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12-10-23
2012-11-08 18:33:05

 

स्वीकार कीजिए नमस्कार, हेमा कृपलानी का। प्रख्यात साहित्यकार और साहित्य अकादमी के अध्यक्ष सुनील गंगोपाध्याय का मंगलवार, 23 अक्टूबर को तड़के दिल का दौरा पड़ने से दक्षिण कोलकाता स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। वे 78 वर्ष के थे।

एक सफल लेखक और कई पुरस्कारों से सम्मानित गंगोपाध्याय एक मौलिक कविता की पत्रिका 'कीर्तिवास' के संस्थापक संपादक थे। इस पत्रिका को कवियों की एक नई पीढी़ ने मंच की तरह इस्तेमाल किया था।

200 से अधिक पुस्तक लिखने वाले गंगोपाध्याय विभिन्न शैलियों में लिखने के लिए जाने जाते हैं लेकिन उन्होंने कविता को अपना 'पहला प्यार' कहा था। उनकी कविताओं की नीरा श्रृंखला काफी लोकप्रिय हुई थी। उन्होंने लघु कथा, उपन्यास, यात्रा वृतांत और बच्चों के लिए कथा लिखकर भी अमूल्य योगदान दिया।

उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार (1985), आनंद पुरस्कार (1989) और हिन्दू साहित्य पुरस्कार (2011) से सम्मानित किया गया था।

उपाध्यक्ष के रूप में पांच साल तक काम करने के बाद उन्हें 20 फरवरी 2008 को साहित्य अकादमी का अध्यक्ष चुना गया था। हमने आज एक महान साहित्यकार को खो दिया।

मई 2011 में चीन में स्थित भारतीय सांस्कृतिक केन्द्र में उनसे मिलने का मौका मिला। आज के कार्यक्रम में उन्हें याद करते हुए उनके साथ की गई बातचीत के मुख्य अंश आपको सुनाएँगे। सी.आर.आई परिवार की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

बातचीत....................................................................................................

श्रोताओं, आपको हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम का यह क्रम कैसा लगा। हम आशा करते हैं कि आपको पसंद आया होगा। आप अपनी राय व सुझाव हमें ज़रूर लिख कर भेजें, ताकि हमें इस कार्यक्रम को और भी बेहतर बनाने में मदद मिल सकें। क्योंकि हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम आप से है, आप के लिए है, आप पर है। इसी के साथ हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। आप नोट करें हमारा ई-मेल पताः hindi@cri.com.cn । आप हमें इस पते पर पत्र भी लिख कर भेज सकते हैं। हमारा पता हैः हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पी .ओ. बॉक्स 4216, सी .आर .आई.—7, पेइचिंग, चीन , पिन कोड 100040 । हमारा नई दिल्ली का पता हैः सी .आर .आई ब्यूरो, फस्ट फ्लॉर, A—6/4 वसंत विहार, नई दिल्ली, 110057 । श्रोताओ, हमें ज़रूर लिखयेगा। अच्छा, इसी के साथ मैं हेमा कृपलानी आप से विदा लेती हूँ इस वादे के साथ कि अगले हफ्ते फिर मिलेंगे।

तब तक प्रसन्न रहें, स्वस्थ रहें। नमस्कार

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