Thursday   Apr 17th   2025  
Web  hindi.cri.cn
चीनी सपने देखता भारतीय युवक
2013-05-22 15:17:15

ज़िंदगी में सपने देखने चाहिए, और सपने पूरे करने की कोशिश भी। चाहे वह अमेरिका में अश्वेत लोगों के अधिकारों के लिए प्रसिद्ध नेता मार्टिन लूथर किंग द्वारा दिया गया मेरा स्वप्न नामक भाषण हो, या चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग द्वारा चीनी राष्ट्र के महान पुनः प्रवर्तन का चीनी सपना हो, या पड़ोसी के बच्चे के मन में एक मिठाई खाने का सपना हो। सपना शायद बड़ा हो या छोटा, शायद दूर हो या नज़दीक। वह हर व्यक्ति के मन में होता है। लेकिन सपनों को सिर्फ सपने में पूरा नहीं किया जा सकता। वह सच में भी बन सकता है। कई विदेशी छात्रों ने भी अपना चीनी सपना साकार करने के लिए चीन की भूमि पर क़दम रखे। भारतीय युवक खातिब अहमद ख़ान भी उनमें से एक हैं। आज के कार्यक्रम में हम चीनी सपना लिए इस भारतीय युवक के बारे में बताएंगे।

लंबा कद, सुन्दर चेहरा, चश्मा पहने खातिब पहली नज़र में एक सरल स्वभाव के लगते हैं। लेकिन जब उन्होंने बातचीत करना शुरू किया, तो उनके ज्ञान के बारे में पता चला। खातिब को बातें करने का बड़ा शौक है। और उनकी चीनी भाषा भी बहुत अच्छी है। इन्टरव्यू शुरू होने पर उन्होंने चीनी में अपना परिचय दिया। उन्होंने कहा,

मेरा चीनी नाम ली चे खाए है। मैं भारतीय हूं। अभी मैं शिआन विदेशी भाषा विश्वविद्यालय में एमए की पढ़ाई कर रहा हूं। मैं वर्ष 2011 में शिआन आया, अब मास्टर्स होने वाला हूं। लेकिन मैं डॉक्टरेट की पढ़ाई जारी रखना चाहता हूं। डॉक्टरेट की डिग्री पाकर मैं भारत वापस जाकर छात्रों को चीनी सिखाऊंगा। अगर यहां कोई अच्छा मौका मिला, तो यहां भी काम करना चाहता हूं।

वर्ष 2009 से खातिब ने दिल्ली यूनिवर्सिटी में चीनी भाषा सीखना शुरू किया। अपनी प्रयत्न व अथक कोशिश से वर्ष 2011 में उन्हें छात्रवृत्ति व चीन में पढ़ाई करने का मौका मिला। चीनी सीखने वाले बहुत विदेशी विद्यार्थियों की तरह वे आखिर चीन में अपना स्वप्न पूरा कर सकेंगे। अपना चीनी स्वप्न की चर्चा में खातिब ने गर्व के साथ कहा,

मैं भारत-चीन संबंधों को और बढ़ावा देने के लिए काम करना चाहता हूं। आशा है कि जो भी अनुभव मैंने चीन में सीखा है, मैं उसे भारत में बताना चाहता हूं। मैं यहां के बारे में भारतीय छात्रों को सिखाना चाहता हूं, ताकि वे चीनी संस्कृति व चीनी लोगों के विचारों को अच्छी तरह से समझ सकें। मैं भारत-चीन संबंधों का एक पुल बनना चाहता हूं। मैं दोनों देशों की मित्रता को बढ़ाकर अच्छा मित्र बनाने में मदद देना चाहता हूं।

