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12-04-24
2012-04-30 19:08:31

यह चाइना रेडियो इंटरनेशनल है। श्रोता दोस्तो, न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में, मैं हेमा कृपलानी आप सब का हार्दिक स्वागत करती हूँ।

दोस्तों, न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में हम आपको चीन के बारे में समय-समय पर बताते रहते हैं। यहां की जीवनशैली, खान-पान, सैर-सपाटा और बहुत कुछ। तो चलिए आज हम आपको बतातें हैं चीनी परिवार के बारे में।

30 साल से चले आ रहे चीन में राष्ट्रीय परिवार नियोजन नीति के कार्यान्वयन के बाद से, चीन के एकल बच्चों की पहली पीढ़ी जिन्हें नन्हे सूरज (लिटिल सन) कहा जाता था अब बड़े हो गए हैं। जिनका अब अपना परिवार है और कैरियर है। चीन के शहरों में रहने वाले परिवारों को 4-2-1 सदस्यों के परिवार के रूप में परिभाषित किया जाता है जहाँ 4-2-1 सदस्य रह गए हैं यानी एक परिवार में 4-माता-पिता,सास-ससुर -2-पति-पत्नी और 1-बच्चा है। तो हो गए न 4-2-1। अब जब इस पीढ़ी के एकल बच्चे अपने पैरों पर खड़े हो आत्मनिर्भर हो गए हैं तो उनके कंधों पर अपने परिवार के साथ-साथ अपने माता-पिता की देखभाल करने का जो बोझ एक साथ कंधों पर आ पड़ा है तो उन्हें जबरदस्त तनाव का सामना करना पड़ रहा है।

लेकिन किस तरह के बोझ और समस्याओं का सामना कर रहे हैं ये इकलौते बच्चे। क्या सोचते हैं उनके माता-पिता, ससुराल वाले और जिनकी शादी नहीं हुई तो उनके नाना-नानी, दादा-दादी। हाल ही में विशेषज्ञों और अधिकारियों सहित कुछ लोगों ने, जिन्होंने इस मुद्दे पर अपनी राय की पेशकश के साथ-साथ इस मुद्दे पर चर्चा की कि किस प्रकार इस आयु वर्ग के लोगों के लिए बेहतर देखभाल प्रदान की जाए। इस विषय पर अपने सुझाव दिए।

चीन के नेटीजन अपने विचार समय-समय पर नेट पर लिखते रहते हैं उनमें से एक का कहना है कि..............

अपने परिवार में इकलौती औलाद होने के कारण हमारा बचपन बहुत आरामदायक और खुशहाल था लेकिन अब हमें अपने माता-पिता के साथ-साथ नाना-नानी, दादा-दादी की भी देखभाल करने का बोझ हमारे कंधों पर आ पड़ा है। हमारी पीढ़ी अत्यधिक बोझ की मारी पीढ़ी बन गई है।

जब इस कॉमेंट को बीजिंग में कार्यरत 35 साल की लियांग रु ने पढ़ा तो वह लेखक से पूरी तरह सहमत थीं और उन्होंने अपने विचार आगे लिखे कि मैं अपने बचपन के दिनों को याद कर कितना खुश होती हूँ,कि किस प्रकार मेरे नाना-नानी, दादा-दादी मेरे सारे नखरे उठाया करते थे क्योंकि मैं अपने परिवार में इकलौती औलाद थी। मेरे नाना-नानी, दादा-दादी मुझे प्यार से नन्ही सूरज (लिटिल सन) कहकर बुलाते थे। हालांकि, अब इस सूरज को चार बड़े ग्रहों यानी मेरे माता-पिता और सास-ससुर और एक नन्हा ग्रह यानी मेरी पाँच साल की बेटी झांग मंगची की उर्जा आपूर्ति करनी है यानी उनकी देखभाल करनी है।

जैसे-जैसे समय बीत रहा है कई युवा कपल्स जो अपने परिवारों की इकलौती औलाद हैं वे अब माता-पिता बन गए हैं हालांकि अपने बचपन में उन्हें अपने माता-पिता का ढ़ेरों प्यार और अटेंशन मिला लेकिन अब उनकी बारी है, उतना ही प्यार और स्नेह को लौटाने की अपने बूढ़े माता-पिता की देखभाल कर। हर युवा कपल पर चार बुजुर्गों, अपने माता-पिता और सास-ससुर की सेवा के साथ-साथ अपने बच्चे के पालन-पोषण करने की जिम्मेदारी है। जिस कारण इस युवा पीढ़ी को अत्यधिक तनाव का सामना करना पड़ रहा है।

लियांग के पति फंग ताओ भी अपने परिवार की इकलौती औलाद हैं। इसलिए उनका एकल परिवार 4-2-1 चीन में एकल परिवार का टिपीकल उदाहरण है। परिवार का पैटर्न एक उल्टे पीरामड की तरह हैं जो चीन में 1970 से लागू राष्ट्रीय परिवार नियोजन नीति का परिणाम है। शहरों में रहने वाले शादी-शुदा जोड़ों पर नीति के अनुसार आधिकारिक तौर पर प्रतिबंध है कि वे एक बच्चे से ज्यादा नहीं कर सकते जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में कई स्थितियों में छूट की अनुमति दी जाती है जैसे कि किसी परिवार में अगर पहली संतान बेटी है, अल्पसंख्यक जातियाँ और ऐसे माता-पिता जिनके भाई-बहन नहीं हैं।

