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12-07-17
2012-07-25 16:04:54

श्रोता दोस्तो, न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में, मैं हेमा कृपलानी आप सब का हार्दिक स्वागत करती हूँ। दोस्तो, एक बार फिर हम हाजिर है न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम के साथ।

क्या आप बता सकते हैं इन दोनों गानों में क्या समानता है। दोनों में चीन का जिक्र किया गया है, ओके, उसके अलावा.......इन दोनों गानों में हीरोइन के हाथ में चाइनीस हैंड फैन है यानी उनके हाथ में चीनी हाथ पंखा है। जी, तो आज हम बात करने जा रहे हैं चीन के फैशन ट्रैंड के बारे में जिनमें चाइनीस हैंड फैन का आजकल बहुत ज्यादा क्रैज है यहाँ पर। ठंडे पंखे इन गर्मियों में इन थिंग हैं। इस चिलचिलाती गरमी में ये पंखे ज़रुरत बन गए हैं। चीन में इन पंखों को बनाने और उनके उपयोग करने का एक लंबा इतिहास रहा है। इस तरह के हैंड फैन्स का आविष्कार कई हज़ारों साल पहले हो चुका था और आज जब बिजली से चलने वाले पंखे और विशेषकर ए.सी के आ जाने के बाद यही लगता है कि इन पंखों का वजूद तो पूरी तरह खत्म हो जाएगा लेकिन हुआ इसका ठीक उल्टा क्योंकि ये तो अब और ज़्यादा उभर कर फैशन स्टेटमेंट बनते जा रहे हैं और केवल यहाँ चीन में ही नहीं बल्कि विश्वभर में इन पंखों को इस्तेमाल में लाया जा रहा है। हाल के कुछ सालों में कई फैशन डिजाइनरस पश्चिम का तड़का लगाने के लिए अपने डिजाइनस में इन पंखों का उपयोग करने लगे हैं। बहुत अजीब लगता है यह सोचकर और देखकर कि इतना साधारण-सा लगने वाला फोल्डिंग पंखा आज फैशनेबल बन गया है और बड़ी-बड़ी जानीमानी हस्तियों के हाथ की यह शोभा बढ़ा रहा है जिनमें लैडी गागा, झांग झीई, मोनिका बेलूसी से साथ-साथ अन्य कई लोग हैं और यह उनकी एक्सेसरीज़ में शामिल हो गया है। बड़े और जाने-माने ब्रैंडस जैसे अरमानी, लूई वितौं ने इसे अपने फैशन शोस के दौरान इन फोल्डिंग पंखों का एक्सेसरीज़ के रुप में प्रयोग करना शुरु कर दिया है। चलिए, थोड़ा समय के चक्र को पीछे घूमाते हैं और बात करते हैं इन ठंडी-ठंडी हवा के झोंकों को देने वाले इन पंखों के इतिहास के बारे में। इन हाथ पंखों का इतिहास चीन में 3000 साल से भी ज़्यादा पुराना है। प्राचीन समय में इन हाथ पंखों को बांस से बनाया जाता और इन्हें एक साइड से पकड़ा जाता था। इनके आविष्कार के बाद ये जल्द ही शाही समारोहों में आम देखने को मिलते थे। समय के साथ इनका उपयोग आम लोगों में भी बढ़ने लगा और हाथ पंखे ठंडी हवा देने वाले एक टूल की तरह इस्तेमाल किए जाने लगे। इसलिए चीनी भाषा में जो शब्द पंखे के लिए लिखा जाता है उसकी उत्प्ति भी उस चित्र को देखने के बाद हुई जिसमें बहुत सारे पंख एक छत के नीचे बने थे। सदियों से इन पंखों का उपयोग करने वालों के साथ एक खास सामाजिक स्थिति और लिंग को जोड़ा गया है। सोंग राजवंश के दौरान कई प्रसिद्ध कलाकारों को इन पंखों पर चित्रकारी करने की जिम्मेदारी सौंपी जाती थी। फिर कुछ समय बाद डांसिंग फैन्स, एक तरह के नाचते हुए पंखों का चलन शुरु हुआ। चीन में मिंग राजवंश के दौरान पहली बार फोल्डिंग फैन्स का चलन शुरु हुआ। उस