शायद सभी लोग यह जानते हैं कि वर्ष 1962 से चीन व भारत दोनों देशों के संबंध लंबे समय तक ठंडे रहे। हालांकि इसके बाद दोनों देशों के नेताओं ने पीढ़ी दर पीढ़ी इसे बेहतर बनाने की पूरी कोशिश की, और चीन-भारत संबंध धीरे धीरे सामान्य हुए। लेकिन दोनों देशों की जनता के बीच आपसी समझ व आदान-प्रदान काफ़ी नहीं है। इस बारे में खातिब ने कहा कि चीन आने से पहले और यहां आने के बाद चीन के प्रति मेरे रुख में जमीन आसमान का बड़ा फ़र्क आया है। पहले मैं चीन की परंपरागत संस्कृति व चीनी लोगों के विचारों को नहीं समझता था। केवल मैं ही नहीं, कई भारतीय लोगों का भी यह विचार है कि चीन भारत से विकसित नहीं है।

लेकिन चीन में कुछ समय रहने के बाद खातिब के विचार बदल गए। उन्होंने कहा,

चीन आने के बाद मैंने देखा कि चीन का विकास इतना अच्छा है, इतना तेज है। यह बहुत अच्छा लगा। और मुझे लगता है कि भारत को भी चीन से कुछ सीखना चाहिये, ताकि हम भी तेजी से विकसित होकर भारतीय जनता का जीवन स्तर बढ़ा सकें।

बेशक चीन व भारत के बीच सामाजिक व्यवस्था, राजनीतिक व्यवस्था व धार्मिक विश्वास आदि अंतरों के कारण ज़रूर कुछ सांस्कृतिक संघर्ष मौजूद हैं। पर इस मामले का समाधान कैसे हो सकता है?इस पर खातिब कहते हैं,

मुझे लगता है कि यह सामान्य बात है कि विभिन्न क्षेत्रों में सांस्कृतिक संघर्ष होते हैं। लेकिन हमारा लक्ष्य यह है कि हमें इन बाधाओं को दूर करना चाहिये। क्योंकि मैं चीनी संस्कृति जानता हूं, साथ ही भारतीय संस्कृति भी। इसलिये मैं संघर्षों को दूर करने के लिये कुछ काम कर सकता हूं। अगर ज्यादा चीनी छात्र भारत की संस्कृति को जानने के लिये वहां जाएं, और अधिक भारतीय छात्र चीन को समझने के लिये चीन आयें, तो उक्त सांस्कृतिक संघर्षों को ज़रूर आसानी से दूर किया जा सकेगा।

भविष्य में अपनी योजना की चर्चा में खातिब ने कहा कि मैं विश्वविद्यालय में एक शिक्षक बनना चाहता हूं। जिससे मैं अधिक से अधिक भारतीय युवाओं को चीनी भाषा व चीनी संस्कृति का प्रसार-प्रचार कर सकूंगा। उनकी जानकारी के अनुसार हाल के कई वर्षों में चीन के प्रति भारतीय छात्रों का शौक दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। क्योंकि चीन व भारत दोनों देशों का आर्थिक विकास विश्व के पहले स्थानों पर हैं। और दोनों देशों के आर्थिक व व्यापारिक सहयोग की संभावना भी बहुत विश्वाल है। इसलिये दोनों देशों के विद्यार्थियों को ज्यादा मौका देना चाहिये, ताकि वे अच्छी तरह से एक दूसरे को समझ सकें। उन्होंने कहा,

मुझे लगता है कि युवा, खास तौर पर विश्वविद्यालय के छात्र हमारे देश का भविष्य है। वे देश का नेतृत्व करेंगे। इसलिये अगर वे अच्छी तरह से दोनों देशों की संस्कृति, स्थिति व विचार-धारा को समझ सकते हैं, तो भविष्य में सांस्कृतिक संघर्ष जैसी समस्याएं दूर हो सकती हैं। गलतफ़हमी खत्म होने के बाद समस्या भी नहीं होगी।

चंद्रिमा

आप की राय लिखें
Radio
Play
सूचनापट्ट
मत सर्वेक्षण
© China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040