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13-01-15
2013-02-26 16:21:11

न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में, मैं हेमा कृपलानी आप सब का हार्दिक स्वागत करती हूँ। हैलो,हाए, नमस्ते, निहाओ, हर हफ्ते होती आपसे मुलाकात है, रहता हर मंगलवार का इंतज़ार है। उम्मीद करती हूँ, आप भी करते हमारा इंतज़ार हैं, ढेरों बातें करने, जानने और सुनने को रहते उत्सुक हैं, हम भी हर पल कोशिश करते, खरे उतरे आपकी नज़रों में, न हो कोई गिला-शिकवा आपको हमसे, मिले आपका ढेरों प्यार यूँ ही भर-भर के। तो करते खत्म इंतज़ार की घड़ियों को हम भी और करते शुरुआत आज के कार्यक्रम की। दोस्तों, न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में हम आपको यहाँ के जीवन के बारे में, लोगों के बारे में, फैशन ट्रैंडस से लेकर अपकमिंग इंवेंटस के बारे में बताते रहते हैं और अपडेट करते रहते हैं। तो चलिए आज के कार्यक्रम में आपको बताते हैं कुछ खबरें जिनसे आपको चीनी लोगों के जीवन तथा उनकी सोच के बारे में कुछ जानकारी मिलेगी। तो सबसे पहले बात करते हैं कि हाल ही में चीन के एक जाने-माने वेब पोर्टल द्वारा हुए एक सर्वे के अनुसार 67 प्रतिशत लोग पारंपरिक चीनी रीति-रिवाजों के अनुसार शादी से पहले अपने लिए मकान खरीदना पसंद करते हैं। बीजिंग,शांगहाई और क्वांगचो निवासियों से फोन पर रैंडमली किए सर्वे से पता लगाया गया कि शहरों में आवास की बढ़ती कीमतों के बावजूद कुछ युवा जोड़े शादी से पहले अपने लिए घर खरीदना चाहते हैं, उन्हें अपना स्टैंडर्ड कुछ नीचे करना पड़ेगा और उनमें से कुछ ने कीमतों को देखते हुए घर खरीदने का इरादा बदल दिया। करीब 57.9 प्रतिशत शादीशुदा लोगों ने कहा कि उन्होंने शादी से पहले अपने लिए मकान खरीदा था। 44 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे उसी मकान में रहते हैं जिसे उन्होंने अपनी शादी के समय खरीदा था। सर्वे में यह भी पता चला कि 83.7 प्रतिशत लोगों का मानना है कि वर्तमान में घरों के दाम नाजायज रुप से बढ़े हुए हैं।