समय हंगजोअ, चीन में इन फोल्डिंग फैन्स को बनाने का औद्योगिक केन्द्र था। इस तरह के पंखे बनाने में कई प्रक्रियाओं के साथ सामाजिक स्थिति को भी प्राथमिकता दी जाती थी, उदाहरण के तौर पर चाइनीस डांसिंग फैन्स में 10 डंडियों के ऊपर एक मोटे कागज़ की परत लगाई जाती थी जो परिवार के पदक्रम को प्रदर्शित करती थी। पिछले कुछ वर्षों में चीनी कलाकारों ने इन पंखों के लिए कई सजावटी डिजाइनस भी बनाए हैं। आमतौर पर लकड़ी की पट्टी की जगह- हाथी दाँत, हड्डी, अबरक, मोती, चंदन या कछुए की खोल पर नक्काशी कर फिर उन पर कागज़ या कपड़े की परत चढ़ाई जाती थी। कुछ कलाकार कैलीग्राफी द्वारा फोल्डिंग फैन्स का आकर्षण बढ़ाते हैं। वे इन पर चीनी कविताएँ या चार शब्दों वाले चीनी मुहावरे लिखते हैं। छिंग राजवंश के दौरान चीन में हाथ पंखे बहुत प्रचलित हुए और इस उद्योग का बहुत विकास हुआ। हाथ पंखे खासकर अधिकारियों और बुद्धिजीवियों के बीच बहुत प्रसिद्ध थे इतने की वे उनकी प्रतिष्ठा और निजी पसंद को प्रदर्शित करने का जरिया बन गए। लोग उस समय के दौरान अपने बर्तनों पर भी पंखों की तरह डिजाइन बनाने लगे। उस समय के दौरान चीनी लोगों ने पंखों के साथ अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा को जोड़कर देखना शुरु कर दिया था उदाहरण के तौर पर चीनी महिलाओं के बीच वह किस तरह से पंखे को हाथ में लेकर घूमाती एक तरह की कला का प्रदर्शन माना जाने लगा और इससे उस महिला की सामाजिक स्थिति का भी पता चलता जिस तरह वह हाथ में पंखा लिए उसे घूमाती। जैसा की पंखों को देखकर ही पता चलता है कि उसकी सतह एक समान नहीं है यानि स्मूथ नहीं तो उस पर किसी तरह की कलाकारी करना या लिखना इतना आसान नहीं होता। लेकिन फिर भी कई दिग्गज कलाकारों ने इन पंखों पर कई तरह के पैटर्नस बनाए और अपनी कलाकारी दिखाई। मिंग और छिंग राजवंश के दौरान चीन ने इन पंखों का कई देशों में निर्यात किया खासकर यूरोप में। खासकर क्वांगदोंग के व्यापारी यूरोप के शाही परिवारों को इन पंखों को बनाने और बेचने के लिए जाने जाते थे। इन मेड इन चाइना पंखों ने चीन और विश्व के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान में अहम भूमिका निभाई। चीन के पाँच मुख्य प्रांत अनहुई, जियांगसू, क्वांगदोंग, स्छवान और झझियांग- पंखों को बनाने और बेचने के लिए मश्हूर थे। अनहुई मुख्यतः सिल्क पंखों के लिए, जियांगसू में पंखों को बनाने के लिए चंदन की लकड़ी का प्रयोग किया जाता था और क्वांगदोंग अपने खास फायर पेंट पंखों के लिए जाने जाते हैं। क्वांगदोंग में इन पंखों को दो पतले कांच की परत से बनाया जाता है और उसके बाद कारीगर एक खास तरह की फायर-पैन से इस कांच को रंगते हैं और उस पर लिखते हैं। स्छवान अपने बांस के पंखों के लिए और झझियांग सिल्क पंखों के लिए मश्हूर है। चीन के ये हैंड फैन्स न जाने कितने सालों से पूरी दुनिया में इतने मश्हूर है,कि इन्हें अपने हाथ में लेकर खोलते ही एहसास होने लगता है कि हम भी किसी चीनी गुड़िया से कम नहीं और हाथ में लेकर इसे हिलाने की अदा ही निराली होती है जिसे देख कोई भी ये कहने से नहीं रुकेगा, हवा-हवाई। ..........................

