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12-08-14
2012-08-22 19:42:03

आज बहुत ही स्पेशल दिन है क्योंकि आज है 14 अगस्त मंगलवार, न्यूशिंग स्पेशल लेकर आई आप सब के लिए, मैं हेमा कृपलानी। आज आप सब रिलेक्सेड मूड में होंगे क्योंकि कल है 15 अगस्त और आप सब को सुबह-सवेरे ऑफिस-दफ्तर-स्कूल जाने की भागम-भाग नहीं करनी। तो रिलेक्स कीजिए और आराम से मज़ा लिजिए न्यूशिंग स्पेशल प्रोग्राम का। मुझे याद है, जब हम स्कूल में थे तब आज के दिन स्कूल में बहुत मज़ा आता था, स्कूल में स्वतंत्रता दिवस समारोह आयोजित किया जाता था। सुबह की असेंबली में प्रिंसिपल सर फ्लैग होइसटिंग के बाद, भाषण देते थे, हम सब मिलकर राष्ट्रीय गान और देशभक्ति के गीत मिलकर गाते थे और कुछ बच्चे लोकनृत्य का प्रदर्शन करते, देशभक्ति पर आधारित नाटक भी दिखाया जाता और बताया जाता कि कैसे महान राष्‍ट्रीय नेताओं और स्‍वतंत्रता सेनानियों ने विदेशी नियंत्रण से भारत को आज़ाद कराने के लिए अनेक बलिदान दिए और अपना जीवन न्‍यौछावर कर दिया। उन महान स्‍वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी जाती। हम सब को एक अच्छे इंसान और देश का अच्छा नागरिक बनने की सीख दी जाती। पूरा दिन देश और देशभक्ति के चर्चे होते। क्लास में टीचर भी वहीं लेसन पढ़ातीं जो देश के इतिहास और देशभक्तों की वीर गाथा पर आधारित होते। दोपहर को घर वापस लौटने के बाद भी स्कूल में क्या-क्या हुआ उसकी बातें चलती रहती और स्कूल से मिले तिंरगे को हम कितने मान-शान-सम्मान से अपनी मेज़ पर सजाते और रात को दादाजी यह कहकर जल्दी सोने को कहते की सुबह घर के पास वाले पार्क में पूरा मुहल्ला इकट्ठा होकर स्वतंत्रता दिवस मनाएगा और हम सब सुबह सफेद और केसरी रंग के कपड़े पहनकर पार्क में जाएँगे और घर लौटकर टी.वी पर स्वतंत्रता दिवस समारोह देखेंगे। और दोपहर में टी.वी पर देशभक्ति पर आधारित फिल्में दिखाई जाती और पूरा परिवार साथ में बैठकर देखता। सारा दिन छत पर पतंगें उड़ाते हम बच्चे, पूरा दिन धम्मा-चौकड़ी मची रहती। मम्मी दोपहर के खाने के लिए बुला-बुलाकर थक जाती लेकिन मज़ाल है कि हमें उनकी बातें सुनाई दें। रेडियो पर ये गीत पूरा दिन चलता। गीत.....................................................

