क्वांगतुंग चीन के दक्षिणी छोर पर स्थित एक सुन्दर तटीय प्रांत है, जो हांगकांग और मकाओ से जुड़ा है। भाषा, इतिहास और संस्कृति में उसकी अपनी विशेषताएं हैं। हां पाक-कला संस्कृति का एक भाग है। क्वांगतुंग पाक-कला चीन की चार प्रमुख पाक-कलाओं में से एक है। इसकी शुरूआत ईसा पूर्व 221 से ईसा पूर्व 207 तक के छिन राजवंश से हुई थी। वर्ष 1127 से 1279 तक के सुंग राजवंश के दौरान बहुत से शाही खानसामों ने देश के उत्तरी हिस्से से दक्षिण में स्थिति क्वांगतुंग प्रांत पलायन किया, जिसके कारण क्वांगतुंग पाक-कला का इतना विकास हुआ। वर्ष 1840 से 1842 तक चले अफ़ीम युद्ध के बाद क्वांगतुंग प्रांत विदेशों के लिए सबसे पहले खोला गया चीन का व्यापारिक बन्दरगाह बन गया। ऐसे में क्वांगतुंग प्रांत और विदेशों के बीच व्यापार एवं अन्य आवाजाही बहुत बढ़ गई। इस तरह क्वांगतुंग पाक शैली में पश्चिमी पाक शैली का स्वादिष्ट संगम हो गया।
क्वांगतुंग पाक-शैली के अनुसार पका भोजन क्वांगतुंग व्यंजन कहलाता है। ये न सिर्फ चीन में, बल्कि विदेशों में भी बेहद लोकप्रिय हैं। विदेशों में जो पारंपरिक चीनी व्यंजन मिलते हैं, उनमें से ज्यादातर क्वांगतुंग पाक-शैली में बनाए जाते हैं।
क्वांगतुंग पाक-कला में चीन के विभिन्न क्षेत्रों की पाक-कलाओं की विशेषताओं का मिश्रण है। खास बात यह है कि क्वांगतुंग पाक-शैली में व्यंजन 21 अलग-अलग तरीकों से बनाए जाते हैं, जो तलने, भूनने और उबालने आदि विधियों में बाँटे गए हैं। क्वांगतुंग व्यंजन बनाते समय चूल्हे के ताप पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी है। व्यंजन का स्वाद बहुत हद तक ताप पर निर्भर करता है। व्यंजन के रंग, स्वाद, सुगंध और आकार जैसे चारों पहलुओं में श्रेष्ठ होने के लिए ताप की अहम भूमिका होती है। यहां बता दें, रंग, स्वाद, सुगंध और आकार चीन की अन्य प्रमुख पाक-कलाओं में भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। स्वाद की बात करें तो क्वांगतुंग व्यंजन हल्का, ताजा, नरम औऱ खस्ता होता है।
चीन में एक कहावत है कि बिना चिकन के दावत नहीं होती। क्वांगतुंग पाक-कला के अनुसार चिकन के कई प्रकार के व्यंजन तैयार किए जाते हैं। जैसे नमकीन ड्राई चिकन, सोया सॉस चिकन,उबला हुआ चिकन, नरम उबला हुआ चिकन और ब्लॉन्चड चिकन( बिना खाल वाला चिकन) इत्यादि।
क्वांगतुंग पाक-कला में निपुण श्री चांग शिन ने कहा कि स्वादिष्ट ब्लॉन्चड चिकन
बनाने के लिए महारत हासिल करना ज़रूरी है। उन्होंने कहाः ` सब से पहले चिकन को अच्छी तरह से साफ करें और पानी को उबाल लें, फिर चिकन को उबलते पानी में डालें। 15 मिनट बाद चिकन को पानी में से निकालकर तुरंत ठंडे पानी में डालें। उसके बाद अदरक, नमक एवं सोया सॉस को एक साथ पकाकर इस मिश्रण को चिकन के ऊपर डालकर परोसें।`
हां, सी-फ़ूड, सूप और मिठाइयां भी क्वांगतुंग व्यंजन का अभिन्न भाग है। भोजन करने से पहले सूप पीना क्वांगतुंगवासियों की आदत है।
क्वांगतुंग में चाय-संस्कृति भी बहुत प्रसिद्ध है। चाय का पाक-कला से कोई संबंध नहीं है, फिर भी क्वांगतुंग में चाय के साथ परोसे जाने वाले तरह-तरह के लजी़ज़ केक और नमकीन भी क्वांगतुंग शैली में बनाए जाते हैं। वास्तव में क्वांगतुंग प्रांत में चाय पीने का एक मतलब- भोजन करना है। जब आप क्वांगतुंग जाएँ, तो वहां रेस्तरों, होटलों औऱ चाय-गृहों में `पूर्वाह्न चाय`, `अपराह्न चाय` और `संध्या चाय` उनके मेनू में पढ़ने को मिलते हैं। खासकर दोस्तों या साझेदारों के साथ चाय पीना क्वांगतुंगवासियों के रोज़मर्रा के जीवन का हिस्सा है। कई व्यापारिक सौदे, दोस्तों से गपशप, जानकारियों-सूचनाओं के आदान-प्रदान के साथ कई ज़रूरी काम चाय पीते-पीते निपटाए जाते हैं।
