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12-10-02
2012-10-22 18:50:43

स्वीकार कीजिए नमस्कार, हेमा कृपलानी का। आज मंगलवार के दिन लेकर हाजिर हूँ आप सब का अपना पसंदीदा कार्यक्रम न्यूशिंग स्पेशल। दोस्तों, न्यूशिंग स्पेशल की स्पेशियालीटी रही है कि इस कार्यक्रम में हम आपको जीवन के हर पहलू से रू-ब-रू करवाते हैं। कभी कोई विषय आपको अंदर तक छू जाता है तो कभी कोई विषय आपको जानकारी दे जाता, तो कोई आपका करता मनोरंजन तो कोई करता बोर, कोई दे जाता फैशन अपडेट, तो कोई

लेटेस्ट ट्रेंड। चलिए, इसी नोट के साथ करते हैं, आज के कार्यक्रम की शुरुआत। दोस्तों,

सुबह उठते ही एक प्याला बढ़िया चाय मिल जाए तो एक नया जोश, नई उमंग मिल जाती है। चाय पीने से हम तरोताजा तो महसूस करते ही हैं साथ ही आलस्य भाग जाता है। नई चुस्ती-फुर्ती आ जाती है। वैसे चाय न सिर्फ सुबह की जरूरत है, वरन्‌ दिनभर में कभी भी पीने से यह हमें ताजगी से भर देती है। चाय न केवल एक पेय है, बल्कि यह हमारे देश की संस्कृति का एक अंग है। घर आए मेहमान का स्वागत चाय पिलाकर करना हमारी सभ्यता में शुमार है। भारत ही नहीं, बल्कि कई देशों में चाय पिलाने का रिवाज है। चीन और जापान उनमें से एक है, जहां चाय पिलाना उसकी मेहमाननवाजी में शामिल है। चीन की ग्रीन टी के बारे में आज सब जानते हैं। ग्रीन टी एक स्वास्थ्यवर्धक पेय पदार्थ है, यह अक्सर सुनने को मिलता है, लेकिन वैज्ञानिकों को मिले एक साक्ष्य के मुताबिक यह मस्तिष्क के लिए लाभदायी होता है। वैज्ञानिकों ने इसमें ऐसे रासायनिक तत्व पाए हैं जो मस्तिष्क की कोशिका के उत्पादन, स्मृति में सुधार के साथ-साथ सीखने की क्षमता को प्रभावित करता है।

चीन के चोगकिग स्थित 'थर्ड मिलिट्री मेडिकल यूनिवर्सिटी' के प्राध्यापक युन बाए ने कहा, " ग्री टी दुनियाभर में सबसे प्रचलित पेय पदार्थो में से एक है। हृदय सम्बंधित रोग के इलाज में इसके इस्तेमाल पर पर्याप्त वैज्ञानिक नजर रही है, लेकिन ऐसे नए साक्ष्य मिले हैं जिसके मुताबिक इसके रासायनिक तत्व मस्तिष्क के कोशिकीय प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।"

मोलिक्युलर न्युट्रीशन एंड फूड रिसर्च पत्रिका में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक युआन के शोधकताओं के दल ने ग्रीन टी के मुख्य जैव-रासायनिक अवयव ईजीसीजी (एपिगैलोकेटेचीन-3 गैलैट) पर ध्यान दिया। यह एक आक्सीजनरोधी है। शोधकर्ताओं के दल का मानना था कि यह उम्र सम्बंधी रोग के इलाज में भी लाभदायी हो सकता है।

युन ने कहा, " हमने यह पेश किया कि स्नायु कोशिका की उत्पत्ति के प्रभाव से ईजीसीजी संज्ञानात्मक प्रक्रिया में सुधार लाया जा सकता है।" उन्होंने कहा, "हमने अपने शोध में मस्तिष्क के एक हिस्से हिप्पोकैम्पस पर ध्यान दिया जो लघु अवधि और दीर्घ अवधि की स्मृति से सूचनाओं का तैयार करता है।"

