आज सुबह पेइचिंग के होटल में नाश्ते के बाद हम सभी प्रतिभागी होटल के लॉन में एकत्रीत हुए। हमारे हिन्दी विभाग की उदघोषिका श्रीमती चंद्रिमा जी भी सुबह के आट बजे तक वहां पहुंच गयी थी। हम सभी बस में बैठकर एक साथ हवाई अड्डा आये। चंद्रिमा जी ने रास्ते में मुझे चीन की कई इमारतें बता रही थी। रास्ते में ही मैंने ऑलंपिक स्टेडियम देखा। लगभग एक घंटा के बस की यात्रा के बाद हम लोग पेइचिंग अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे। वहां बोडिंग पास लेने के बाद हम सब हवाई अड्डे पर कुछ समय तक इन्तजार किया। इस के बाद हम सभी हाएनान एयर लाइन्स के विमान से पेइचिंग से हाएनान के सानया शहर की यात्रा प्रारंभ की। लगभग दो हजार पांच सौ बीस किलोमिटर की यात्रा हम ने चार घंटे में पूरी की। सानया अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हम लोग दोपहर के तीन बजकर चालीस मिनट पर पहुंचे। वहां से बस द्वारा हम लोग एक पांच सितारा होटल में आए। छै बजे हम लोग रात्रि भोजन के लिये एक साथ एक रेस्तरा में गये, और चाइनीस समुद्री भोजन का लूफ्त उठाए। खाना खाने के बाद टहलने के लिये समुद्र के किनारे गये। जहां समुद्र के लहरों को अपने पास आते देखा। किनारे पर लोग फूलझड़ी और पटाखा चला रहे थे। मुझे भी पानी में तैरना आता है। इसलिये मैं भी कल समुद्र में स्नान करूंगा और तैरूंगा। रास्ते में अनेकों तरह के फल और व्यंजन देखा और खाया, जो भारत में नहीं मिलते हैं। रास्ते में भारतीय रोटी पकाने का एक दुकान भी मिला, जो अंड्डा पराठा बनाकर बेच रहा था। इस के बाद कई शॉपिंग माल भी गये, जहां फल और फल के उत्पाद देखा, जो अपने आप में नया अनुभव था। विभिन्न तरह के बड़े बड़े मछलियों के सूखे उत्पाद भी बाजार में बिक रहे थे। भारत में छोटी मछली के सूखे उत्पाद मिलते हैं। पर सानया शहर में मिलने वाली मछलियां बहुत बहुत बड़ी थी।