यदि आपने हॉलिवुड फिल्म द फ़ास्ट एंड द फ़्युरिअस देखी है, तो आप को पता लग गया होगा कि मैं आपसे क्या कहना चाहती हूँ। इधर के दिनों में एनपीसी व सीपीपीसीसी के प्रतिनिधियों या सदस्यों से साक्षात्कार करने के लिए पत्रकारों ने हरसंभव प्रयास किए। जब भी पत्रकारों को अपने प्रतिनिधि नज़र आते, वे तुरंत ही उन्हें घेर लेते। एक प्रतिनिधि या सदस्य के आसपास पत्रकार के झुंड को देखा जा सकता है। यदि पत्रकारों की भीड़ में कोई कमजोर या दुबली-पतली पत्रकार दिखती है, तो वह बहुत मुश्किल से भीड़ में आगे निकल साक्षात्कार कर पाती है। यहां इस तरह की भीड़ केवल सुबह के समय मैट्रो ट्रेन में ही देखी जाती है।