शोधकर्ताओं ने पाया कि स्टेम कोशिका के तरह विभिन्न कोशिका में रुपांतरित होने वाली स्नायु प्रजनक कोशिका के उत्पादन में ईजीसीजी बढा़वा देता है। तब इन शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में चूहे पर प्रयोग कर यह जानने की कोशिश की कि कहीं इन कोशिकाओं के उत्पादन से स्मृति और सीखने की क्षमता के बढ़ने में कोई मदद तो नहीं मिलती। अंतत: इस प्रक्रिया का परिणाम उम्मीद के मुताबिक आया। चलिए, कार्यक्रम में आगे आपको एक मज़ेदार खबर सुनाती हूँ। हम सब जानते हैं कि किसी रेस्टोरेंट में जाने के लिए हमारी जेब में पैसे या तो क्रेडिट कार्ड होना ज़रुरी है लेकिन क्या आपने कभी किसी रेस्टोरेंट में दाखिल होने के अनोखे नियमों के बारे में सुना है। नहीं ना, चलिए हम आपको बताते हैं इन अनोखे नियमों के बारे में।

बिजनेस के लिहाज से यह अव्यावहारिक लग सकता है, लेकिन चीन के हेनान प्रांत में एक रेस्टोरेंट के गेट पर वहां जाने वाले लोगों के लिए नियम लिखे हैं। इसमें लिखा गया है कि यहां उन लोगों को भोजन के लिए टेबल नहीं मिलेगी, जो अपने माता-पिता का सम्मान नहीं करते हैं। शराब और बाकी चीजों पर अनाप-शनाप खर्च करते हैं। इसमें मजेदार बात यह भी शामिल की गई है, जो लोग यह मानते हैं कि प्रॉपर्टी की कीमतें नहीं गिरेंगी उनको भी इस रेस्टोरेंट में आने की जरूरत नहीं है। रेस्टोरेंट के मालिक का कहना है कि ये नियम दरअसल उसके जीवन का फलसफा है। जो भी इनको नहीं मानता है उसको इस रेस्टोरेंट में आने की जरूरत नहीं है। ओह मॉय गॉड, बॉय गॉड क्या नियम बनाएँ हैं बनाने वाले ने, यहाँ कोई खाना खाने जाएगा या गिल्टी-गिल्टी फील करने। अंकल जी, बड़े टफ नियम बना लिए आपने तो। वैसे जब आप अगली मज़ेदार खबर सुनेंगे तो इस रेस्टोरेंट के अनोखे नियमों को पक्का भूल जाएँगे। वैसे हम सब अपने बॉस से कभी-न-कभी नाराज़ ज़रुर हुए हैं और इसे हम कभी जाहिर भी नहीं कर पाते बस मन मसोस कर रह जाते हैं। लेकिन चीन में इसका भी तोड़ निकाल लिया है और यहाँ अधिकारियों को सबक सिखा रहे हैं कर्मचारी, कैसे तो सुनिए। अपने अधिकारियों से परेशान कर्मचारियों का तनाव दूर करने के लिए चीन में नायाब नुस्खा निकाला गया है। यहां पर एक ऐसी प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है, जिसमें प्रतियोगी को अपने साथ एक तकिया लाना होता है जिस पर उसको परेशान करने वाले बॉस का नाम लिख दिया जाता है। इसके बाद सार्वजनिक रूप से कर्मचारी द्वारा उस तकिए की धुनाई की जाती है। चीन में इस तरह की प्रतियोगिता का आयोजन पिछले पांच सालों से किया जा रहा है। इस साल भी इस प्रतियोगिता में सैकड़ों कर्मचारियों ने हिस्सा लेकर अपने बॉस के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली। आयोजकों का मानना है कि इस तरह के आयोजन का मकसद कर्मचारियों के तनाव में कमी लाना है। हैं न बढ़िया, आए एम श्योर आप में से कुछ ने तो तकिया हाथ में उठा भी लिया है, अब तक। चलिए, एक और मज़ेदार खबर, क्या आप में से कभी किसी के बॉस ने आपको गुस्से में कहा है कि ऑफिस में सोने आते हो या काम करने, तो अब फिक्र मत कीजिए और अब कार्यालय में इत्मीनान से लीजिए झपकी! जी हाँ, अगर आप कार्यालय में झपकी लेने के ख्वाहिशमंद है और चाहते हैं कि दूसरों की नजरों से भी बचें रहे, तो आपके लिए हाजिर हैं स्टीकर। आंख के आकार वाले ये स्टीकर बस आप अपनी आंखों पर लगाइए और जमकर लीजिए नींद का मजा। इन दिनों आंख के आकार के ये स्टीकर चीन में तेजी से लोकप्रिय भी हो रहे हैं। इसके द्वारा अपने अधिकारी को आसानी से झांसा देकर छोटी- सी झपकी ले सकते हैं। सूत्रों के हवाले से बताया कि चीन में इस स्टीकर के अधिकतर खरीदारों में कॉलेज जाने वाले छात्र एवं कार्यालय जाने वाले लोग हैं। एक छात्रा ने बताया कि वह पिछले हफ्ते कक्षाओं में सोती रही लेकिन किसी भी अध्यापक की नजर उस पर नहीं गई। एक स्टोर कीपर ने कहा, इन स्टीकरों की सहायता से आप कहीं भी झपकी ले सकते हैं। उन्हें पकड़ना मुश्किल होगा। ये सस्ते हैं। एक जोड़े की कीमत एक युआन है। यद्यपि स्टीकर हमेशा उपयोगी नहीं है। हैं न, मस्त आइडिया, अगली बार अगर आपको भी ऑफिस या कॉलेज में नींद आए तो बस स्टीकर लगाएँ और नैप लें। उसके बाद क्या हुआ उसके बारे में हमें ज़रूर बताएँ। हममम.....आप सब चाइना रेडियो इंटरनेशनल पर चीन की खबरें सुनते रहते हैं तो आज मैंने सोचा क्यों न आपको चीन की अजब-गजब खबरें सुनाऊँ। चलिए, खबरों के बाद बात करते हैं चाइना सिल्क के बारे में। जिसका नाम हम सब तब से लेकर सुनते आ रहे हैं जब हम में से अधिकतर लोग बस इतना ही जानते थे कि इस नाम का कोई देश है। चाइना सिल्क का इतिहास उतना ही पुराना है जितना कि चीन का इतिहास। आज भी दुनिया भर में सिल्क का नाम लिया तो मतलब सबसे पहले जो नाम दिमाग में आता है वह है, चाइना सिल्क। सिल्क चीन का एक प्रतीक है। चाइना सिल्क यानी रेशम जाना जाता है अपने उच्च गुणवत्ता और अति सुंदर पैटर्न के कारण। रेशम और रेशम के उत्पादन के बारे में जानकारी चीन से यूरोप सहित कई अन्य देशों में फैल गयी। रेशम और रेशम से बने उत्पादों, वेशभूषा के प्रसार के साथ पूरे विश्व को चीन की संस्कृति और सभ्यता के बारे में पता चला। सदियों से रेशम ओरिएंटल संस्कृति का एक वाहक और प्रतीक रहा है।

