यह चाइना रेडियो इंटरनेशनल है। श्रोता दोस्तो, न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में, मैं हेमा कृपलानी आप सब का हार्दिक स्वागत करती हूँ। दोस्तो, एक बार फिर हम हाजिर है न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम के साथ। आजकल इंडिया में इतनी गर्मी पड़ रही है, आप सब अपनी-अपनी तरफ से इससे बचने के उपाय ढूंढ रहे होंगे, बाहर जाने का तो मन ही नहीं करता होगा लेकिन क्या करें मज़बूरी है, ठंडे मीठे तरबूज, नींबू पानी, आइसक्रीम-कुल्फी का सहारा ले लेकर गर्मियों के असर को कम करने की कोशिश कर रहे होंगे। मौसम के साथ पहनावे में भी बदलाव आया होगा। हल्के-लाइट कलर्स जिन्हें देख आँखों को भी ठंडक मिले। तीखी चिलचिलाती गर्मी और हल्के सुहाने, सुहाते रंग का साथ... अनुभव तो कहता ही है, विज्ञान भी साबित करता है कि गर्मियों में हल्के सुहाने रंग राहत और सुकून पहुँचाते हैं। और यदि तेज, चुभती धूप में कपड़ों का रंग सफेद हो तो... ? ये बिलकुल जादू की तरह काम करता है। उसे देखकर सुकून का आभास होता है। अब तो यहाँ बीजिंग में भी गर्मी बढ़ रही है। लेकिन इतनी लम्बी सर्दियों के बाद यहाँ गर्मी का मौसम राहत देता है। मोटे-मोटे कोट जैकेट और ऊनी कपड़ों से लदकर बाहर निकलने की फिलहाल 3-4 महीने के लिए छुट्टी। आने वाला साल अपने साथ कोई न कोई फैशन स्टेटमेंट, ट्रैंड लेकर आता है और 2012 की गर्मियाँ लेकर आई है अपने साथ चैंक्ड शर्टस ( चौकोर धारी वाली कमीज़), जिसे देखो यहाँ यंग गर्लस हो या बॉयस, यहां तक की मध्यम आयु वर्ग के लोग भी अलग-अलग रंग के चैक शर्टस पहने दिखाई देते हैं और बहुत कूल भी दिखते हैं। और एक खास बात जो इस साल में इन थिंग मानी जा रही है वह है कपल ड्रेस। यह क्या है अब, जी इसका मतलब ये हुआ कि यहाँ पर आजकल एक नया फैशन का दौर चल पड़ा है जहाँ एक कपल एक ही तरह के कपड़े पहनते हैं ताकि जिन्हें देख लोग ये समझ सकें कि ये कपल हैं। हाय, सो स्वीट ना। जहाँ चले जाओ वहाँ कपल एक ही तरह की, एक ही रंग की, एक ही पैटर्न की, टी-शर्टस, शर्टस पहने दिखते हैं। वाह रे फैशन, स्कूल में जिस युनिफार्म को पहनने के लिए रोज़ सुबह मूड खराब होता था अब खुद चले उसी राह पर। सही कहते हैं न हमारे बड़े जब बड़े हो जाओगे तब पता चलेगा। एक बात और इस फैशन ट्रैंड में मध्यम आयु वर्ग के लोग भी शामिल हो गए हैं तो ये सिर्फ यंग कपलस के लिए नहीं। चलिए, फैशन अपडेट के बाद बात करते हैं।
ओह, आई एम सॉरी। जी हाँ, अगर आप सोचते हैं कि महिलाएँ 'आई एम सॉरी' ज्यादा बोलती हैं, तो आप सही हैं। हाल ही में कनाडा में की गई दो स्टडीज यही बताती हैं कि महिलाएँ माफी मांगने में पुरुषों से कहीं ज्यादा आगे रहती हैं। बात सिर्फ इतनी ही नहीं, वह खुद से हुई चूक की संजीदगी को भी पुरुष से कहीं ज्यादा गंभीरता से लेती हैं। हालांकि स्टडी यह भी कहती है कि इसका मतलब यह नहीं कि पुरुष अपनी गलती कबूलने के मामले में अडि़यल होते हैं। आई एम सॉरी' कहना वैसे भी विनम्रता है। लेकिन बार-बार माफी मांगना अक्सर आपकी सेल्फ- इस्टीम पर असर डालता है। ऐसा ही स्टडी के दौरान एक महिला ने बताया कि उन्हें सॉरी कहने की आदत है। 