"भारत, तुम पर एक नजर भी डाले, तो कभी नहीं भूलेंगे। क्योंकि तुम दुनिया की अन्य किसी भी जगह से भिन्न है।" सुप्रसिद्ध अमेरिकी लेखक मार्क ट्वेन की इसी बात से एक 20 वर्षीय चीनी लड़की के भारत के साथ संबंध जोड़ा गया। इस लड़की का नाम है छंग यिंग, अब पेइचिंग इंटरनेशनल स्टडीज विश्वविद्यालय के अंग्रेजी भाषा कोर्स की वह एक छात्रा है। सुश्री छंग यिंग का कहना हैः
"मुझे लगता है कि भारत एक सहिष्णुशील देश है। उसमें सभी लोग अपना अपना स्थान पा सकते हैं और शांतिपूर्ण रूप से साथ साथ रहते हैं। भारत के बारे में लोगों के जो अनुभव मैंने सुना है, वह दो प्रकार के है। पहला, फिर वहां जाने का मन नहीं लगता और दूसरा है उसे बहुत पसंद हुआ। मेरा अनुभव दूसरी किस्म का है।"
2011 के शुरू में छंग यिंग ने पहली बार भारत की यात्रा की थी। वहां उसका काम विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित एक ट्रेनिंग में भाग लेना था, जो पांच हफ्ते तक चली। शुरू शुरू में भारत में उसका कामधाम सुचारू नहीं था। छंग यिंग ने अपने पहले सप्ताह के जीवन को बेहद खराब करार कियाः
"जब हम वहां पहुंचे, दिल्ली में बादल का दिन था। रात को बहुत सर्दी लगती थी। हमने कमरे की सभी खिड़कियां बन्द कर दीं और सारे कपड़ों को अपने शरीर पर ढक दिया, लेकिन फिर भी ठंड लगती थी। हमने हेयर ड्रायर से कंबल सुखाया और जैसे तैसे सो गए। हमें बहुत परेशानी लग रही थी।"
छंग यिंग व उसकी सखी को एक महिला अधिकार संगठन में भेजा गया। उनका काम गांव में रहने वाली महिलाओं को अंग्रेजी सिखाना था। लेकिन स्थानीय महिलाएं सिर्फ हिन्दी बोलती हैं। छंग यिंग उनके साथ बातचीत नहीं कर सकती। इसे देखकर संगठन के जिम्मेदार व्यक्ति ने कहा कि आप लोग स्थानीय लोगों के साथ बात नहीं कर सकते, हम आप लोगों को वापस भेजेंगे। क्योंकि यहां आप की जरूरत नहीं है। यह सुनकर छंग यिंग व उनकी सखी को बहुत दुख लगी। जब वे दोनों पार्क में बड़ी उदास के साथ बैठी, तो एक छोटे लड़के ने पास कर उनसे हैलो बोला। हाथ के इशारे व कुछ सरल अंग्रेजी शब्दों की मदद से छंग यिंग को लड़के का मतलब समझ में आया। उस समय की याद करते हुए छंग यिंग ने कहाः
"इस लड़के ने अपने घर जाने के लिए हमें आमंत्रित किया। हालांकि हमने सिर्फ कुछ आसान शब्दों में बातें कीं, लेकिन हम उनका उत्साह महसूस कर सकती हैं। हमें बहुत खुश लगी। लड़के का परिवार नेपाल से आया है और परिवार के लोग एक छोटे मकान में रहते हैं। कमरे में एक पलंग है, उसे देखने से पता चला है कि उनकी जीवन स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। लेकिन उन्होंने हमें दो सेब और कुछ स्नैक्स खाने के लिए दिए, मेरे ख्याल में वे जरूर दूसरों को खिलाने के लिए बनाए रखे गए है और आम दिन परिवार के लोग नहीं खाना चाहते। उन्होंने हमें चाय भी पिलाई। इससे हम बहुत द्रवित हुई हैं।"
छंग यिंग ने कहा कि समय जो इस लड़के के घर में बीता, वह भारत आने के बाद उन्हें सबसे ज्यादा खुशगवार लगा। वे स्थानीय लोगों के जीवन में घुलमिल होना चाहती हैं। उसी समय पर ट्रेनिंग कार्यवाही में भी अच्छी खबर मिली। एक एनजीओ संगठन ने छंग यिंग व सखी को अपने वहां काम करने की अनुमति दी। शुरू शुरू में छंग यिंग व उसकी सखी संदर्भ सामग्री ठीकठाक करने का काम करती थी। बाद में उन्होंने अमृतसर के एक कॉलेज में फिल्म फेस्टिवल के आयोजन का जिम्मा उठाया। छिंग यिंग व अन्य कुछ स्वयंसेवकों ने पूरी तरह तैयारी की, जैसा पोस्टर बनाना, प्रचार परचों को प्रिंट करना, फिल्मों का चुनाव करना और फिल्म के बारे में परिचय लिखना इत्यादि। फिल्म फेस्टिवल बहुत सफलतापूर्वक चला। छिंग यिंग ने कहाः