प्राचीन चीन में सिल्क से बने कपड़ों का प्रयोग होना शुरु हो गया था। कुछ 3500 ई.पू (बी.सी) से पहले के भी उदाहरण मौजूद हैं जिससे पता चलता है कि रेशम से बने कपड़े तब भी प्रयोग में लाए जाते थे। एक पौराणिक कथा के अनुसार, लैयज़ू, चीन की एक महारानी ने रेशम से कपड़े बनाने का चलन विकसित किया। शुरूआत में सिल्क का प्रयोग केवल शाही परिवार करता था, लेकिन समय के साथ रेशम देशभर में एक अति वांछित वस्तु बन गया। अंततः इसकी मांग इतनी बढ़ गई कि सिल्क का एशिया भर में सबसे ज़्यादा कारोबार किया गया और फिर बाकी विश्व में। इसकी बनावट और चमक को देखते हुए, सिल्क के कपड़े तेजी से कई क्षेत्रों में लोकप्रिय हो गए जहाँ चीनी व्यापारियों के लिए उस समय पहुँचना सुलभ था। सिल्क की मांग हद से ज़्यादा बढ़ गई और यह प्राचीन चीन में पूर्व औद्योगिक अंतरराष्ट्रीय व्यापार का एक मुख्य उत्पाद बन गया। जुलाई 2007 में, पुरातत्त्वज्ञों ने झियांशी प्रांत की एक कब्र में जटिलता से बुने और रंगे सिल्क वस्त्र की खोज की जो लगभग 2500 साल पहले, पूर्वी झोउ राजवंश के दौरान बुना गया था। सिल्क वस्त्र बुनाई और रंगाई की जटिल तकनीक का प्रयोग कर तैयार किए गए थे।

