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12-10-09
2012-10-22 18:53:21

स्वीकार कीजिए नमस्कार हेमा कृपलानी। मैं एक बार फिर हाज़िर हूँ, आपके अपने कार्यक्रम न्यूशिंग स्पेशल के साथ। दोस्तों, कहा जाता है हिम्मते-मर्दां, मददे-खुदा। खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले, ... खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है। हारी बाजी को जीतने वाला ही सिकंदर कहलाता है। आप सोच रहे होंगे कि मैं आज ऐसी बाते क्यों कर रही हूं?तो दोस्तों, मैं आज आप सब के साथ एक बहुत ही इंसपायरिंग, प्रेरणात्मक कहानी शेयर करना चाहती हूँ। गाओ युहुआन, कई चीनी लोगों में से एक हैं, जिन्होंने सफलता हासिल की है। उन्हें यह सफलता मिली एक चिकन फार्म की स्थापना के बाद लेकिन वे सिर्फ एक साधारण से चिकन फार्म के किसान की तरह नहीं हैं। हालांकि वे भी अंडों और मुर्गियों की बिक्री के द्वारा पैसे कमाती हैं। लेकिन दूसरों से ज़रा हट कर और कुछ अनोखा करती हैं ये, वह ये कि वे उनके पंखों से बने शिल्प भी बेचती हैं। एक युवा चीनी महिला जिसने चिकन के पंखों को एक बिजनिस में तब्दील कर मुनाफे में बदल दिया।

2006 में गाओ ने बीजिंग सीटी युनिवर्सिटी से शहरी क्षेत्रों में मेट्रो व रेलवे परिवहन के संचालन और प्रबंधन जैसे प्रमुख विषय में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उसने बीजिंग में रहने का फैसला किया और अंततः उसे एक विदेशी व्यापार कंपनी में नौकरी भी मिल गई।

उसके बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए उसे तरक्की भी मिली और गाओ की मासिक आय

