आर्थिक एवं व्यापारिक सहयोग करना मध्यपूर्वी यूरोपीय देशों के आर्थिक विकास के स्रोतों के विविधीकरण के हित में है। मध्यपूर्वी यूरोप में पश्चिमी यूरोप के बाजार और निवेश पर निर्भर करने वाला आर्थिक विकास का ढांचा बना है। लेकिन वित्तीय संकट आने के बाद पश्चिमी यूरोप का अर्थतंत्र कठिनाई में फंस गया है, उसका बाजार सुस्त हो गया है और उसकी भारी-भरकम पूंजी मध्यपूर्वी यूरोप से वापस ले ली गई है। इससे मध्यपूर्वी यूरोप के अर्थतंत्र को बड़ा झटका लगा है। इस तरह मध्यपूर्वी यूरोप चाहता है कि चीन के साथ सतत सहयोग करने से उन के अर्थतंत्र को नये बाजार और पूंजी के साथ-साथ विकास की नई प्रेरकशक्ति भी मिल जाए।
सुश्री वांग ली ने कहा कि मध्यपूर्वी यूरोप के पीछे यूरोपीय संघ का बड़ा बाजार है। इस लिहाज से मध्यपूर्वी यूरोप खासकर मध्य यूरोपीय देशों की श्रमिकों की लागत में वरीयता बरकरार है। मध्य यूरोप यूरोप का कारखाना माना गया है। वह चीनी उद्योग-धंधों और चीनी उत्पादों के पश्चिमी यूरोप के बाजार में प्रविष्ट होने का सेतु बन सकता है। दूसरी ओर मध्यपूर्वी यूरोप विकसित देशों से घिरे विकासशील देशों का है, जहां अर्थतंक्ष अपेक्षाकृत पिछड़ा है, निर्माण की गुंजाइश अपेक्षाकृत ज्यादा है और बुनियादी सरंजामों की जरूरत भी अपेक्षाकृत बड़ी है। और एक ध्यान देने योग्य बात है कि मध्यपूर्वी यूरोप यूरोपीय संघ में एक नवोदित बाजार के रूप में देखा जा रहा है। मध्यपूर्वी यूरोपीय देश स्थिरता, शिक्षा औऱ नए सृजन की दृष्टि से दक्षिण अफ़्रीका और ब्राजील जैसे उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों से बेहतर हैं। खास बात यह है कि मध्यपूर्वी यूरोपीय देशों में अब तक 50 से अधिक लोगों को नौबल पुरस्कारों से सम्मानिक किया जा चुका है।
सुश्री वांग ली ने यह भी कहा कि चीन-यूरोप सहयोग की नई शुरूआत के रूप में चीन-मध्यपूर्वी यूरोप सहयोग से चीन-यूरोप रिश्तों के सतत एवं संतुलित विकास को नई और बड़ी प्रेरकशक्ति मिलेगी। चीन-यूरोप रिश्तों के ढांचे में अगर 28 सदस्यीय यूरोपीय संघ को एक जहाज-बेडे के रूप में देखा जाए, तो चीन-यूरोपीय संघ के समग्र रिश्तों का अच्छा विकास इस बेड़े को आगे बढने की सही दिशा दिखा सकती है और चीन तथा मध्यपूर्वी यूरोपीय देशों समेत यूरोपीय संघ के सभी सदस्यों के बीच आपसी लाभ वाले सहयोग से इस बेड़े में शामिल हरेक जहाज को आगे बढने की जबरदस्त शक्ति मिल सकती है।