दक्षिण चीन में स्थित हाईनान प्रांत अपनी विशेष प्राकृतिक समुद्री दृश्यों से पर्यटन व्यवसाय का जोरदार विकास कर रहा है। इधर के सालों में हाईनान अंतरराष्ट्रीय पर्यटन विकास करने के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधन व परम्परागत संस्कृति को जोड़ने वाले नए पर्यटन ढांचे की खोज कर रहा है। अभी आप सुन रहे है हाईनान प्रांत के पाओथिंग क्षेत्र में स्थित कानशिलिंग सुपारी घाटी में बसे ली और म्याओ जातीय गांव में प्रदर्शित"सुपारी और प्राचीन संगीत"शीर्षक कलात्मक अभिनय का एक अंश, जिसमें ली जाति और म्याओ जाति की प्राचीन कथाएं, जातीय हस्तकला और मधुर गीत संगीत दिखाए जाते हैं, दर्शकों को बहुत मनोहर लगता है।
हाईनान एक बहुजातीय प्रांत है, लम्बे अर्से में ऐतिहासिक विकास के दौरान स्थानीय अल्पसंख्यक जातियों ने रंगारंग व विशेष परम्परागत संस्कृति रची। यह मूल्यवान सांस्कृतिक धरोहर ही नहीं, प्रांत के महत्वपूर्ण सांस्कृतिक संसाधन भी माना जाता है।
हाईनान की पर्यटन विकास समिति के उप प्रधान सुन यिंग ने जानकारी देते हुए कहा कि सानया, लिंगश्वे और पाओथिंग आदि शहरों व कांउटियों में कई जातीय रीति रिवाज़ दिखाने वाले गांव सुरक्षित हैं, जिनमें प्रदर्शित सांस्कृतिक कार्यक्रम बेशुमार पर्यटकों को आकृष्ट करते हैं। सुपारी घाटी गांव उनमें से एक है। इसकी चर्चा में सुन यिंग ने कहा: "हमने ली जाति और म्याओ जाति की संस्कृति का पूर्ण विकास किया है। सुपारी घाटी का उद्हरण लें, हमने ली जाति के गांवों से सुधार कर संग्रहालय की स्थापना की, जिसमें जातीय संस्कृतिक पर्यटक देखकर गहन रूप से महसूस कर सकते हैं। हमारी'ली जाति की कहानी'शीर्षक सांस्कृतिक प्रस्तुति ने देश भर की प्रतियोगिता में ग्यारह पुरस्कार हासिल किए। हाईनान द्वीप आकर आप इसे देखकर यहां रहने वाली ली जाति के बारे में जान सकते हैं और खूब मज़ा भी उठा सकते हैं।"
कानशिलिंग सुपारी घाटी का ली व म्याओ जातीय सांस्कृतिक पर्यटन क्षेत्र राष्ट्र चार ए. स्तरीय पर्यटन क्षेत्रों में से एक है, जो कानशिलिंग प्राकृतिक संरक्षण केंद्र में बसा हुआ है, इस क्षेत्र के दोनों ओर घने जंगल और पर्वत है, बीचोंबीच कई किमी. लंबी सुपारी घाटी, इस तरह इसे सुपारी घाटी कहा जाता है।
ली जाति की परंपरा में सुपारी न सिर्फ़ अहम शिष्टाचार, बल्कि इस जाति के जीवन-दर्शन का द्योतक भी है। यहां तक कि सुपारी के बिना शादी भी नहीं हो पाती है। ली जाति हाईनान प्रांत के मध्य पहाड़ी क्षेत्र में बसी हुई है, वहां रहस्यमय आदिम जंगल भी है। पर्यटक सुपारी घाटी में आने के बाद ली जातीय संस्कृति महसूस कर सकते हैं। स्थानीय गाइड एक युवती आमई ने कहा: "हमारे यहां शादी वसंत त्योहार से भी अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। लड़के को शादी करने से पूर्व सुपारी के पेड़ पर चढ़कर सुपारी लेकर लड़की को देना पड़ता है। उसे 49 सुपारी के पेड़ों पर चढ़कर 49 सुपारी फल तोड़ने होते हैं। पहले ली जाति पांच अंगुलियां पहाड़ी क्षेत्र में रहती थी। हमारे यहां एक देव है, जिसका नाम है पांच अंगुलियां देव, उसकी नाक एक सुपारी का पेड़ ही है, यह ली जाति की अदम्य भावना का प्रतीक है। क्योंकि सुपारी का पेड़ समुद्री तूफ़ान से बच सकता है, उसे बहुत उदम्य माना जाता है।"