जल्द ही 2600 से 6000 युआन तक बढ़ गई। लेकिन गाओ संतुष्ट नहीं थी। हालांकि, कॉलेज के दिनों की शुरुआत से उसने बीजिंग में बहुत लंबा समय बिताया लेकिन वह कभी–भी खुद को इस बड़े शहर का हिस्सा नहीं बना पाई। हर शाम जब वह अपने अपार्टमेंट में लौटती तो अपने कमरे में बैठे, वह अपने परिवार वालों को याद करती। गाओ ने अपने गृहनगर लौटने के बारे में सोचना शुरू किया। गाओ ने 2007 के शुरूआत में अपनी नौकरी छोड़ दी। करीब 50 हज़ार युआन बचत के साथ फैसला लेकर वह दक्षिणी चीन के हुनान प्रांत, बिनझोअ अपने घर वापस लौट गई। उसके परिवार वालों ने उसके निर्णय का विरोध किया और वे इससे खुश नहीं थे। गाओ ने बताया कि "मेरे दादा दादी बहुत खुश थे, मुझे अपने घर वापस देखकर, लेकिन इस बीच, वे ये नहीं समझ पा रहे थे कि आखिर क्यों उनकी पोती ने चीन की भव्य राजधानी बीजिंग में अपनी इतनी अच्छी नौकरी छोड़ दी?गाओ ने कहा मुझे याद है,जब उनके परिवार को गाओ के भविष्य को लेकर उसकी चिंता सताने लगी। वे मुझसे पूछते, कि तुम अपनी आजीविका कमाने के लिए आखिर क्या करोगी?हैरानी की बात थी कि मेरे पास उस समय उनके सवालों का जवाब नहीं था। गाओ के गृहनगर में अद्वितीय नस्ल की मु्र्गियाँ पाई जाती हैं। जो अपने सुंदर पंख, नरम-स्वादिष्ट मांस और औषधीय मूल्य के लिए जानी-जाती हैं। चिकन की त्वचा, पंख, चोंच और पैरों की उंगलियों का रंग पीला है इसलिए सहुआंग चिकन भी कहा जाता है, मतलब ऐसा चिकन जिसके चार भाग पीले रंग के हैं। स्थानीय लोगों में से कई लोग मुर्गीपालन फार्म (पोल्ट्री फार्म) का काम कर करोड़पति बन गए हैं। उनकी सफलता को देखते हुए गाओ ने भी पोल्ट्री फार्म का काम शुरू करने का फैसला लिया। अपना नया व्यापार शुरू करने से पहले गाओ ने मुर्गी पालन और मुर्गीपालन फार्म परिचालन संबंधित कई किताबें खरीदीं और तीन दिन लगातार सुबह से शाम तक किताबें पढ़ती रही। एक बार जब उसने महसूस किया कि उसे पर्याप्त बुनियादी समझ और कौशल के बारे में पता चल गया है, उसने अपने परिवार के खेत के एक हिस्से में अपने माता-पिता की मदद से एक कॉप(खाँचा) बाड़ा बनाया। फिर वह बाज़ार से 200 मुर्गियाँ खरीद कर आई। हालांकि, बहुत से लोगों को उसके पड़ोस के लोगों को, गाओ पर शक था कि उसे सफलता नहीं मिलेगी, वह इससे प्रभावित नहीं हुई और अपने लक्ष्य की ओर काम करती रही। चाहे धूप हो या बरसात, गाओ अपने फार्म में मुर्गी पालन और उनकी देखरेख में लगी रही। गाओ की मेहनत रंग लाई और कुछ ही महीनों में उसके फार्म में 3000 मुर्गियाँ थीं। अक्टूबर, 2007 में चीन में चिकन की कीमतों में वृद्धि होना शुरू हुआ। मुनाफे में वृद्धि के सुनहरे अवसर को गाओ खोना नहीं चाहती थी इसलिए उसने 3 लाख युआन ($ 44,118) अपने व्यापार में विस्तार करने के लिए रिश्तेदारों और एक बैंक से उधार लिया। दुर्भाग्य से, 2008 की शुरूआत में दक्षिणी चीन के अधिकांश क्षेत्रों में जिसमें गाओ का गृहनगर भी था, भारी बर्फबारी के कारण उसे व्यापार में बहुत बड़े झटके का सामना करना पड़ा। गाओ बताती हैं कि, मैंने खुद देखा कि कैसे भारी बर्फ ने मेरे सारे चिकन की छतों को तोड़ दिया और मेरे नन्हे चूजे उसके नीचे दब गए। एक ही रात में लगभग 90 प्रतिशत, मेरी 10 हज़ार से अधिक मुर्गियों की मृत्यु हो गई। बर्फ बारी के बाद मुझे लगा कि मैं एक ऐसे कमांडर की तरह हूँ जिसके पीछे चलना वाला कोई नहीं, जिसका कोई अनुयायी नहीं। अंतहीन बर्फबारी का सामना करना पड़ा और मृत मुर्गियों से भरा खेत देख, गाओ में रोने तक का साहस नहीं बचा था। यह सब देख, गाओ को वह समय याद आया जब कैसे-कितने सोच-विचार के बाद, उसे विश्वास था कि वह अपने गृहनगर में अपना कैरियर बनाने में सफल रहेगी। उसे याद आया कि कैसे उसके परिवार वाले चिंतित थे उसके फार्म की स्थापना करने से पहले। खैर, अब इन सब बातों से क्या फायदा होता और उसके पास तो अफसोस तक करने का समय नहीं था। अब उसे ऋण चुकाने के लिए रास्ता खोजना था। "मैं उन बेचारी नन्ही-प्यारी मुर्गियों के लिए बहुत दुखी थी जो बारी बर्फबारी के कारण मौत की नींद सो गईं। मैं उनके पंखों को एक टक निहारती रही जो जमीन पर बिखरे पड़े थे............मुझे ऐसा करते देख, मेरे परिवार ने मेरा मज़ाक उड़ाते हुए मुझसे पूछा, अब क्या मुर्गियों के पंखों को घूरते रहने से पैसे कमाओगी। अचानक से उनके शब्दों को सुन मेरे दिमाग में जैसे बिजली कौंधी, गाओ ने कहा।