'लेकिन जब मेरे दोस्तों ने बात-बात पर मेरा मखौल उड़ाना शुरू किया और साथ में मुझमें कमियां भी निकालने लगे। फिर मैंने एहसास किया कि मुझे बगैर गलती किए अपनी माफी मांगने की आदत को छोड़ने की जरूरत है। आप में से यह फीलिंग कई महिलाओं को अपनी ही अनुभूति लग सकती है। दुनिया भर के एक्सपर्ट्स ने इसे 'सॉरी सिंड्रोम'का नाम दिया है। औरतें रिश्ते को और पुख्ता बनाने के लिए सॉरी कहती हैं , इसके उलट पुरुष ऐसा सोचते हैं कि करीबी रिश्ते में सॉरी की जगह नहीं होती। ' उनका यह भी कहना था कि ऑफिस में कुछ महिलाएं माहौल को कंफर्टेबल बनाए रखने के लिए सॉरी कहती हैं। जबकि दूसरों से कटकर न रहना पड़े , इसलिए भी महिलाएँ सॉरी बोलती हैं। मजे की बात तो यह है कि कई बार महिलाओं की सॉरी का मतलब माफी नहीं होता , वह तो बस इसे हाय और हलो की तरह से बोल लेती हैं।
कम्यूनिकेशन एक्सपर्टस का कहना है , सॉरी तो महिलाओं की बातचीत का ही हिस्सा है। लेकिन इसके हद से ज्यादा इस्तमाल करने से डिप्रेशन भी हो सकता है क्योंकि गलती न होने पर भी सॉरी कहने से कहीं न कहीं पावर तो कम होती ही है। हमारी जिंदगी की क्वॉलिटी पर भी हमारी बातचीत का पूरा प्रभाव पड़ता है , क्योंकि इसी से मेंटल हेल्थ भी तो जुड़ा है। तो अब आप सोचिए कि आप कब-कब सॉरी बोलती हैं। हममम......जब आप कुछ समझ नहीं पातीं या जब किसी बहस को खत्म करना हो या जब आपने कोई काम जरूरत समझकर किया हो या फिर कुछ और। चलिए, यह तो थी स्टडी की बात लेकिन आप इस पर गौर ज़रुर फरमाइएगा।
चलिए दोस्तों, अब बात करते हैं जीवन की शुरूआत की यानी जब एक बच्चा जन्म लेने वाला होता है तब यहाँ चीन में बच्चे की कामना के लिए की गई प्रार्थना से लेकर, भ्रूण संरक्षण, सेफ प्रसव के साथ-साथ बच्चे के पैदा होने के तीसरे दिन, पहला महीना, पहले 100 दिन और बच्चे के पहले जन्मदिन सहित समारोह की एक श्रृंखला होती है जिनके पीछे मकसद होता है एक नवजात शिशु के लिए ढेर सारी प्रार्थना, आशीर्वाद और माँ को बुरी आत्माओं और बुरी नज़र से बचाना। बेटे की कामना करते हुए तीन प्रकार से प्रार्थना की जाती है पहला औलाद प्रदान करने वाले ईश्वर को भेंट चढ़ाई जाती है, दूसरा ऐसा खाना खाया जाता है जैसे कि वे अंडे जिन्हें लाल रंग से रंगा गया है, लैट्यूस और आखिर में बेटे की इच्छा रखने वाले दंपत्ति लालटेन, मिट्टी की गुड़िया जैसी चीज़ों को बाँटते हैं क्योंकि ऐसा करना शुभ माना जाता है। और गर्भवती माँ की गोद भराई रस्म महिला और होने वाले बच्चे की अच्छी सेहत की कामना करते हुए ठीक भारत की तरह ही होती है। गर्भवती महिला के खान-पान के साथ-साथ जन्म के पूर्व माँ बच्चे की देखभाल किस प्रकार करेगी को उच्च प्राथमिकता दी जाती है। गर्भवती महिला को पौष्टिक आहार जैसे मीट सूप, चिपचिपे तेल में बने चावल, सब्जियाँ और फल को अपने आहार में शामिल करना चाहिए और ऐसे भोजन जिनके नाम के अर्थ ठीक नहीं जैसे खरगोश मीट, अदरक और चिड़िया का सेवन नहीं करना चाहिए। गर्भवती महिला को अपने बैठने के पोश्चर और मूड पर ध्यान देना चाहिए और खुद को शांत बनाए रखने के साथ खुशनुमा माहौल में रहना चाहिए। उसे शादी, अंत्येष्टि, भूमि पूजन के अलावा अन्य उत्सवों से खुद को दूर रखना चाहिए।
