आज सुबह सात परियों के पहाड़ वाले प्रदेश से नान शान बौद्ध धर्म सांस्कृतिक केंद्र के लिये प्रस्थान करने से पहले सामुहिक फ़ोटोग्राफ़ी लिये। होटल से सात परियों के पहाड़ के सुन्दर दृश्य काफ़ी फ़ोटोग्राफ़ी किये। इस पर्वत के ऊपर सात चोटियां हैं, जिससे सात परि भी कहते हैं। दूर से यह एक दूसरे से काफ़ी करीब और एक जैसा लगता है, पर इन में थोड़ी दूरी है। यहां का दृश्य बहुत ही खुबसुरत था। यहां से हम दस बजे नान शान की ओर प्रस्थान किये। रास्ते में एक चीनी कर मुक्त बाजार भी गये, जहां विश्व के भिन्न भिन्न देशों के बेहतरीन सामान मिल रहा था, सभी लोग अपने अपने पसंद से कुछ न कुछ सामान खरीदा। फिर वहां से आगे बढ़े और एक कृषि पर आधारित बाजार में गये। इस बाजार में फल से बनाए हुए सामान बिक रहे थे। जैसे नारियल से बना चिप्स, पॉवडर और कैंडी आदि बिक रहा था। इसी तरह कद्दु और पपिता से बना अनेकों तरह का उत्पाद बिक रहा था। भारत में यदि इस का उपयोग किया जाए, तो कृषि का और विकास होगा, तथा कृषि का पैदावार भी बढ़ेगा। इस के बाद हम लोग नानशान बौद्ध धर्म सांस्कृतिक केंद्र पहुंचे। यह जगह बहुत ही शांत और सुन्दर है। इस क्षेत्र की विशेषता यह है कि भारत के हरिद्वार की भाति यहां पर केवल शाकाहारी भोजन ही मिलता है। लेकिन भोजन को इस तरह से सजाया जाता है, जैसे कि मांस या मछली लगे। पर वास्तव में यह पूरी तरह से शाकाहारी व्यंजन रहता है। आज का भोजन बहुत ही स्वादिष्ठ और भारतीय खाना जैसा था। यह मुझे बहुत पसंद है। कल सुबह साढ़े पांच बजे एक प्रार्थना है, जिसमें लोग जाएंगे और बौद्ध धर्म के महंत का धर्म उपदेश सुनेंगे। होटल के सामने लगभग एक किलोमिटर की दूरी पर महातमा गौत्तम बुद्ध की बहुत ही विशाल प्रतिमा लगी हुई है। जो दूर से बहुत ही सुन्दर दिखाई पड़ता है। मेरे अनुमान से यह विश्व का सब से बड़ा गौत्तम बुद्ध का प्रतिमा है, जो अमेरीका के स्टैचु आफ़ लिबर्टी से भी बड़ा और सुन्दर है। यह प्रतिमा सफ़ेद रंग का है, और सिर पर सोने के रंग का मुकुद लगा हुआ है। वहां पर काफ़ी जगह भी है। जहां बैठकर लोग प्रार्थना करते हैं।
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