क्यों न इन पंखों को पैसों में बदल दिया जाए? जब मैं बीजिंग में थी तब मैंने वहाँ डंठलों से बनाई गई एक पेंटिंग देखी थी। उस तरह की पेंटिंगस बहुत सुंदर लगती हैं और बहुत मंहगे दामों में भी बिकती हैं। डंठलों की तुलना में चिकन पंख ज्यादा सुन्दर, अधिक लचीले और बहुत उज्जवल नज़र आते हैं तो क्या पंख डंठलों की जगह नहीं ले सकते, गाओ ने खुद से पूछा। उत्साहित, गाओ अपने ढह गए चिकन फार्म पर गई। चिकन के पंख इकट्ठे किए, उन्हें धोया, साफ किया और फिर चिमटी का इस्तेमाल कर उनके उचित आकार में वापस खींच कर ठीक किया। उसके बाद पंखों को हवा में सूखाया, वह उनके आकर्षक रंग देखकर हैरान थी। जब पंख सूख कर तैयार थे तब गाओ ने उन्हें लैंडस्केप (परिदृश्य) चित्रों पर चिपकाने लगी जो उसने कई साल पहले खुद बनाए थे। वह चित्रों की रूपरेखा और पैटर्न का प्रयोग करते हुए एक नई कलाकृति की रचना करने लगी। गाओ को चित्रकला में रुचि अपने बचपन से थी। जबकि वह बीजिंग में पढ़ रही थी, तब अपने खाली समय में वह बाहर जाना पसंद करती और प्रकृति के दृश्यों को कागज़ पर उतारती। उसके अनुभवों ने उसकी बहुत मदद की जब वह स्वयं इन पंखों से बनने वाली पेंटिंग्स बनाने लगी।

चित्रों के स्केच बनाने से लेकर रंगों का चयन करते समय, गाओ ने अपने पेंटिंग कौशल के अनुभवों का प्रयोग किया। एक सप्ताह के बाद उसने अपनी पहली पंखों से बनी पहली पेंटिंग समाप्त की। रंगीन पंखों के साथ बनी, पेंटिंग में एक उज्जवल गाँव का दृश्य दर्शाया गया था। गाओ का परिवार और दोस्त उसका काम देख हैरान थे। हालांकि, उसकी पहली कोशिश सफल रही, लेकिन गाओ को जल्द ही कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा, उदाहरण के लिए, उसे एक पेंटिंग बनाने में एक सप्ताह का समय लगा, तो कैसे

पंखों से बने चित्रों का बड़ी मात्रा में उत्पादन होगा, ये तो मुश्किल की बात है। जबकि वह इन चुनौतियों का, समस्याओं का हल करने की कोशिश कर रही थी उस दौरान उसने कृषि उत्पादों के बाजारों में जाकर मुर्गियों के विभिन्न रंगों और आकारों के पंख खरीदने लगी। इस काम में उसके परिवार और दोस्तों ने उसकी बहुत मदद की। कम समय में वह अपने गृहनगर में व्यापक रुप से प्रसिद्ध हो गई थी। बात है 2008 अक्तूबर की, गाओ को अपने एक सहपाठी की शादी का निमंत्रण मिला। गाओ ने कहा "मेरे सहपाठी ने मेरे साथ मजाक में पूछा कि क्या शादी के तोहफे में तुम मेरे लिए पंखों से बनी पेंटिंग ला सकती हो। मैंने जवाब दिया, हाँ, ज़रुर क्यों नहीं। गाओ ने एक सप्ताह से ज़्यादा का समय लगाया इस बेहद खूबसूरत पेंटिंग बनाने में। उस पेंटिंग में उसने एक झील के किनारे झूले पर बैठे एक युवा दंपती को दिखाया जो हाथ में हाथ डाले बैठे थे और चित्र में वसंत ऋतु की प्रशंसा करते हुए सुखद जीवन का परिदृश्य दृशाया। "झील," जो हल्के हरे रंग के पंखों से बनाईं गई थी, वह शानदार और जीवंत लग रही थी। विवाह में उपस्थित सभी मेहमानों को गाओ का तोहफा बहुत अनोखा और सुंदर लगा। सब उससे प्रभावित हुए। उसके इस हुनर और रचनात्मक विचारों को देख गाओ के कई मित्रों और सहपाठियों ने उसका हौसला बढ़ाया और व्यापार शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया। गाओ ने भी तय कर लिया कि अब वह पंखों से बनी पेंटिंग्स के उत्पादन में अपना कैरियर बनाएगी। दिसंबर 2008, में गाओ के एक मित्र ने उसे ग्वांक्चो में उस दौरान चल रहे हस्तशिल्प एक्सपो में भाग लेने के लिए आग्रह किया। एक्सपो में कई दर्शकों को गाओ की पंखों से बनी पेंटिंग्स ने आकर्षित किया। कुछ समय बाद गाओ को स्थानीय और विदेशों से लगभग 200,000 युआन (29,412 $) तक के आर्डर मिले। गाओ अपने गृहनगर लौट गई और उसने फिर से चिकन फार्म खोला हालांकि इस समय बहरहाल, उसकी अंडे और चिकन मांस बेचने की योजना नहीं थी। वह उन्हें उनके सुंदर पंखों के लिए पाल रही थी। गाओ ने गांवों की महिलाओं को काम पर रखा है और उन्हें सीखाने लगी कि चिकन के पंखों का चित्र बनाने के लिए कैसे उपयोग करना चाहिए। गाओ ने चिकन के पंखों से चित्रों का निर्माण करने के लिए एक मानकीकृत संचालन और प्रबंधन मोड विकसित किया। उसके कर्मचारियों से समर्थन के साथ जल्द ही बड़ी मात्रा में चित्रों का उत्पादन होने लगा और चीन में गाओ का नाम और अधिक फैलने लगा। 2010 में, गाओ बीजिंग में बस गई चीन तकनीकी एसोसिएशन के साथ सहकारी कार्यक्रम शुरू करने के लिए।

