दोस्तों, आज 1 सितम्बर 2012 है और मेरा छिंगदाओ में दूसरा दिन। सुबह का नाश्ता कर हम अपने दिन की शुरुआत करने जैसे ही होटल से बाहर निकले तो चीनी बैंड-बाजे वाले होटल के बाहर खड़े थे और उनसे पूछने पर पता चला कि आज होटल में शादी है और दूल्हा-दुल्हन बस पहुँचने ही वाले हैं। इतने में सजी-धजी कार वहाँ आई और दूल्हा-दुल्हन जैसे ही कार से बाहर आए उनका स्वागत पारंपरिक चीनी ड्रैगन डांस से हुआ और आज पहली बार चीन में किसी शादी के अवसर पर चीनी बैंड-बाजे और ड्रैगन डांस देखने का मौका मिला। कितनी खूबसूरती और रीति-रिवाज़ के अनुसार ड्रैगन डांस हुआ और उन्होंने नव-विवाहित जोड़े को अपना आशीर्वाद दिया। ड्रैगन डांस को हमने भी अपने वीडियो कैमरा में कैद किया और चल पड़े आगे।
आज हम सबसे पहले देखने गए, मे फोर्थ स्कवैर। छिंगदाओ शहर का आइकोन माना जाता है और जैसा कि नाम है- मे फोर्थ स्कवैर यानी 4 मई, यह वहीं जगह है जब चीनी जनता ने जापानियों को अपने देश से बाहर निकालने की मुहिम शुरू की थी। उसके पीछे जो कहानी है वह कुछ इस प्रकार है.........सन् 1898 से 1914 तक शांगदोग प्रायद्वीप चीन के उन क्षेत्रों में था जो जर्मनी को कोलोनी के रूप में दिेए गए थे। प्रथम विश्व युद्ध में जापान ने छिंगदाओ शहर पर कब्ज़ा कर लिया था क्योंकि 1902 में ब्रिटेन के साथ हुए समझौते के अंतर्गत जापान ने अगस्त 1914 में जर्मनी से युद्ध की घोषणा कर दी थी। जब जर्मनी हार गया और प्रथम विश्व युद्ध खत्म हुआ तो सोचा यह जा रहा था कि शांगदोंग चीन को वापस कर दिया जाएगा लेकिन 30 अप्रैल 1914 को इसे जापान को दे दिया गया। उसके बाद द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1937 से 1945 तक जापान ने फिर कब्जा कर लिया था। मे फोर्थ स्कवैर 30 मीटर लम्बा, रंग लाल और लट्टू की तरह दिखता है। यह छिंगदाओ नगर निगम की इमारत और फुशान खाड़ी के बीच में खड़ा है। यहाँ से होकर हम आगे बड़े ओलम्पिक सैलिंग सेंटर की तरफ यह वही जगह हैं जहाँ से 2008 बीजिंग ओलम्पिक की मशाल को प्रजवल्लित कर बीजिंग लाया गया था। इसी के पास है ग्रेंड थिएटर जहाँ सभी बड़े शो और ऑपेरा दिखाए जाते हैं और साथ-साथ फुशान खाड़ी का साफ-नीला पानी देखने वाला था।
आज के सफर में हमारे साथ छिंगदाओ मेडिकल युनिवर्सिटी के भी कुछ छात्र साथ में थे जो छिंगदाओ दिखा रहे थे। वे हमें लेकर गए बादागुआन। बादागुआन में आज भी जर्मन काल की कई इमारतों का सरंक्षण कर उन्हें हुबहु वैसे ही रखा गया है जैसे वे उस समय थीं। बस फर्क इतना है कि अब वे घर न होकर गेस्ट हाउस में तब्दील कर दिेए गए हैं। इस क्षेत्र को चीन में शहर के सबसे सुंदर इलाके की उपाधि से नवाज़ा गया है। यहीं पर है, हुएशियान विला जो किसी समय में एक जर्मन पत्रकार का घर हुआ करता था और अब वह एक म्युजियम है। नौ युआन की टिकट खरीद कर हम उस चार मंजिला बंगले में गए जहाँ उनका पुराना फर्नीचर सहेज कर रखा था और घर के पीछे था, नीला, विशाल समुद्र। जिसे देख लगा कि घर हो तो ऐसा। समुद्र को बैकग्राउंड में रख हमने उतारी तस्वीरें और वहाँ से मज़ा लेने गए बीच का। समुद्र के ठंडे-ठंडे, निर्मल पानी को जैसे ही पैरों ने महसूस किया हमारी सारी थकान कहाँ उड़न-छू हो गई हमें पता भी नहीं चला। अगर आप चीन देखना चाहते हैं और साथ में समुद्र तट का मज़ा लेना चाहते हैं तो छिंगदाओ एक आइडियल स्थान है। पूरा शहर पहाड़ी इलाके पर बसा हुआ है इसलिए पूरे शहर में सड़कें कहीं ऊपर तो कहीं नीचे तो कहीं ढलान पर बनी हैं। इस कारण शहर में साइकिल चलाना गैरकानूनी है। ये जानकर बहुत हैरानी हुई क्योंकि बीजिंग में साइकिल लेन्स बनी हुईं हैं। एक बात और देखी इस शहर में यहाँ के सभी टैक्सी चालक अपनी कार के आगे वाले शीशे में जिसमें पीछे के ट्रैफि़क को देखा जाता है, पर लाल रंग का रिबन बाँधे रहते हैं। पूछने पर पता चला कि ऐसा गुड लक और सुरक्षा के लिए किया जाता है ठीक उसी तरह जैसे हमारे यहाँ हाथ पर मौली बाँधी जाती है।
दोस्तों, किसी भी शहर के बारे में सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण कौन होता है? जी हाँ, आप ठीक सोच रहे हैं, उस शहर के लोग। शहर के बारे में, ऐतिहासिक स्थानों के बारे में, पर्यटक स्थलों के बारे में किसी भी किताब में पढ़ा जा सकता है, इंटरनेट पर ढूँढ़ा जा सकता है, लेकिन लोगों के बारे में तो उन से मिलकर ही राय कायम की जाती है। ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ। आपको उसके बारे में मैं अपने अगले लेख में बताऊँगी। तब तक कीजिए थोड़ा इंतज़ार।
हेमा कृपलानी