रेशम व्यापार भारतीय उपमहाद्वीप, मध्य पूर्व, यूरोप और उत्तरी अफ्रीका तक फैल गया। रेशम व्यापार इतना व्यापक हो गया था कि यूरोप और एशिया के बीच प्रमुख व्यापार मार्गों को सिल्क रोड के रूप में जाना जाने लगा था। रेशम उत्पादन का ज्ञान और जानकारी(सेरीकल्चर) 200 ई.पू. के आसपास कोरियाई प्रायद्वीप तक पहुंच गया। प्रथम शताब्दी ई. के पूर्वाद्ध तक यह प्राचीन खोतान तक पहुँच गया था। 140 ई. तक इसका अभ्यास भारत में स्थापित किया गया था। प्राचीन समय में चाइना सिल्क, यूरोप और एशिया में सबसे आकर्षक माना जाता और लक्जरी आइटम के रूप में इसका कारोबार किया जाता था। प्राचीन फारसियों सहित कई सभ्यताएँ सिल्क के व्यापार से आर्थिक रूप से लाभान्वित हुईं। आज चीन में शीर्ष चार रेशम उत्पादक क्षेत्रों में झिंयांगसू प्रांत में सुझोअ, स्छवान प्रांत में नान्चोंग, झझियांग प्रांत में दो क्षेत्र हुजो़अ और हांग्जो हैं। यहाँ बीजिंग में तो एक बाज़ार का नाम ही सिल्क मार्केट है, जहाँ आपको सिल्क से बने कपड़े, जैकेट, जूते, पर्स, बैग, चाइनीस चिपाओ(चीनी महिलाओं की पारंपरिक पोशाक), चादरें, टेबल कवर, टेबल मेट, हैंड फैन्स(हाथ पंखे), बच्चों के खिलौने और न जाने क्या-क्या। इतने सुंदर रंग, पैटर्न और डिजाइन मिलते हैं, यहाँ कि आप सोच में पड़ जाएंगे क्या लूँ और क्या न लूँ। और चाइना सिल्क से बने उत्पाद आज विश्व के कोने-कोने में मिलते हैं। आपको भी यदि मौका मिले तो चाइना सिल्क से बनी कोई वस्तु ज़रूर खरीदें और उसे खरीदते समय आज के कार्यक्रम को ज़रूर याद कीजिएगा और हमें बताना मत भूलिएगा कि क्या लिया आपने।

श्रोताओं, आपको हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम का यह क्रम कैसा लगा। हम आशा करते हैं कि आपको पसंद आया होगा। आप अपनी राय व सुझाव हमें ज़रूर लिख कर भेजें, ताकि हमें इस कार्यक्रम को और भी बेहतर बनाने में मदद मिल सकें। क्योंकि हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम आप से है, आप के लिए है, आप पर है। इसी के साथ हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। आप नोट करें हमारा ई-मेल पताः hindi@cri.com.cn । आप हमें इस पते पर पत्र भी लिख कर भेज सकते हैं। हमारा पता हैः हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पी .ओ. बॉक्स 4216, सी .आर .आई.—7, पेइचिंग, चीन , पिन कोड 100040 । हमारा नई दिल्ली का पता हैः सी .आर .आई ब्यूरो, फस्ट फ्लॉर, A—6/4 वसंत विहार, नई दिल्ली, 110057 । श्रोताओ, हमें ज़रूर लिखयेगा। अच्छा, इसी के साथ मैं हेमा कृपलानी आप से विदा लेती हूँ इस वादे के साथ कि अगले हफ्ते फिर मिलेंगे।

तब तक प्रसन्न रहें, स्वस्थ रहें। नमस्कार

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