उसने पत्थर, मिट्टी के बर्तन, और क्रिस्टल के साथ पंखों को जोड़ने का काम शुरू किया। आज, गाओ के सजावटी चित्र बीजिंग, तियानजिन, हुबेई, हबेई और क्वांगदोंग प्रांत में व्यापक रूप में बिकते हैं। गाओ का हमेशा से मानना रहा है "यदि आप प्रयास करने के लिए तैयार हैं तो बदलाव अवश्य होगा। "आज, चीन में सब लोग अपने-अपने जीवन में व्यस्त हैं और जीवन के भारी बोझ के नीचे दबे पड़े हैं। प्रकृति, हरे-भरे दृश्यों के लिए तरसते हैं, ऐसे में एक पेंटिंग जो सुंदर परिदृश्य दृशाए उन्हें सूकुन और आरामदायक महसूस करने में मदद कर सकती हैं। मैं पंखों से एक वंडरलैंड बनाना चाहती हूँ। एक तरीका हो सकता है कि चित्रों में ऐसे प्राकृतिक दृश्यों की सराहना कर, यह लोगों की आध्यात्मिक जरूरत को पूरा करे तब भी जब वे अपने घर के अंदर बैठे हो।

श्रोताओं, आपको हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम का यह क्रम कैसा लगा। हम आशा करते हैं कि आपको पसंद आया होगा। आप अपनी राय व सुझाव हमें ज़रूर लिख कर भेजें, ताकि हमें इस कार्यक्रम को और भी बेहतर बनाने में मदद मिल सकें। क्योंकि हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम आप से है, आप के लिए है, आप पर है। इसी के साथ हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। आप नोट करें हमारा ई-मेल पताः hindi@cri.com.cn । आप हमें इस पते पर पत्र भी लिख कर भेज सकते हैं। हमारा पता हैः हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पी .ओ. बॉक्स 4216, सी .आर .आई.—7, पेइचिंग, चीन , पिन कोड 100040 । हमारा नई दिल्ली का पता हैः सी .आर .आई ब्यूरो, फस्ट फ्लॉर, A—6/4 वसंत विहार, नई दिल्ली, 110057 । श्रोताओ, हमें ज़रूर लिखयेगा। अच्छा, इसी के साथ मैं हेमा कृपलानी आप से विदा लेती हूँ इस वादे के साथ कि अगले हफ्ते फिर मिलेंगे।

तब तक प्रसन्न रहें, स्वस्थ रहें। नमस्कार

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