चीन में हर कला,वस्तु, कलाकारी अपने अंदर सहेजे हुए हैं, हज़ारों साल पुराना, लंबा इतिहास

और हैरत की साथ-साथ गर्व की बात यह हैं कि आज भी यहाँ के लोग अपनी जड़ों से जुदा नहीं बल्कि उसे अपने साथ-साथ लिए वक्त के साथ उसमें आधुनिकता का तड़का लगा आगे बढ़ रहे हैं। वे अच्छी तरह वाकिफ़ हैं इस तथ्य से कि जो अपना है वह हमेशा अपना ही रहेगा और हमारी पहचान अपनी जड़ों से ही बनती है। चाहे आप कितने आगे बढ़ जाएँ या आधुनिक हो जाएँ, रहोगे तो उसी मिट्टी के जहाँ के हो। अरे, मैं तो बड़ी फिलोसोफिकल बातें करने लगी। चलिए, बातें चल रही है तो आज मैं आपको बताती हूँ चीन में लाल रंग का महत्व। लाल रंग जो आग से मिलता-जुलता है चीन में सौभाग्य और खुशहाली का प्रतीक है। लाल रंग की अगर बात करें तो यहाँ चीन में इसे हर जगह देखा जा सकता है लेकिन चाइनीस न्यू ईयर और अन्य त्योहारों या उत्सवों के दौरान तो पूरा चीन लाल रंग में रंग जाता है। इन त्योहारों या उत्सवों पर लाल रंग के लिफ़ाफ़ों में पैसे रखकर उपहार के रुप में दिए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि ये आपके लिए गुड लक लेकर आएगा। ऐसा हज़ारों सालों से किया जा रहा है और आज भी चीनी लोग ऐसा मानते आए हैं कि त्योहारों या उत्सवों पर लाल रंग से की जाने वाली साज-सज्जा उनके लिए सौभाग्य लाएगी। चीनी परंपरा के अनुसार लाल रंग खुशहाली और शुभता का द्योतक है। लाल रंग सौभाग्य और आशिर्वाद लाता है और ऐसा भी माना जाता है कि बुरी बलाओं को दूर भी भगाता है। चीनी दंतकथाओं से ये जानने को मिलता है कि चीनी लोग आखिर लाल रंग को इतना पसंद क्यों करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि प्राचीन समय में निएन नाम का एक राक्षस था, जो हर चीनी नव वर्ष पर लोगों से अपने लिए उपहार में एक बच्चे की बलि माँगता था। कई वर्षों तक हर नव वर्ष पर लोगों को ऐसा करना पड़ा और आखिरकार लोगों ने उस राक्षस से पीछा छुडा़ने का तरीका खोज निकाला –उन्होंने लाल रंग के कपड़े पहने, पटाखे जलाए और ज़ोर-जो़र से चिल्लाना शुरु कर दिया। आज तक परिवार के बड़े-बुजुर्ग ऐसा मानते आएँ हैं कि लाल रंग से मृत्यु को भी धोखा दिया जा सकता है इसलिए दादा-दादी,नाना-नानी अपने नाती-नातिन, पोते-पोतियों को लाल रंग पहनाते हैं। चीन में रिवाज़ के अनुसार नव-वर्ष के अवसर पर घर के बड़े-बुजुर्ग आशिर्वाद के रुप में छोटों को लाल लिफ़ाफ़ों में पैसे देते हैं जिसे यासूई कहा जाता है। मुलतः यासूई का मतलब होता था बुरी आत्माओं को दूर भगाना इसलिए घर के बड़े-बुजुर्ग अपने छोटों को यासूई पैसे देते थे ताकि बुरी बलाएँ उनसे दूर रहे और वे सौभाग्यशाली बने रहे। प्राचीन समय में यह भी माना जाता था कि नव-वर्ष की पूर्व संध्या पर घर में बुरी आत्माएँ प्रवेश करती हैं और परिवार को