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आन हुई की सांस्कृतिक धरोहर---ची श्यी
2013-06-27 19:01:37

ची श्यी एक एतिहासिक स्थल है, वहां के किसी भी गांव में, यहां तक कि रास्ते के पत्थर को भी देखकर ऐसा लगता है कि आप इतिहास में वापस चले गए हैं। ची श्यी वासी अपनी जन्मभूमि के प्रचार में ऐसा कहते हैं। ऐसी बातें सुनकर पर्यटकों की आंखों के आगे पुराना ऐतिहासिक नगर का दृश्य घूमने लगता है।
स्थानीय लोगों को ची श्यी की इस विशेषता पर गर्व हैं। यांग शुआंग ची, ची श्यी के एक मूल-निवासी हैं, अपनी जन्मभूमि की विशेषता के बारे में हमें यह बता रहे हैं
"ची श्यी का हुई चो भोजन अपने आप में विशिष्ट है, जिसका उद्गम स्थल ची श्यी ही है। ची श्यी में कई प्रसिद्ध व्यक्तियों का जन्म हुआ था। साथ ही ची श्यी की इमारतें भी आन हुई शैली का सबसे सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं। उसके अलावा, आन हुई के एक अहम पुराने आर्थिक व सांस्कृतिक शहर के रूप में हुई चो की एक खास बात है स्याही, जिस का स्रोत स्थल भी ची श्यी है।"


ची श्यी आन हुई प्रांत के दक्षिण में स्थित है, जो पुराने हुई चो शहर के छह जिलों में से एक है और हुई चो संस्कृति भी यहां से आई है। वह आन हुई के रसोइयों और हुई चो स्याहियों का घर कहलाता है। हुई चो संस्कृति चीन की तीन क्षेत्रीय संस्कृतियों में से एक है, जिसमें अर्थव्यवस्था, समाज, शिक्षा, साहित्य, कला, शिल्प, निर्माण, चिकित्सा आदि शामिल हैं। भूगोल की दृष्टि से ची श्यी को हुई चो संस्कृति का मुख्य केंद्र माना जाता है। इस लिए हुई चो संस्कृति ची श्यी विशेषताओं से भरी हुई है।
ची श्यी जाकर ऐसा लगता है मानो आप पुराने समय में दोबारा आ गये हैं। वहां की हवा, घर ,दीवार, मकान सब कुछ पुराने समय की याद दिलाते हैं। यहां तक कि पूर्वजों के लिए बने स्मृति हॉल के पास की काली मिट्टी में भी इतिहास की खुशबू है। घर की पुरानी दिवारों में से भी उन लोगों की खुशबू आती है, जो हमें बहुत पहले छोड़कर हमेशा के लिए चले गये। खेत-खलियानों में भी लहराती फसलें पूर्वजों की याद दिलाती हैं।
लुंग छुआन गांव, ची श्यी का एक छोटा गांव है, जहां कदम रखते ही प्राचीन स्थापत्य देखने को मिला। पूर्वजों के लिए बने स्मृति हॉल, टेढ़ा-मेढ़ा गलियारा, लहराती छोटी नदी और जातीय पोशाकों में सजे स्थानीय गांववासियों को देखकर, लुंग छुआन गांव हुई चो संस्कृति का लोक संग्रहालय जैसा दिखने लगा।
"जो गांव आप देख रहे हैं, इसका नाम लुंग छुआन है। इसे पूर्वी-छिन राजवंश में स्थापित किया गया था। जिसका एक हजार छह सौ साल पुराना इतिहास है। वर्तमान में लुंग छुआन गांव में करीब 400 परिवार हैं, लगभग 1300 लोग यहाँ रहते हैं। इन निवासियों में 90 प्रतिशत से अधिक लोगों का उपनाम हु है। इसका मतलब यह हुआ कि प्राचीन समय में सभी लोग हु परिवार के थे। पूरे गांव में सिर्फ एक परिवार का उपनाम तिंग है।"