अब बात करते हैं- बच्चे के पैदा होने के तीसरे दिन, पहला महीना, पहले 100 दिन और बच्चे के पहले जन्मदिन पर कौन-सी रस्में होती है। ये सब रस्में चीनी संस्कृति का अभिन्न अंग हैं जिनमें के लोगों की मान्यता और उनके जीवन के अनुकूल उम्मीद को दर्शाया जाता है। बच्चे के पैदा होने के तीसरे दिन लाल पेंटिड अंडे, सूखे न्यूडल्स, बीज के केक और कई उपहार बच्चे की नानी भेजती है, अपने नाती या नातिन के आने की खुशी में। उसके बाद तीसरे दिन बच्चे को कोसे पानी में जड़ी-बुटियाँ डालकर पहली बार नहलाया जाता है। इसके पीछे यह मान्यता है कि ऐसा करने से बच्चे को किसी की नज़र नहीं लगती और ऐसा कर बुरी आत्माओं की कुदृष्टि से भी बच्चे की सुरक्षा की जाती है। बच्चे का पहला महीना यानी बच्चे के जन्म के तीसवें दिन मुंडन की रस्म अदा की जाती है। मुंडन यह रस्म चीन के इतिहास जितनी पुरानी है और यह नवजात के लिए सबसे महत्वपूर्ण रस्म मानी जाती है। इस दिन नाई बच्चे के सिर से बाल उतारता है और बदले में बच्चे के रिश्तेदार नाई को ढेर सारे उपहार देते हैं और बच्चे के सिर से उतरे बालों को बिस्तर के कोने में बांधकर रखा जाता है। सौंवा दिन- बच्चे के पैदा होने के सौंवे दिन, एक बहुत महत्वपूर्ण और बड़ा फंक्शन आयोजित किया जाता है जिसमें बच्चे के मामा की उपस्थिति बहुत ज़रुरी होती है क्योंकि इस दिन नामकरण रस्म होती है। शुभ शब्द जैसे गुई-अर और शियांग-अर जिनका मतलब होता है समृद्धि, सौभाग्य बहुत प्रचिलित है चीन में। कुछ प्रांतों में ऐसे शब्दों से नाम रखने का चलन है जिनका मतलब विन्रम, कोमल और प्यार से संबंधित हों। दक्षिण चीन में तो नामकरण का खास चलन है कि वहाँ बच्चों के नाम उसके वजन पर रखे जाते हैं जैसे अगर किसी बच्चे का वजन 3.5 किलो है तो उसका नाम होगा सैवन जिन और अगर बच्चे का वजन 4.5 किलो है तो उसका नाम होगा नाइन जिन। मानचू जाति में भी एक खास तरह की परंपरा का चलन है नामकरण के पीछे। वहाँ बच्चे का नाम बच्चे के दादाजी की उम्र पर रखा जाता है। कैसे, तो भई ऐसे कि जब बच्चा पैदा हुआ उस समय अगर दादाजी की आयु 88 साल है तो बच्चे का नाम होगा एटी-एट। है न मज़ेदार और बढ़िया। अब भई रस्में, रीति-रिवाज, परंपराएँ अपनी-अपनी तो उनके अंदाज़ भी अपने-अपने। खैर, अभी तक हमने आपको सारी रस्में, रीति-रिवाज नहीं बताएँ। पिक्चर अभी बाकि है दोस्तों। अब बात करते हैं, बच्चे के पहले जन्मदिन की। बच्चा बड़े होकर कैसा बनेगा या कौन-सा व्यवसाय चुनेगा, उसकी किस विषय में रुचि होगी, वह क्या करना पसंद करेगा या करेगी, उसका स्वभाव कैसा होगा, उसकी महत्वकांक्षाएँ, उसके ख्वाब-सपने और न जाने कितने सवाल और उन सब का जवाब बच्चा अपने पहले जन्मदिन पर न केवल अपने माता-पिता को देता है बल्कि पूरे खानदान, रिश्तेदारों, दोस्तों