"भारतीय छात्र बहुत उत्साहपूर्ण और विवेकशील भी हैं। फिल्म फेस्टिवल के दौरान फिल्म देखने के साथ साथ विभिन्न विचार संगोष्ठियां भी आयोजित हुईं। हमने एक साथ विचारों का आदान-प्रदान किया, बहुत अच्छा लगा। हम भी विश्वविद्यालय के छात्र हैं। इसलिए भारतीय छात्रों के साथ आवाजाही करना बहुत दिलचस्प है। अमृतसर में जो समय बीता, उस के दौरान बहुत पर्याप्त अनुभव प्राप्त हुआ, दिन बहुत खुश चले।"
पांच हफ्ते का ट्रेनिंग समय जल्दी ही समाप्त हुआ। भारत से छंग यिंग को गहरा प्यार लगा। चीन वापस लौटने के बाद छंग यिंग बॉलीवुड फिल्म देखने की दीवाना बनी। उसने कहा कि हालांकि बॉलीवुड फिल्म का विषय सरल है, लेकिन भारतीय कलाकार अपने तरीके से इस प्रकार के सरल विषय को लोगों के दिल में गहराई से जोड़ सकते हैं।
छिंग यिंग का फिर एक बार भारत जाने का मन रहा है। एक साल बाद चीनी युवा प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में वह दूबारा भारत आ गई।
"भारत में ट्रेनिंग का समय समाप्त होने पर जब हम हवाई अड्डे पर फ्लाइट का इंतजार कर रही थीं, मैंने विदा देने आए भारतीय दोस्तों से कहा था कि मैं जरूर फिर एक बार भारत आउंगी। लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि सिर्फ एक साल बाद ही मुझे भारत आने का मौका मिला। शीतकालीन छुट्टियों में अध्यापक ने मुझे फोन किया और पूछा कि क्या तुम भारत जाने की सामग्री तैयार करने में मेरी मदद कर सकती हो। घर से विश्वविद्यालय वापस लौटने के बाद मैं उनकी मदद करने लगी। मैंने कभी नहीं सोचा कि मैं भी अध्यापक के साथ भारत जा सकती हूं। मुझे लगता है कि मैं बहुत सौभाग्यवान हूं। भारत के साथ मेरा प्रेम संबंध जरूर है।"
500 सदस्यों से गठित चीनी युवा प्रतिनिधिमंडल ने 24 फरवरी से 4 मार्च तक भारत की यात्रा की। उन्होंने छह ग्रुपों में बंट कर दिल्ली, मुंम्बई, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, केरल व मध्य प्रदेश आदि क्षेत्रों में स्थानीय लोगों के साथ गहन रूप से आवाजाही की। इस से छंग यिंग को और अधिक ताजा ताजा अनुभव प्राप्त हुआ. उसका कहना हैः
"इस यात्रा के दौरान सबसे पहले हम दिल्ली गए, फिर आगरा व राजस्थान। पिछली बार मैं अमृतसर गई। वहां पर पंजाबी संस्कृति चलती है। राजस्थान की संस्कृति अगल है। मुझे लगता है कि हर बार भारत आए, तो अलग अलग अनुभव प्राप्त होता है। मार्क ट्वेन की बात सही है कि भारत दुनिया की किसी भी जगह से भिन्न है, हर बार ताजा ताजा अनुभव पाता है।"
सरकारी विभागों, युवा संगठनों, उपक्रमों, कम्युनिटियों, विश्वविद्यालों व गांवों के दौरे से छंग यिंग समेत सभी चीनी युवा प्रतिनिधियों ने भारत के आर्थिक व सामाजिक विकास की काफी जानकारी ले ली है और भारतीय युवाओं के साथ गहरी मैत्री स्थापित की है। छंग यिंग को विश्वास है कि यह उसकी अंतिम भारत यात्रा नहीं होगी। उसका कहना हैः
"भविष्य में मैं जरूर फिर भारत आऊंगी। भारत की संस्कृति पर मेरी जानकारी बहुत कम है। आशा है कि भविष्य में मैं फिर यहां आऊंगी और भारत को अच्छी तरह समझ सकूंगी। इसी तरह मैं चीन-भारत मैत्री के लिए अपना योगदान कर सकती हूं।"