पहली बार मैं एनपीसी और सीपीपीसीसी का रिपोर्टाज कर रही हूं। हाल के दिनों में मैं न जाने कितनी बैठक स्थलों पर गयी और प्रतिनिधियों के सुझाव सुने। मेरे लिए यह एक अद्धुत अनुभव है। अब, जब कि मैं किसी प्रतिनिधि से मिलती हूं तो उनके मुख के बजाय सबसे पहले उनका नेम कार्ड पढ़ती हूं। फिर तय करती हूं कि मैं उनसे साक्षात्कार करूंगी या नहीं। मैं रोज़ाना बहुत व्यस्त रहती हूं। पहले मैं अनिद्रा से पीड़ित थी, आजकल अत्यधिक थकान से मैं जल्दी ही सो जाती हूं। मैं जो व्यंजन खाती हूं उन्हें मैं बहुत स्वादिष्ट मानती हूं। शायद यह ही एनपीसी और सीपीपीसीसी का मोहन है।
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