आगे बात करते हैं और आपको बताते हैं कि खबर ये भी आ रही है कि चाइना पोप्यूलेशन एसोसिएशन द्वारा जारी एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि 40 मिलीयन से ज्यादा चीनी लोग जिनमें 12.5 प्रतिशत की आयु बच्चा पैदा करने की है वे इनफरटाइल है यानी वे बच्चा पैदा करने में अक्षम हैं। मेडिकल विशेषज्ञों का मानना है इसका कारण बदलती जीवनशैली, काम के कारण पड़ने वाला दबाव और पर्यावरण प्रदूषण है। हनान प्रांत के डॉक्टरों के अनुसार 70 प्रतिशत महिलाओं में इनफर्टीलिटी और 50 प्रतिशत पुरुषों में इनफरटाइल का कारण बदलती जीवनशैली और आदते हैं जिनमें हद से ज़्यादा शराब पीना और देर से शादी करना शामिल है। इसके साथ-साथ काम के कारण या दफ्तर में दबाव भी इसका एक कारण हो सकते हैं जिसकी वजह से चीन में इनफरटाइल कपल की संख्या में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार लंबे समय तक दफ्तर में या काम के कारण होने वाले दबाव से प्रजनन(reproductive) समस्याएँ हो सकती हैं। मेडिकल विशेषज्ञ पर्यावरण प्रदूषण के कारण भी लोगों की प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है। इस समस्या से सामना करने का एक ही तरीका है जहाँ डॉक्टरस लोगों को एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की सलाह देते हैं और देर से शादी न करने की सलाह देते हैं। आजकल तो आयदिन सुनने को, पढ़ने को यह सब मिलता रहता है कि काम के प्रैशर के कारण स्वास्थ्य संबंधित कितनी परेशानियाँ सामने आ रही हैं। ये ऐसी दबी-छुपी समस्याएँ हैं जिसका पता हमेशा बहुत देर से लगता है और जब पता चलता है तो समय, पैसे की हानि के चलते स्वास्थ्य बिगड़ने का खतरा। तो बेहतरी इसी में है कि हम सब काम के साथ-साथ अपने स्वास्थ्य का भी अच्छी तरह से ध्यान रखें। चलिए, सेहत-स्वास्थ्य के बाद बात करते हैं पढ़ाई-लिखाई की। इस बात से तो सब इत्तेफाक रखते हैं कि आजकल के टफ कॉम्पटिशन वर्ल्ड में जहाँ बच्चों पर पढ़ाई-लिखाई का बोझ बढ़ता जा रहा है उतना ही माता-पिता पर। अच्छे ग्रेडस, अच्छा-टॉप का स्कूल फिर विश्वविद्यालय और फिर हाई पैकेज वाली नौकरी। ठाठ-बाठ वाली जिंदगी। सपना जितना सुनहरा वहाँ तक पहुँचने का रास्ता उतना कठिन। तो एक बार फिर से शुरू करते हैं ठाठ-बाठ वाली जिंदगी के लिए हाई पैकेज वाली नौकरी उसके लिए टॉप की पढ़ाई-लिखाई। टॉप की पढ़ाई के लिए टॉप ग्रेडस और अच्छे अंक तो खाली स्कूल में पढ़ाई करने से आते नहीं उसके के लिए ज़रुरी है ट्यूटर और ट्यूशन क्लासिस। मुझे याद है जब मैंने गणित के लिए अपने बोर्ड की परीक्षा से पहले अपने माता-पिता से मुझे ट्यूशन क्लासिस में भेजने के लिए कहा तो उनका कहना था कि तुम स्कूल में ठीक से ध्यान नहीं दे रही हो इसलिए तुम्हें ट्यूटर और ट्यूशन क्लासिस की ज़रुरत पड़ रही है। उस समय की बात करें तो माता-पिता ने मना किया लेकिन आज माता-पिता खुद अपने बच्चों को इन कक्षाओं में भेजते हैं। वो भी एक-दो नहीं तीन-चार तक गिनती पहुँच गई है। पूरे एशिया में स्कूल से बाहर की जाने वाली पढ़ाई के बढ़ते चलन का नतीजा और इसे बढ़ाने में कहीं ना कहीं स्कूली छात्रों में मन में बसे परीक्षा का डर, उनके अति महत्वाकांक्षी माता-पिता और शीर्ष शिक्षण संस्थानों में प्रवेश पाने की जद्दोजहद है।

अच्छा खासा बिजनिस है ट्यूशन क्लासिस का। बहुत बड़ी इंडस्ट्री में जल्द ही तब्दील होने वाली हैं। और अगर हम चीन के शहर हांगकांग की बात करें तो वहां के शॉपिंग मॉल्स ओर बसों पर लगे बड़े-बड़े आकर्षक पोस्टरों को देखकर आप ये अंदाजा़ भी नहीं लगा पाएँगे कि ये पोस्टर चीन के टेलीविजन या फिल्मस्टारों के ना होकर वहां के 'ट्यूटर किंग्स' और 'ट्यूटर क्वीन्स' के हैं। देखा हैरान हो गए न आप भी। ये ट्यूटर किंग्स और क्वीन्स हांगकांग के स्कूली बच्चों की औसत रिपोर्ट कार्ड को बेहतर करने का काम करते हैं, जो कि इनका धर्म माना जाता है। हांगकांग के समाज पर काफी हद तक बाजारवाद हावी है। वहां सुंदर और आकर्षक होना सफलता की गारंटी है और डिजाइनर कपड़ों में लिपटे ये युवा ट्यूटर वहां के स्कूली बच्चों के रोल मॉडल हैं। जी हाँ, रोल मॉडल हैं। इन रोल मॉडल्स की जीवन-शैली भी उतनी ही भव्य हैं जितनी इनकी तस्वीरें। इनमें से कई अरबपति हैं जिन्हें अक्सर टेलीविजन कार्यक्रमों में ज्ञान बांटते देखा जा सकता है। हांगकांग के सबसे बड़े ट्यूटर समूह किंग्स ग्लोरी में ट्यूटर क्वीन के रूप में मशहूर 26 साल की केली मॉक कहती हैं, 'अगर आप टॉप पर पहुंचना चाहते हैं तो आपका खूबसूरत और आकर्षक होना मददगार होता है।'