क्वांगतुंग प्रांत की राजधानी क्वांगचो शहर के मशहूर य्वे श्यू पार्क का एक चाय-गृह रोज़ सुबह ग्राहकों से भरा रहता है। सुबह व्यायाम करने के बाद बहुत से लोग यहां आते हैं। हमारे संवाददाता ने यहां चाय पीने आए एक बुजुर्ग ऊ से बातचीत की। अंकल ऊ ने कहा कि सुबह चाय पीना उनके जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है।
`मुझे जैस्मिन चाय (चमेली की चाय) पीना पसंद है। रोज़ सुबह मैं जल्दी उठकर व्यायाम करता हूँ। 8 बजे के बाद मैं यहां चाय पीने आता हूँ, चाय पीने के बाद पार्क में थाड़ी देर टहलता हूं, फिर अखबार पढ़ता हूँ।`
क्वांगतुंग में चाय के साथ तरह-तरह के जायकेदार केक भी परोसे जाते हैं इसलिए यहाँ चाय इतनी लोकप्रिय है। ये केक क्वांगतुंग पाक-शैली में बनाए जाते हैं, जो देखने में सुन्दर और खाने में अति-स्वादिष्ट हैं। विभिन्न आकार और स्वाद के केक की इतनी किस्में मौजूद हैं, जितनी की व्यंजनों की हैं। इसलिए क्वांगतुंग स्टाइल चाय पीने का जो आनन्द मिलता है, वह किसी भव्य भोज से कमतर नहीं।
और एक दिलचस्प बात आपको बताएँ कि चाय की ही तरह सूप भी क्वांगतुंग भोजन संस्कृति का द्योतक है। क्वांगतुंग प्रांत में एक कहावत प्रचलित है- बिना सूप के भोजन करना यानी बिना व्यंजन के भोजन करना। वर्ष में अधिकतर समय मौसम गर्म एवं उमस भरा होता है इसलिए क्वांगतुंग में सूप पीने की परंपरा है। क्वांगतुंगवासी भोजन करने से पहले सूप पीते हैं। वे मानते हैं कि ऐसा करने से पाचन-शक्ति बढ़ती है और स्वास्थ्य ठीक रहता है। मौसम के परिवर्तन के साथ सूप के स्वाद में भी बदलाव किए जाते हैं। ग्रीष्मऋतु और पतझड़ में सूप में ज्यादा मांस नहीं डाला जाता, जबकि सर्दियों और वसंतऋतु में सूप में मांस का ज्यादा प्रयोग किया जाता है। सूप पतला होगा या गाढ़ा, यह मौसम पर निर्भर करता है।
व्यंजनों में सूप इतना महत्वपूर्ण है कि उसे बनाना एक कला बन गया है। हां, चीन में अलग-अलग तरह के सूप कैसे बनाएँ जाते हैं, उनकी पाक-विधि पर बहुत सारी किताबें भी प्रकाशित हुई हैं। वांग श्वन-पो सूप बनाने के शौकीन हैं। जब भी उन्हें फुरसत मिलती है, वे घर में सूप बनाते हैं। उनका मानना है कि बेहतरीन सूप बनाने के लिए बढ़िया बर्तन का ही इस्तेमाल करना चाहिए। पुलाव (मिट्टी की हँड़िया) सूप बनाने के लिए सब से उपयुक्त है। उन्होंने कहाः
`सूप बनाने के लिए मैं हमेशा पुलाव का प्रयोग करता हूं, च्योंकि यह बर्तन बराबर गर्म करता है। मतलब गैस पर रखे इस बर्तन पर तापमान हर जगह एक-समान होता है। इस तरह उसमें डाले गए पानी, मसाले और खाद्य पदार्थ आसानी से और अच्छी तरह से एक-दूसरे में घुलमिल जाते हैं और सूप जायकेदार बनता है।`
वॉटरक्रेस सूप क्वांगतुंग में बहुत लोकप्रिय है। उसे कैसे बनाया जाए? वांग श्वन-पो ने बताया,
इसके लिए हमें चाहिए वॉटरक्रेस, पोर्क पसलियां, गाजर, बादाम, नारंगी के छिलके,खजूर और अदरक। पानी को उबालकर उसमें पोर्क पसलियों को करीब एक मिनट तक उबालें, फिर उबले पानी में से पोर्क पसलियों को निकालें, फिर उसमें अन्य बताईं गई सामग्री को एक साथ पुलाव में डालें, उसमें उचित मात्रा में पानी डालें, पहले तेज़ आंच पर पुलाव में रखी सभी चीजों को उबालें, फिर धीमी आंच पर 2 घंटे तक इसे पकाएँ और अंत में स्वाद के अनुसार नमक डालें। और अब तैयार है आपका सूप, जो फेफड़ों को मजबूत बनाने, खांसी की शिकायत दूर करने और मुँह में थूक की मात्रा को कम करने में मददगार सिद्ध होता है।