इस तरह अपने देश के वीर स्‍वतंत्रता सेनानियों को याद कर पूरा दिन बीतता और बचपन भी इन सुनहरे पलों की मीठी यादें देकर बीत गया। लेकिन क्या आपको नहीं लगता कि बचपन में जो भी हम सीखते हैं वो ताउम्र हमारे साथ रहता है। जो भी अच्छी आदतें, अच्छी बातें हम सब ने अपने बचपन में सीखी वे हमारे साथ हमेशा रहती हैं। लेकिन, यहाँ चीन में रहकर बहुत अफसोस होता है कि काश उन अच्छी आदतों में एक अहम अच्छी आदत शामिल हो जाती, व्यायाम करने की। फिटनेस को लेकर सजग होते तो कितना अच्छा होता। बचपन में काश खेल-कूद और व्यायाम-वर्जिश पर परिवार वालों ने या स्कूल में पी.टी टीचर ने थोडी़ सख्ती बरती होती तो वो आदत में शामिल हो जाता और हम भी चीनी लोगों की तरह अपने स्वास्थ्य-सेहत, वजन को लेकर सजग होते। यहाँ रहकर मैंने जाना कि चीनी लोग व्यायाम, एक्सरसाइज को लेकर बहुत पर्टीकुलर हैं। एक विशेष खूबी जो मैंने यहाँ के लोगों में देखी है, वह है यहाँ के लोगों का व्यायाम की ओर रुख। मैंने पहले कभी लोगों को फिट रहने के लिए इतना खुश नहीं देखा। यहाँ पतला-सुडौल शरीर को सुंदर और फिट माना जाता है, अगर आप मोटे, बेडौल हैं तो यह माना जाता है कि अगर आप अपने आपको फिट-दुरुस्त-तंदुरुस्त नहीं रख सकते तो आप बाकि सबका या अपने काम, प्रोफैशन का ध्यान कैसे रख सकते हो। महिलाएँ हो या पुरुष, बच्चे हो या बुजुर्ग सब हर रोज़ किसी न किसी तरह की एक्सरसाइज ज़रुर करते हैं। चीनी लोग व्यायाम को पूरी तरह से अलग दृष्टिकोण से देखते हैं। उनके लिए यह एक सामाजिक गतिविधि है। वे किसी पार्क में व्यायाम करने को बिल्कुल उसी प्रकार एक सामाजिक गतिविधि मानते हैं जैसे हम शादी-ब्याह या किसी रिश्तेदार के घर मिलने जाते हैं। हालांकि, वे हमारी तरह चाय का कप और समोसे लेकर गप्पे मारने की बजाय शारीरिक रूप से व्यायाम करते हैं। जो ज्यादा बेहतर है।

चीनी लोगों को व्यायाम को लेकर किसी प्रकार की झिझक नहीं होती। अभी कुछ दिन पहले ही मैं एक पार्क के बाहर से गुज़र रही थी कि मैंने एक बुजुर्ग सज्जन को अपने स्टीरियो पर पारंपरिक संगीत लगाकर खुशी और आनन्द के साथ नृत्य करते हुए देखा। वे बड़े मजे से संगीत की धुन पर अपनी बाहों को हवा में झूलाते हुए नाच रहे थे, इधर-उधर डोल रहे थे। मैं यह देखकर मोहित हो गई थी।

ऐसा शायद हमारे देश में कभी नहीं होता। अगर किसी को इस तरह सार्वजनिक स्थान में अकेले नाचते हुए पकड़ लिया तो उसे पूरा पागल माना जाता है। मैं वास्तव में उस सज्जन की प्रशंसा करते नहीं थकती और उम्मीद करती हूँ कि, जब मैं उनकी उम्र के आसपास पहुँचू तो इस आत्मविश्वास के साथ पार्क में नृत्य करूँ।