नुकसान पहुँचाती हैं और बच्चे उनकी इन बुरी शक्तियों का आसानी से शिकार बन सकते हैं इसलिए उन्हें दिए गए यासूई पैसे उनकी रक्षा करते हैं। चीनी अध्यात्मविज्ञान के अनुसार लाल रंग आग का प्रतीक है और तेज़ रोशनी या चमकदार तत्व से बुरी बलाएँ दूर भागती हैं। चाइनीस शादियों में भी लाल रंग का बहुत महत्व है। विवाह किसी भी व्यक्ति के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है और अपनी शादी के दिन लाल रंग पहनना किसी भी नव-विवाहित जोड़े के लिए अति-आवश्यक माना जाता है क्योंकि ऐसा कर वह किसी की बुरी नज़र और बलाओं से खुद को दूर रख सकते हैं और लाल रंग वैसे भी द्योतक है, खुशहाली, समृद्धि और भाग्य का। नव-विवाहित जोड़े के लिए तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि लाल रंग शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक भी माना जाता है। लेकिन लाल रंग का प्रयोग किसी की अन्तयेष्टि पर वर्जित है क्योंकि पारंपरिक रुप से यह खुशहाली का प्रतीक माना जाता है। आज के इस आधुनिक समय में भी लाल रंग बहुत प्रसिद्ध है। त्योहारों, उत्सवों के अलावा इस का प्रयोग डिजाइनों में भी बहुत किया जाता है। लाल रंग का प्रयोग विज्ञापनों, लोगो और कई उत्पादों में भी किया जाता है। चीन के 5000 साल पुराने इतिहास में लाल रंग के प्रयोग का वर्णन हर जगह किया जाता रहा है और लाल रंग चीनी संस्कृति की अनमोल धरोहर है, इस खजाने को अब तक और हमेशा इसी तरह से संजो कर रखेगा चीनी समाज, अपने लक को हमेशा गुड बनाए रखने के लिए। चीन का जब भी वर्णन होगा तो पहली तस्वीर जो आँखों के सामने आएगी उसमें बिखरे होंगे लाल रंग।

श्रोताओं, आपको हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम का यह क्रम कैसा लगा। हम आशा करते हैं कि आपको पसंद आया होगा। आप अपनी राय व सुझाव हमें ज़रूर लिख कर भेजें, ताकि हमें इस कार्यक्रम को और भी बेहतर बनाने में मदद मिल सकें। क्योंकि हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम आप से है, आप के लिए है, आप पर है। इसी के साथ हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। आप नोट करें हमारा ई-मेल पताः hindi@cri.com.cn । आप हमें इस पते पर पत्र भी लिख कर भेज सकते हैं। हमारा पता हैः हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पी .ओ. बॉक्स 4216, सी .आर .आई.—7, पेइचिंग, चीन , पिन कोड 100040 । हमारा नई दिल्ली का पता हैः सी .आर .आई ब्यूरो, फस्ट फ्लॉर, A—6/4 वसंत विहार, नई दिल्ली, 110057 । श्रोताओ, हमें ज़रूर लिखयेगा। अच्छा, इसी के साथ मैं हेमा कृपलानी आप से विदा लेती हूँ इस वादे के साथ कि अगले हफ्ते फिर मिलेंगे।

तब तक प्रसन्न रहें, स्वस्थ रहें। नमस्कार

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