केली मॉक के डिजाइनर कपड़े सिर्फ बिलबोर्ड के लिए नहीं पहनती हैं, बल्कि वो क्लास के बाहर भी ऐसे ही रहना पसंद करती हैं। लेकिन वे ये भी कहने से नहीं चूकतीं कि अगर उनके छात्र उनके विषय में अच्छे नंबर नहीं लाएंगे तो उनकी मांग कम हो जाएगी।

बिकॉन कॉलेज के रिचर्ड इंग को हांगकांग का पहला स्टार ट्यूटर होने का श्रेय जाता है। एक पूर्व-माध्यमिक स्कूल के टीचर रह चुके रिचर्ड कहते हैं कि उन्हें इसका आइडिया अपनी कलाकार बहन के लिए छपे एक विज्ञापन के लिए फोटो खिंचवाने के दौरान आई।

वे कहते हैं कि स्कूलों में सभी शिक्षक एक जैसे और नीरस दिखते हैं। लेकिन अब बिकॉन की तस्वीरें अंगूठियों, पेपर फोल्डर्स, पेन और अन्य गिफ्ट वाले सामानों में नज़र आती हैं, जिस कारण आज उनकी स्कूली बच्चों के बीच सबसे ज्य़ादा मांग है।जी हाँ, ब्रैंड एम्बैसेडर हैं ये इन सब पढ़ाई-लिखाई में काम आने वाले उत्पादों के।

विशेषज्ञों के अनुसार, जिस समाज में सफलता का मतलब रिपोर्ट कार्ड में पाए गए अंक होते हैं, वहां इस तरह के ट्यूटोरियल्स सीधे-सीधे पैसा कमाने का ज़रिया हैं।

हांगकांग विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर के अनुसार हांगकांग में कॉलेज के अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहे 72 प्रतिशत छात्र प्राइवेट ट्यूटरों के पास पढ़ने के लिए जाते हैं। हालांकि ये स्टार ट्यूटर, गरीब घरों के बच्चों को 100-100 के समूह में नोट्स और टिप्स भी देते हैं।

प्रोफेसर के अनुसार, 'ट्यूशन का चलन सिर्फ हांगकांग नहीं बल्कि पूरे एशिया में जोर पकड़ चुका है। दक्षिण कोरिया के प्राथमिक स्कूलों के 90 प्रतिशत बच्चे ट्यूशन पढ़ते हैं।'दक्षिण कोरिया, थाईलैंड, श्रीलंका और भारत में ऐसे स्टार ट्यूटर का इस्तेमाल छात्रों को प्रभावित करने के लिए किया जाता है। वे इससे चर्चा में भी बने रहते हैं।

भारत के एक कोचिंग स्कूल के मुख्य अधिकारी का कहना हैं, 'ये चलन हमारे यहां लंबे समय से है। हमारे पास देशभर से छात्र कोचिंग लेने आते हैं। इससे फायदा तो होता है लेकिन सिर्फ इसके भरोसे हम ये काम नहीं कर सकते। इसके लिए स्कूलों की अक्षमता भी दोषी है।'

जानकार कहते हैं कि पूरे भारत में लाखों छात्र प्रतियोगी परीक्षा की तैयारियां करते हैं, ऐसे में ये बहुत बड़ा बाजा़र साबित हो रहा है।

चीन में प्राइवेट ट्यूटोरियल का चलन वर्ष 1990 के बाद शुरू हुआ। ये वो दौर था जब चीन की अर्थव्यवस्था उदार थी। आज न्यू-ओरिएंटल एजुकेशन एंड टेक्नोलॉजी एशिया का सबसे बड़ा ट्यूशन स्कूल है जहां 20 लाख से ज्यादा छात्र पढ़ते हैं।

इतना ही नहीं, ये ट्यूशन सेंटर साल 2006 से न्यूयार्क स्टॉक एक्सचेंज की सूची में भी शामिल है। इसके संस्थापक माइकल-यू की गिनती चीन के बड़े अरबपतियों में होती है।

ऐसा देखा गया है कि वे पूर्वी एशियाई देश जो अंतरराष्ट्रीय स्कूल प्रतियोगिताओं में अच्छा करते हैं, उन्हें इस चलन से काफी मदद मिलती है। लेकिन ऐसी प्रतियोगिताओं में स्कैंडिनेविया जैसे देश भी शामिल हैं जहां प्राइवेट ट्यूशन का चलन नहीं है।

