फङ चिंग दक्षिण पश्चिमी चीन के स्छ्वान की रहने वाली हैं। इस साल फरवरी के अंत में वह चौथी बार भारत गई। इस बार पहले की तीन यात्राओं से अलग बात यह है कि वह चीन व भारत के इतिहास में सबसे बड़े पांच सौ चीनी युवा प्रतिनिधिमंडल की एक सदस्या के रूप में भारत गई। इस महान देश के प्रति असीम प्यार के चलते फङ चिंग उत्साहित होकर एक बार फिर वहां पहुंची।
वर्ष 2005 में विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री हासिल करने वाली फङ चिंग अपने शिक्षक के साथ अकादमिक संगोष्ठी में भाग लेने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय आई। यह उसकी पहली भारत यात्रा थी। वहां के विशेष रीति रिवाज़, पुराने इतिहास व संस्कृति और जोशीली जनता ने फङ चिंग को अपनी ओर आकर्षित किया, तब से भारत और उसके बीच संबंध लगातार कायम रहा और धीरे-धीरे वह भारत को प्यार करने लगी। भारत की हर यात्रा में वह नये दोस्त बनाती हैं और इस देश में हुए परिवर्तन को देख सकती है। पांच सौ चीनी युवा प्रतिनिधिमंडल की एक सदस्या के रूप में मौजूदा भारत यात्रा के दौरान सड़कों पर परिचित दृश्य व भारतीय लोगों का दोस्ताना व्यवहार देखकर फङ चिंग को बहुत खुशी हुई।
वह कभी-कभार दूसरे चीनी युवाओं को स्थानीय दृश्य, विशेष खान-पान और रीति-रिवाज़ों से अवगत कराती हैं, जैसे कि वह दल का नेतृत्व कर रही हो।
फङ चिंग को याद है कि पहली भारत यात्रा के दौरान पुराने अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और सड़कों के दोनों किनारों पर खड़ी पुरानी इमारतों को देखकर वह निराश थी। लेकिन इधर के सालों में भारत का तेज़ विकास हुआ है और इस देश में भारी परिवर्तन आया है। इसकी चर्चा में फङ चिंग ने कहा:
"लेकिन वर्तमान यात्रा के बाद मेरे विचार बदल गए हैं। मुझे लगता है कि यहां परिवर्तन बहुत तेज़ ही नहीं, व्यापक भी हो रहा है। चाहे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा हो या दूसरे बुनियादी संस्थापन, पहले से कहीं ज्यादा बेहतर लगते हैं, वाकई में बहुत बड़ा बदलाव आया है।"
बड़ी-बड़ी आंखें, सांवला रंग व थुलथुले शरीर के कारण स्छ्वान की लड़की फङ चिंग एक भारतीय जैसी दिखती है। कई भारतीय दोस्त उसे मणिपुरी कहकर बुलाते हैं। कहने के पहले ही फङ चिंग के होंठों पर मुस्कुराहट नज़र आती है। अपने हंसमुख व विनीत व्यक्तित्व से फङ चिंग की कई भारतीय लोगों से अच्छी दोस्ती कायम हुई है। हर बार भारत यात्रा के दौरान उसके दोस्त उसे अपने घर पर बुलाते हैं। कभी-कभार उसके चीनी दोस्तो के लिए उनकी पसंद के उपहार खरीदने बाज़ार भी ले जाते हैं। फङ चिंग ने कहा कि भारतीय लोगों के साथ दोस्ती करना खुशी की बात है। उसका कहना है:
"मुझे लगता है कि भारतीय दोस्त बहुत ईमानदार, मेहमाननवाजी और उत्साहपूर्ण हैं। चाहे वे लोग चीन की यात्रा कर आए हों, या मैं भारत की यात्रा ही क्यों न करती हूं , उनके बीच आवाजाही से मुझे लगता है कि वे ईमानदार ही नहीं, मेरे साथ हमेशा अच्छा व्यवहार करते हैं। मैं उन्हें बहुत पसंद करती हूँ। दूसरी बात यह है कि भारतीय लोगों के पास सृजनात्मक व रचनात्मक शक्ति भरी हुई है। उनकी विचारधारा विविधतापूर्ण है। इस क्षेत्र में हमें उनसे सीखना चाहिए।"
विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री प्राप्त करने के बाद फङ चिंग स्छ्वान प्रांत की राजधानी छङ तु स्थित स्छ्वान विश्वविद्यालय के दक्षिण एशिया केंद्र में काम करने लगी। वह मुख्य तौर पर चीन व दक्षिण एशिया के बीच संबंधों के अनुसंधान में जुटी हैं। इस तरह उन्हें भारत जाने के ज्यादा मौके मिलते हैं। नई दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, शिमला, चंडीगढ़ व बैंगलोर आदि शहरों में उसने अपने पदचिह्न छोड़े हैं।
हर बार भारत की यात्रा के दौरान फङ चिंग अपने स्वदेशी मित्रों के लिए बहुत ज्यादा उपहार खरीदती हैं। सुंदर वस्त्र, प्राकृतिक मेकअप वस्तुएं, वनस्पतियों से तैयार स्किन-केयर उत्पाद, खूबसूरत हस्तशिल्प आदि उसकी पसंदीदा चीजें हैं। हर बार भारत पहुंचते ही फङ चिंग निश्चय ही लजीज करी भोज, स्वादिष्ट मिठाइयों व विविधतापूर्ण फलों का मज़ा लेती हैं। फङ चिंग ने कहा कि अपनी शादी के लिए उसने एक हज़ार अमेरिकी डॉलर खर्च करके एक बहुत शानदार व सुन्दर साड़ी खरीदी। शादी की रस्म में साड़ी पहने हुए चीनी दुल्हन फङ चिंग एक स्टार जैसी लग रही थी।
फङ चिंग को बॉलीवुड की फिल्में देखना भी पसंद है, इसके साथ ही वह भारतीय नृत्य का मज़ा ही नहीं लेती, बल्कि उसे हिन्दी गीत गाना भी पसंद है। फुर्सत के समय वह इंटरनेट से हिन्दी गीत डाउनलोड करके आनंद उठाती हैं। हिन्दी न आने के बावजूद फङ चिंग उच्चारण से गाने सीखकर हिन्दी गीत अच्छी तरह गा सकती है।
पांच सौ चीनी युवा प्रतिनिधिमंडल की एक सदस्या के रूप में भारत की मौजूदा यात्रा फङ चिंग के लिये एक बिल्कुल नया अनुभव है। इसकी चर्चा में उसने कहा कि राष्ट्रपति भवन का दौरा कर, राष्ट्रपति जी से मिलना उनके लिए सबसे यादगार पल है। नये अनुभावों के प्रति वह काफी उत्तेजित हो उठती है। फङ चिंग ने कहा:
"भारत की मौजूदा यात्रा के दौरान मेरा सबसे गहरा अनुभव यह है कि मैंने राष्ट्रपति भवन का दौरा किया था। पहले भारत की सैर के वक्त मैं सिर्फ़ बाहर से राष्ट्रपति भवन देख सकती थी। लेकिन इस बार मैं हकीकत में अंदर गई और खुद देखा कि राष्ट्रपति भवन भीतर से कैसा है, बाग कैसा है । यह बहुत सौभाग्य की बात है और मुझे बेहद खुशी हुई। इसके अलावा राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल जी ने स्नेहपूर्ण ढंग से हम चीनी युवाओं से भेंट की। यह बहुत सौहार्दपूर्ण बात है।"
इधर के वर्षों में चीन व भारत के बीच आदान-प्रदान दिन ब दिन मज़बूत हो रहा है। फङ चिंग को लगता है कि सांस्कृतिक क्षेत्र में दोनों प्राचीन सभ्यता वाले देशों के बीच ज्यादा समानताएं मौजूद हैं। वर्तमान वैश्विक आर्थिक मंदी की पृष्ठभूमि में विकास के रास्ते पर आगे चलने वाले चीन और भारत को एक साथ मिलकर पारस्परिक सहयोग करना चाहिए। दोनों देशों के युवाओं को पारस्परिक समझ बढ़ाकर आपस में दोस्ती मजबूत करनी चाहिये। फङ चिंग ने कहा:
"मुझे लगता है कि भारत एक ओजस्वी देश है। वह चीन की तरह तेजी से विकास कर रहा नवोदित देश है। दोनों देशों के युवाओं को पारस्परिक समझ बढ़ाकर आवाजाही मज़बूत करनी चाहिए। हमें सांस्कृतिक व अकादमिक आवाजाही के अलावा सरकारों के बीच विभिन्न स्तरीय आदान प्रदान बढ़ाना चाहिए। इस तरह चीन और भारत के बीच द्विपक्षीय समझ व आपसी विश्वास मज़बूत होगा। मुझे आशा है कि दोनों पड़ोसी देश मेल-जोल के साथ रहते हुए समान विकास व समान समृद्धि हासिल करेंगे।"