श्रोताओ, ली जाति हाईनान प्रांत की आदिमवासी है, जिसका इतिहास कई हज़ार वर्ष पुराना है। लम्बे समय में विकास की प्रक्रिया में इस जाति की विशेष संस्कृति कायम हुई। मानव विज्ञानी ली जाति की महिलाओं को"हाईनान की तुनह्वांग भीत्ति चित्र"मानते हैं। ध्यान रहे, तुनह्वांग पश्चिमी चीन के कानसू प्रांत में स्थित है, तुनह्वांग गुफ़ा में सुरक्षित भीत्ति चित्र विश्वविख्यात है। ली जाति की आदिम महिलाओं के पास टैटू लगाने की आदत है, जिसका इतिहास भी बहुत पुराना है। इस तरह ली जाति एकमात्र त्वचे से जातीय चिह्न रिकॉर्ड करने वाली जाति मानी जाती है, इस प्रकार की संस्कृति कई हज़ार वर्षों तक जारी रही है, उसे ली जाति का मूल्यवान सांस्कृतिक धरोहर माना जाता है। गाइड लड़की आमई ने कहा: "महिलाओं के शरीर पर ज्यादा टैटून लगाने से ज्यादा वे अधिक सुंदर लगती हैं, उसका ज्यादा ऊंचा है। आम तौर पर लड़की 6 की उम्र से 13 तक टैटू लगाती है। ली जाति का निवास स्थान, भाषा और वस्त्र का अंतर पांच बोली क्षेत्रों में बंटा हुआ है। भिन्न-भिन्न बोली क्षेत्र में अलग-अलग टैटू डिज़ाइन बनाए जाते हैं। पहले टैटू का डिज़ाइन निश्चित था। यहां पांच बड़े परिवार थे, हरेक परिवार का स्थाई टैटू डिज़ाइन होता था।"
सामाजिक विकास के चलते ली जाति की महिलाओं में टैटू लगाने का रिवाज़ दूर हो गया। अब अंतिम पीढ़ी वाली टैटू लगाने वाली वृद्ध महिलाएं सुपारी घाटी के कानशी गांव में रहती हैं, जहां आदिम जंगल फैला हुआ है।
प्राचीन टोटेम, सुन्दर वस्त्र, रहस्य टैटू, आश्चर्यजनक नृत्य और विविधतापूर्ण वाद्ययंत्र……ली जातीय संस्कृति हाईनान आने वाले पर्यटकों के आकृष्ट करती है। दक्षिण चीन के फ़ूच्यान प्रांत से आई सुश्री तोंग ने कहा कि हाईनान की जातीय रीति रिवाज़ ने उन पर गहरी छोप छोड़ी है। सुश्री तोंग का कहना है: "फ़ूच्यान प्रांत में इस प्रकार वाली जातीय संस्कृति कम है, यहां जातीय रीति रिवाज़ का माहौल ज्यादा है। फ़ूच्यान समुद्री प्रांत भी है। लेकिन मुझे हाईनान की जातीय रीति रिवाज़ अधिक पसंद है।"
हाईनान की विशेष व जीवन शक्ति वाली जातीय संस्कृति न सिर्फ़ देशी विदेशी पर्यटकों को आकृष्ट करती है, बल्कि इस पर विदेशी मीडिया संस्थाओं की रूचि भी केंद्रित हुई। कोरिया गणराज्य, रूस और जर्मनी आदि देशों की मीडिया ने सुपारी घाटी आकर दौरा किया और वीडियो बनाए। सुपारी घाटी ली म्याओ जातीय सांस्कृतिक पर्यटन क्षेत्र के कर्मचारी लेई छ्यांग ने कहा: "कोरिया गणराज्य के कोरिया ब्रोडकास्टिंग सिस्टम यानी केबीएस कभी कभार यहां वीडियो बनाकर स्वेदश में प्रसारण करती है। उसे खानपान, जातीय वस्त्र, नृत्य व वाद्ययंत्र पर ज्यादा रूचि है।"
अल्पसंक्यक जातीय संस्कृति के अलावा हाईनान में ज्यादा विशेष सांस्कृतिक पर्यटन स्थल भी उपलब्ध हैं। आज से 13 सौ वर्ष पूर्व थांग राजवंश में महाभिक्षु च्यान चन समुद्र पार कर जापान पहुंचने वाली कहानी हाईनान में प्रसिद्ध है। इस तरह इस प्रांत में नानशान बौद्ध संस्कृति से जुड़ा पर्यटन क्षेत्र स्थापित हुआ, इसके अलावा हाईनान में सोंग राजवंश के मशहूर कवि सू तोंगफो की स्मृति में स्थापित तोंगफो कॉलेज, नए चीन में एकमात्र महिला उप राष्ट्राध्यक्ष सोंग छिंगलिन का पुराना निवास स्थान भी सुरक्षित है। इन सबसे हाईनान द्वीप की विविधतापूर्ण विशेष संस्कृति जाहिर होती है।