के सामने खुले आम ऐलान करता है कि- देखो-देखो, मैं अपने सामने रखी हुई जिस भी आइटम को हाथ लगाऊँगा या लगाऊँगी आप सब प्लीज अपने-अपने हिसाब से अंदाज़ा लगा लेना कि मैं क्या चाहता हूँ या चाहती हूँ। जी आप ठीक सोच रहे हैं- हमारे यहाँ भी चीन की तरह अन्न-पराशन जैसी एक तरह की रस्म होती है कई प्रांतों में जहां बच्चे के पहले जन्मदिन पर उसके आगे किताब, पेन, पैसे, कैंची, रोटी, खिलौना, गेंद और कई चीज़ें रखी जाती है। अगर बच्चा किताब उठाता है तो इसका मतलब बच्चा भविष्य में पढ़ाकू होगा और अध्ययन में रुचि रखेगा। अगर कैंची-फुट्टा उठाता है तो भविष्य में वह दर्जी बनेगा या बनेगी, अगर रोटी तो पेटू होगा और अगर खिलौना तो खिलाड़ी बनेगा या फिर सबको टोपी पहनाने वाला। इस टेस्ट के बाद बच्चे के माता-पिता बच्चे को अपना आशिर्वाद और ढेरों उपहार देने आए अपने सभी रिश्तेदारों और दोस्तों को भोज के लिए आमंत्रित करते हैं। सब साथ में मिलकर खाना खाते हैं। इस दिन जो भी खाना बनाया जाता है उसके नाम का मतलब लंबी आयु, सौभाग्य से संबंधित होता है जैसे लौंगीवीटी न्यूडल्स जिसका मतलब है दीर्घायु न्यूडल्स। इस भोज समाप्ती से जन्म संस्कार की सारी रस्में पूर्ण होती हैं। चलिए, आज का कार्यक्रम खत्म करने से पहले सुनते हैं एक और मज़ेदार खबर।
चीन में एक आवारा कुत्ते ने तिब्बत की यात्रा पर निकले साइकिल सवारों के एक समूह 'शियाओ का पीछा किया और उनके साथ साथ 20 दिन में 1800 किमी से अधिक दूरी तय कर ली।
सा' नामक इस कुत्ते ने हर दिन 50 से 60 किमी की दूरी तय की और पूरी यात्रा के दौरान कभी पीछे नहीं गया।
चाइना डॉट ओआरजी की खबर के अनुसार, यह कुत्ता 4000 मीटर ऊंचे 12 से अधिक पहाड़ों पर चढ़ा और उसे खराब मौसम का भी सामना करना पड़ा।
एक साइकिल सवार शियाओ योंग ने कहा कि पूरे रास्ते यह कुत्ता उन्हें प्रोत्साहित करता रहा। अब योंग इस कुत्ते को सेंट्रल हुबेई प्रांत स्थित अपने गृह नगर ले जाकर अपने साथ रखना चाह रही है।
श्रोताओं, आपको हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम का यह क्रम कैसा लगा। हम आशा करते हैं कि आपको पसंद आया होगा। आप अपनी राय व सुझाव हमें ज़रूर लिख कर भेजें, ताकि हमें इस कार्यक्रम को और भी बेहतर बनाने में मदद मिल सकें। क्योंकि हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम आप से है, आप के लिए है, आप पर है। इसी के साथ हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। आप नोट करें हमारा ई-मेल पताः hindi@cri.com.cn । आप हमें इस पते पर पत्र भी लिख कर भेज सकते हैं। हमारा पता हैः हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पी .ओ. बॉक्स 4216, सी .आर .आई.—7, पेइचिंग, चीन , पिन कोड 100040 । हमारा नई दिल्ली का पता हैः सी .आर .आई ब्यूरो, फस्ट फ्लॉर, A—6/4 वसंत विहार, नई दिल्ली, 110057 । श्रोताओ, हमें ज़रूर लिखयेगा। अच्छा, इसी के साथ मैं हेमा कृपलानी आप से विदा लेती हूँ इस वादे के साथ कि अगले हफ्ते फिर मिलेंगे।
तब तक प्रसन्न रहें, स्वस्थ रहें। नमस्कार