लुंग छुआन गांव में प्राचीन सांस्कृतिक अवशेषों की मात्रा बहुत ज्यादा है, जिनमें 300 से ज्यादा प्राचीन स्मारकों का संरक्षण बहुत अच्छी तरीके से किया गया है। हु परिवार द्वारा अपने पूर्वजों के लिए सोंग राजवंश में स्थापित यह स्मृति हॉल इन अवशेषों की एक मिसाल है। उसे राष्ट्रीय सांस्कृतिक धरोहर में शामिल किया गया।
पुराने समय में लोग स्मृति हॉल में अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित कर याद करते थे। अपने परिवार के मूल्यों और नियमों को आने वाली नई पीढ़ी को समझाते थे और अपनी संतान को सही व्यवहार करना सिखाते थे। ची श्यी की निवासियों में अधिकारी और व्यापारी वर्ग सबसे ज्यादा था, जिसका श्रेय स्मृति हॉल की संस्कृति को जाना चाहिए। क्योंकि स्मृति हॉल में प्रवेश करने की अनुमति बुजुर्गों के अलावा सिर्फ उन लोगों को मिल सकती थी, जो अधिकारी थे या जिन्होंने परिवार के लिए अहम योगदान किया था। इसलिए इस परिवार के सभी सदस्य बहुत मेहनती और कर्मठ थे।
हु परिवार के पूर्वजों के लिए बना स्मृति हॉल गांव के उत्तर में स्थित है, जिस का कुल क्षेत्रफल एक हजार पांच सौ चौंसठ वर्गमीटर है। उसके मुख्य भवन की संरचना शैली चीन के मिंग राजवंश की विशेषता है, और अंदर की सजावट चीन के छिंग राजवंश शैली की है। इसके अलावा इस स्मृति हॉल में लकड़ी पर की गई नक्काशी भी चीन की अतुलनीय कला में से एक मानी जाती है, जिसमें फूलों की नक्काशी सबसे अनूठी है। इस स्मृति हॉल के मुख्य भवन में यानी परिवार का नेता जहाँ पूजा करता, उस प्रवेश कक्ष के दोनों ओर
फूलों की नक्काशी केवल सुंदर नहीं, बल्कि उसका गहरा अर्थ है।
"इधर, लकड़ी पर कमल के फूलों की नक्काशी सबसे ज्यादा है। पहली नक्काशी में कमल व केकड़ा अंकित किया गया। चीनी उच्चारण में कमल व केकड़ा का मतलब है सामंजस्यपूर्ण। दूसरी नक्काशी में मंदारिन बतख है, जिसका अर्थ है ख़ुशहाली। तीसरी नक्काशी में दो झींगे हैं। पुराने समय में झींगे को निपुण माना जाता था। चौथी नक्काशी में कमल के नीचे टर्र-टर्र करते दो मेंढक अंकित किये गये, चीनी उच्चारण में जिसका मतलब है सुखी वैवाहिक जीवन। इन चार नक्काशियों को एक साथ देखें, तो उन का अर्थ है सामंजस्यपूर्ण समाज और ख़ुशहाल जीवन। "
हु परिवार के पूर्वजों के लिए बना स्मृति हॉल चीन के मिंग व छिंग राजवंशों का एक कला संग्रहालय लगता है, जिसमें हम हुई चो की पुरानी संस्कृति और इतिहास की झलक देख सकते हैं।
उधर, हुई चो के व्यापारी अब भी बहुत प्रसिद्ध हैं। स्थानीय निवासी वांग चिन सोंग ने हमें बताया:
"चीन के मिंग और छिंग राजवंश में हुई चो के अधिकतर व्यापारी ची श्यी से थे, जो हांग चो व तुन श्यी के उसी क्षेत्र में व्यापार करते थे। वहां ची श्यी के लोग रहते थे, जहां एक व्यापारिक केन्द्र था। धीरे-धीरे वह एक वाणिज्यिक सड़क की तरह नजर आने लगी थी।"


ची श्यी हजार सालों पहले से हुई चो के अधीन है, जिसका हुई चो संस्कृति से गहरा संबंध है। हुई चो संस्कृति का एक महत्वपू्र्ण पहलू है व्यापारियों की संस्कृति। सोंग राजवंश में ची श्यी के व्यापारियों की शक्ति बहुत मजबूत हो गयी थी। वे हुई चो स्याही, चाय और अन्य स्थानीय विशेषता वाली सामग्री बेचते थे या भोजनालय खोलते थे।
हुई चो व्यापारियों के अलावा ची श्यी की हुई चो स्याही भी बहुत प्रसिद्ध है। छिंग राजवंश में हुई चो स्याही बनाने वाले चार सबसे प्रसिद्ध व्यक्तियों में से दो ची श्यी के थे। वे हैं वांग चिन शेंग और हु खाइ वन, जिनमें हु खाइ वन विशेष रूप से विश्वभर में मशहूर माने जाते हैं। वर्तमान में हुई चो स्याही के घर के रूप में ची श्यी हुई चो स्याही बनाने की तकनीक का संरक्षण करने की कोशिश कर रहा है, ताकि हुई चो स्याही एक बार फिर दुनिया को अपनी रंग दिखाए।
हुई चो संस्कृति बहुत विविधतापूर्ण है। स्थानीय भोजन भी बहुत विशेष है। हुई चो भोजन चीन के आठ प्रसिद्ध भोजनों में से एक है। हुई चो के व्यापारी घर का बना खाना बहुत पसंद करते हैं। इसलिए जहाँ हुई चो के व्यापारी होंगे वहाँ हुई चो का भोजन भी अवश्य होगा।
ची श्यी के भोजन में सबसे प्रसिद्ध था क्वो है। उसे चीनी पिज़्ज़ा कहा जाता है। हर छोटे-बड़े भोजनालय में यह मिलता है। था क्वो कैसे बनाया जाता है? था क्वो बना रही एक वृद्धा ने हमें बताया।
"यह आटे की लोई है, उसे बेलने के बाद उसमें थोड़ा भरावन डालें। और सानने के बाद उसे दोबारा बेलें। इस तरह एक था क्वो तैयार है। जो खाने में बहुत स्वादिष्ट है। "
था क्वो के भरावन में बहुत-सी चीज़ें शामिल हैं, जैसे सब्जी, कद्दू, गाजर, अचार इत्यादि। पहले व्यापारियों को पहाड़ों से होकर गुज़रना पड़ता था। उनके लिए था क्वो एक बहुत बढ़िया मुख्य भोजन था, क्योंकि वह कई दिनों तक खराब नहीं होता था।
दोस्तों, अगर मौका मिले, तो जरूर आन हुई के ची श्यी जाइएगा। वहां के था क्वो खाइएगा। मुझे यकीन है कि आप को ची श्यी पसंद आएगा।
(मीनू)

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