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2012-06-27
2012-06-28 16:02:26
आज 27 जून को चीन भारत साझा चिकित्सा अभियान ने हबेई प्रांत की राजधानी शीजाज्वांग के दो अस्पतालों का दौरा किया। सुबह साढ़े नौ बजे होटल से ये दल अपने अभियान की शुरुआत करने निकला। लगभग आधे घंटे की यात्रा के बाद ये दल अपने गन्तव्य तक पहुंचा जहां पर इस दल की अगवानी के लिये पहले से ही मौजूद चीनी डॉक्टरों के दल ने इनका हार्दिक स्वागत किया। इसके बाद भारतीय दल के डॉक्टर चीनी डॉक्टरों के साथ अपने अपने विभागों और विशिष्ट क्षेत्रों के मुताबिक अलग अलग विभागों की तरफ़ जाने लगे जहां पर चीनी और भारतीय डॉक्टरों ने एक साथ मरीज़ों का मुआयना किया और उनका बेहतर इलाज कर उन्हें उच्च स्तर की दवाएं दीं। अब मैं आपको इस अस्पताल की विशेषता बताने जा रहा हूं। इस अस्पताल का नाम है ' द सेकेंड हॉस्पिटल ऑफ हबेई मेडिकल यूनिवर्सिटी ' इस अस्पताल का एक और नाम है और वो नाम है डॉक्टर कोटनिस चीन-भारत मैत्री अस्पताल। इस अस्पताल के प्रांगण में सफद पत्थर से बनाई गई डॉक्टर कोटनिस की मूर्ति इस मैत्री पर एक तरह से अपनी मुहर लगाती है। साझा चिकित्सा दल के सदस्यों ने डॉक्टर कोटनिस की मूर्ति पर पुष्प चढ़ाकर उन्हें अपनी भाव भीनी श्रद्धांजलि दी। इसके बाद चीनी और भारतीय डॉक्टरों ने डॉक्टर कोटनिस की मूर्ति के सामने खड़े होकर फोटो भी खिंचवाई।

दोपहर के बाद चीन भारत साझा चिकित्सा अभियान दल एक दूसरे अस्पताल के दौरे पर चल निकला। इस अस्पताल का नाम है बेथून अंतर्राष्ट्रीय शांति अस्पताल। ये वही अस्पताल है जिसके निदेशक डॉक्टर कोटनिस 1941 में बने थे। इस अस्पताल में डॉक्टर कोटनिस की स्मृति में विशेष रूप से एक संग्रहालय बनाया गया है जिसमें उनके महाराष्ट्र वाले गांव के घर और स्कूल की दुर्लभ तस्वीरों के साथ ही डॉक्टर कोटनिस की बचपन की चार तस्वीरें भी मौजूद हैं। इसके अलावा इस संग्रहालय में डॉक्टर कोटनिस की ढेरों तस्वीरों को संजो कर रखा गया है, सिर्फ तस्वीरें ही नहीं बल्कि डॉक्टर कोटनिस के खाने के बर्तन और उनकी मच्छरदानी को भी अभी तक संभालकर रखा गया है। इससे साफ पता चलता है कि चीन के लोगों के दिलों में डॉक्टर कोटनिस कितना गहरे में बसे हुए हैं।

चिकित्सा दल ने इस संग्रहालय की भी यात्रा की और सभी सदस्य ये तस्वीरें देखकर डॉक्टर कोटनिस की सेवा भावना से काफी प्रभावित हुए। संग्रहालय में भारतीय चिकित्सा दल के अध्यक्ष सरबजीत सिंह संधू ने मुझसे कहा कि मैं इस बात से काफी प्रभावित हू्ं कि चीन में आज भी डॉक्टर कोटनिस को याद ही नहीं किया जाता बल्कि उनका हार्दिक सम्मान भी किया जाता है। मेरे ख्याल से चीन और भारत के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों में इससे और प्रगाढ़ता आएगी। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि आजकल जहां लोगों के दिलों में स्वार्थ भरा हुआ है और लोग सिर्फ अपने बारे में ही सोचते हैं और पैसा कमाने की धुन में लगे रहते हैं वहीं हमें डॉक्टर कोटनिस से सीख लेनी चाहिये कि कैसे नि:स्वार्थ भाव से मानव सेवा की जा सकती है और यही मानवता हमें सिखाती है।

इसके बाद भारतीय डॉक्टरों ने इस अस्पताल में अपने अपने विभागों का दौरा किया। इसके दौरान चीनी और भारतीय डॉक्टरों के बीच चिकित्सा तकनीक और पद्दति के बारे में गहरा आदान प्रदान हुआ। इस दल के लोगों को एक दूसरे से काफी कुछ सीखने को मिला। दोनों दल के सदस्यों ने इस बात को माना कि इस तरह से चलाए जा रहे साझा अभियान से न सिर्फ मरीज़ों को फायदा पहुंचता है बल्कि डॉक्टरों को भी नई नई जानकारी एक दूसरे से मिलती है। इससे चीन और भारत की चिकित्सा व्यवस्था और ज्यादा मज़बूत होने के साथ साथ दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध और प्रगाढ़ होंगे।

कल यानी 28 जून को ये दल मुफ्त चिकित्सा देने के लिये ग्रामीण इलाकों का रुख करेगा। जहां पर ये आम लोगों की तकलीफों को सुनेगा और जांच करने के बाद उनका बेहतर इलाज करेगा साथ ही ये दल मरीज़ों को मुफ्त दवाईयां भी बांटेगा।

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