ऐसे दृश्य यहाँ चीन में गरमियों के दिनों में आम देखने को मिलते हैं। यहाँ पार्कों में या खुले मैदानों में कई वृद्ध तथा युवा जोड़े तो कभी केवल महिलाएँ तो कभी केवल पुरुष चीनी पारंपरिक संगीत या फिर अंग्रेज़ी धुन पर हाथों में हाथ पकड़कर नृत्य करते हुए दिखते हैं। उन्हें खुशी-खुशी नाचते हुए देख वहाँ खड़े दर्शकों का भी मन नाचने को करता है। वे सिर्फ नाचते ही नहीं, बल्कि गाते या फिर कोई म्युजिकल इन्सट्रूमेंट बजाते भी नज़र आते हैं। बीजिंग में खासकर गर्मियों के दिनों में लोग अपने परिवार या दोस्तों के साथ खास किसी पहाड़ी पर चढ़ने का प्रोग्राम बनाते हैं। बच्चों को बचपन से ही जैसे पढ़ाई-लिखाई ज़रूरी होती है उसी के साथ-साथ किसी-न-किसी खेल को भी उतनी ही अहमियत दी जाती है। शायद यही कारण है कि अन्य खेल प्रतियोगिताओं के साथ-साथ लंदन ओलम्पिकस के दौरान भी चीन ने पूरी दुनिया को बतला दिया कि सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी यहीं से हैं। अभी कुछ दिन पहले ही आपने यह खबर सुनी होगी कि लंदन ओलंपिक के दौरान ही 8 अगस्त को चीन का चौथा राष्ट्रीय फिटनेस दिवस मनाया गया। इस मौके पर देश के विभिन्न क्षेत्रों में रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस साल राष्ट्रीय फिटनेस दिवस का विषय था हर दिन करें एक घंटा व्यायाम, रहें जीवन भर स्वस्थ। विभिन्न क्षेत्रों में लोगों ने जिमनास्टिक्स के प्रदर्शन, तैराकी, बास्केटबॉल और आयरन मैन मैच आदि के ज़रिए राष्ट्रीय फिटनेस दिवस मनाया। गौरतलब है कि राष्ट्रीय फिटनेस दिवस की शुरुआत 2009 में हुई, जिसे पेइचिंग ओलंपिक की विरासत कहा जाता है। अब खेलकूद चीनी लोगों में बहुत लोकप्रिय हो गया है। दोस्तों, हम सब फिटनेस के महत्व को जानते हैं, व्यायाम से होने वाले फायदे हम अपनी अंगुलियों पर गिनते हैं लेकिन फिर भी हम में से कुछ इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाने में चूक जाते हैं खासकर महिलाएँ जो दिनभर घर के कामों में उलझी रहतीं हैं वे अपने बारे में तो जैसे सोचना ही भूल जाती हैं। वे मानती हैं कि सारा दिन घर में हल-चल, भागा-दौड़ी में इतना व्यायाम हो जाता है और कितना करें या ताकत ही कहाँ रहती है। हम बात करें तन और मन को चुस्त-दुरुस्त रखने के साथ-साथ सुकून देने वाली एक्सरसाइज के बारे में या कोई खेल-कूद या कोई ऐसी एक्टीवीटी जिससे फिसिकल के साथ साथ मेंटल एकसरसाइज भी हो। हमारे यहाँ महिलाएँ बहुत कम दिखती हैं खेल के मैदान में, लेकिन चीन में ऐसा नहीं। वक्त कितना भी कम हो लेकिन यहाँ की महिलाएँ अपने और सिर्फ अपने लिए वक्त निकाल ही लेती हैं। फिर वे चाहे उस समय में जिम जाएँ, पार्क में खेल खेलें, नृत्य सीखने जाएँ या नृत्य करें या दौड़े या फिर कोई और फिसिकल एक्टीवीटी। चीन में सब किसी न किसी स्पोर्ट से जुड़े हुए हैं और यह उतना ही ज़रुरी है जितना कि आपका पैसे कमाने के लिए काम करना। जैसे हम किसी से पूछते हैं कि आप क्या काम करते हैं यहाँ एक और सवाल उसके साथ जोड़ा जाता है, आप कौन-सा खेल खेलते हैं। हैं न, बढ़िया बात। मुझे लगता है कि अगर हम व्यायाम को गंभीरता से न लेकर उसे मजे लेकर करें, उसे इंज़ोए करते हुए करें तो कितना अच्छा हो। मैं आशा करती हूँ कि हम सब को इससे कुछ सीखने को मिलेगा और जैसे कहाँ जाता हैं न कि कुछ भी नया सीखने के लिए उम्र की नहीं इच्छा का होना आवश्यक है तो बस चलिए, प्रॉमिस करते हैं खुद से कि इस अच्छी आदत को आज ही से अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएँ। और इस प्रकार इंज़ोए करते हुए किसी पार्क में व्यायाम करें और यहाँ चीन में लोग इसी प्रकार सालों-साल जारी रखें।

श्रोताओं, आपको हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम का यह क्रम कैसा लगा। हम आशा करते हैं कि आपको पसंद आया होगा। आप अपनी राय व सुझाव हमें ज़रूर लिख कर भेजें, ताकि हमें इस कार्यक्रम को और भी बेहतर बनाने में मदद मिल सकें। क्योंकि हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम आप से है, आप के लिए है, आप पर है। इसी के साथ हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। आप नोट करें हमारा ई-मेल पताः hindi@cri.com.cn । आप हमें इस पते पर पत्र भी लिख कर भेज सकते हैं। हमारा पता हैः हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पी .ओ. बॉक्स 4216, सी .आर .आई.—7, पेइचिंग, चीन , पिन कोड 100040 । हमारा नई दिल्ली का पता हैः सी .आर .आई ब्यूरो, फस्ट फ्लॉर, A—6/4 वसंत विहार, नई दिल्ली, 110057 । श्रोताओ, हमें ज़रूर लिखयेगा। अच्छा, इसी के साथ मैं हेमा कृपलानी आप से विदा लेती हूँ इस वादे के साथ कि अगले हफ्ते फिर मिलेंगे।

तब तक प्रसन्न रहें, स्वस्थ रहें। नमस्कार

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