ट्यूशन पर कई बार रोक लगाने की कोशिश भी की गई है। वर्ष 1980 के दौरान दक्षिण कोरिया ने प्राइवेट ट्यूशन पर रोक लगाने का आदेश भी दिया था। लेकिन वो सफलतापूर्वक लागू नहीं किया जा सका। लेकिन इससे ये जरूर पता चला कि अतिरिक्त ट्यूशन करने वाले छात्र काफी दबाव में रहते थे और अक्सर क्लास में सो जाया करते थे।

वर्ष 2009 में दक्षिण कोरिया की सरकार ने स्कूली बच्चों के बचपन को बचाने के लिए ट्यूटोरियल क्लास में बिताए जाने वाले समय को सीमित करने की कोशिश की, लेकिन उसका भी कोई फायदा नहीं हुआ। अब ट्यूशन क्लास ऑनलाइन शुरू हो गए।

एक रिपोर्ट के अनुसार पूरे एशिया प्रांत में रहने वाले परिवार अपनी आजीविका का एक बड़ा भाग ट्यूशन पर खर्च करते हैं। इससे भले ही एक छात्र की उपलब्धियां बेहतर होती हैं, लेकिन इससे सामाजिक असमानताएं भी बढ़ती हैं।

हालांकि कुछ संस्कृतियों में ट्यूशन लेने के प्रति एक झुकाव भी देखा गया है। इसमें कनाडा के वैंकूवर और ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शामिल हैं।

हांगकांग ने अभी हाल में ही ब्रिटेन में चलाए जा रहे जीसीएसई और ए-लेवल प्रणाली को शुरू किया है। इस पद्धति में हर छात्र को 17 साल की उम्र में 'सिंगल एक्जाम' देना होता है, जिसमें सफल होने पर ही उन्हें यूनिवर्सिटी में दाखिला मिलता है।

ऐसे में ट्यूटरों की भीड़ में छात्रों के लिए ये तय करना मुश्किल होता है कि वे किससे पढ़ें? इसलिए वे सब ट्यूटर 'किंग्स' और 'क्वीन्स' की शरण में चले जाते हैं।

रिचर्ड इंग इस बात से इंकार करते हैं कि ट्यूटर की वजह से घबराहट फैली हुई है। उनके अनुसार, घबराहट और तनाव की वजह तो परीक्षाएं हैं। अगर हांगकांग के स्कूलों में परीक्षाएं बंद हो जाए तो कोई हमारे पास नहीं आएगा।

इसलिए ये तय करना मुश्किल है कि ट्यूशन से छात्रों के जीवन में तनाव कम होता है या इससे उन्हें फायदा होता है।

अब ये तो बिल्कुल ठीक उसी तरह का सवाल हो गया कि भई, पहले मुर्गी आई या अंडा। लेकिन जो भी हो इसका खामियाज़ा तो बच्चों और उनके माता-पिता को ही भुगतना पड़ता है क्योंकि आखिर अंक तो उनके हैं। वैसे इस विषय को शेयर करने का आइडिया मुझे सनमीत जी से मिला। ये कौन हैं अरे, ये वहीं मुबंई की ट्यूशन टीचर हैं जिन्होंने कौन बनेगा करोड़पति में 5 करोड़ जीते हैं और इसके साथ-साथ वे बन गई हैं देश की पहली महिला जिसने 5 करोड़ जीते हैं। अब इन्हें तो भारत की ट्यूटर क्वीन बनने से कोई रोक ही नहीं सकता।

श्रोताओं, आपको हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम का यह क्रम कैसा लगा। हम आशा करते हैं कि आपको पसंद आया होगा। आप अपनी राय व सुझाव हमें ज़रूर लिख कर भेजें, ताकि हमें इस कार्यक्रम को और भी बेहतर बनाने में मदद मिल सकें। क्योंकि हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम आप से है, आप के लिए है, आप पर है। इसी के साथ हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। आप नोट करें हमारा ई-मेल पताः hindi@cri.com.cn । आप हमें इस पते पर पत्र भी लिख कर भेज सकते हैं। हमारा पता हैः हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पी .ओ. बॉक्स 4216, सी .आर .आई.—7, पेइचिंग, चीन , पिन कोड 100040 । हमारा नई दिल्ली का पता हैः सी .आर .आई ब्यूरो, फस्ट फ्लॉर, A—6/4 वसंत विहार, नई दिल्ली, 110057 । श्रोताओ, हमें ज़रूर लिखयेगा। अच्छा, इसी के साथ मैं हेमा कृपलानी आप से विदा लेती हूँ इस वादे के साथ कि अगले हफ्ते फिर मिलेंगे।

तब तक प्रसन्न रहें, स्वस्थ रहें। नमस्कार

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