कई जनसांख्यिकों(demographers) का मानना है कि चीन की तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या देश के आर्थिक विकास के लिए संभावित खतरा पैदा कर सकती है इसलिए इस नीति का होना आवश्यक है। वास्तव में यह नीति चीन की जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने में बहुत प्रभावी साबित हुई है। अप्रैल 2011 में छठी राष्ट्रीय जनगणना से जारी किए गए डेटा से यह जानकारी प्राप्त हुई कि चीन की जनसंख्या की वृद्धि की दर 1982 में 2.09 प्रतिश्त से 2010 में 0.57 प्रतिश्त तक गिर गई। चीन के राष्ट्रीय जनसंख्या और परिवार नियोजन आयोग से मिली संख्याओं से यह पता चला कि चीन में 2007 में 90 लाख "इकलौती संतानें" थीं। जनसांख्यिकों(demographers) का अनुमान है कि संख्या अब 100 मिलियन से अधिक है।

लिआंग अपने माता-पिता और सास-ससुर के स्वास्थ्य को लेकर बहुत चिंतित रहती है अगर उनमें से किसी की भी तबीयत खराब होती है तो वह और उसका पति शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रुप से प्रभावित होंगे। उसे हमेशा यह चिन्ता सताती रहती है कि कैसे वे दोनों पति-पत्नि मिलकर अपनी बच्ची और चारों माता-पिता का आर्थिक रुप से समर्थन कर पाएँगे। इसलिए वे दोनों मिलकर कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

अनगिनत युवा चीनी भी लिआंग की तरह सोचते हैं। कई परिवार खासकर मध्यम आयु वर्ग के दंपत्ती ज्यादा पैसे कमाने की होड़ में लगे रहते हैं ताकि भविष्य के लिए अधिक से अधिक पैसे जमा कर सकें।

लिआंग के माता-पिता पूर्वी चीन के शांनदोंग प्रांत के छिबो से बीजिंग पिछले साल अक्टूबर में आए जब उन्होंने अपनी बेटी के घर के पास अपना घर खरीदा। इस बुजुर्ग दंपत्ति ने अपनी सारी जमा-पूँजी देश की राजधानी बीजिंग में 50 वर्ग मीटर का घर खरीदने में लगा दी।

चिआन लिइंग ने अपने नए घर में आने से पहले अपनी बेटी लिआंग से कहा कि हम समझ सकते हैं कि हमारा बीजिंग में आकर रहना तुम्हारे लिए तकलीफदायक हो सकता है क्योंकि तुम्हें और फांग को मिलकर अपनी बेटी और फांग के माता-पिता की देखभाल करनी है लेकिन हमारे पास कोई और विकल्प नहीं है। हम दोनों शारीरिक और मानसिक रुप से जीवन के इस पड़ाव में केवल तुम पर निर्भर करते हैं। इसलिए, हम तुम्हारे पास रहना चाहते हैं।

चीन तेज़ी से बुजुर्ग समाज बनता जा रहा है और वरिष्ठ नागरिकों की बढ़ती संख्या अपने बच्चों के बिना रहती है। इन हालातों में इस आयु वर्ग के लोगों की देखभाल करना एक बड़ी चिन्ता का विषय बन गया है और यह मुद्दा एक गंभीर सामाजिक चिन्ता का विषय है ना कि 4-2-1 परिवारों की समस्या कि वे कितनी कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। अप्रैल 2011 में छठी राष्ट्रीय जनगणना से जारी किए गए डेटा से यह जानकारी प्राप्त हुई कि चीन में 178 मिलियन नागरिकों की आयु 60 साल या उससे ज़्यादा है। वर्ष 2040 तक यह संख्या चीन में 400 मिलियन तक पहुँच सकती है जिनकी आयु 60 साल या उससे ज़्यादा है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है। इसका मतलब औसतन चीन में हर चार लोगों में 1 बुजुर्ग होगा। बड़े शहर जैसे बीजिंग और शांगहाई में अनुमान लगाया जा रहा है कि हर 2 या 3 लोगों में एक व्यक्ति बुजुर्ग होगा। सांख्यिकी ये भी दर्शाती है कि चीन में अब कम से कम 23.4 मिलियन "empty nesters" यानी वे लोग जो अपने बच्चों से दूर रहते हैं जिनमें अधिकतर अपने परिवारों की इकलौती संतानें हैं। कई ऐसी इकलौती संतानों के पास अपने माता-पिता की देखभाल करने का बहुत कम समय होता है, ऐसे में ज़रूरत है सामाजिक समर्थन की। अब भी सामाजिक सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम पर्याप्त नहीं है क्योंकि अब भी केवल मुट्ठी भर वरिष्ठ नागरिक ऐसे घरों में रहते हैं जिनमें इस वर्ग के लोगों के लिए अपेक्षाकृत पूर्ण सुविधाएँ हों।

शांगहाई नगर पीपल्स कांग्रेस की डिप्टी और शांगहाई चिनहयुवान अस्पताल की अध्यक्षा शांग युन के अनुसार समस्या यह है कि आजकल जिन युवा और मध्यम आयु वर्ग के दंपत्तियों के पास अपने माता-पिता की देखभाल करने का समय है लेकिन उनके पास पैसों की कमी रहती है और जिनके पास पर्याप्त धन-राशि है उनके पास अपने बूढ़े़ माता-पिता के लिए समय नहीं।

सच तो यह है कि केवल एक संतान पर पूरी तरह से जिम्मेदारी का बोझ डालना और उम्मीद रखना कि वह अपने माता-पिता की देखभाल करेगा आज के समय में मुश्किल है। इसलिए ज़रुरत है कि सामाजिक सुरक्षा के प्रयासों को इस आयु वर्ग के लिए अधिक प्रासंगिक बनाना चाहिए।

हाल के कुछ वर्षों में चीन ने बढ़ती उम्र aging population के लिए कई कारगर कदम उठाए हैं। उदाहरण के लिए, पिछले साल दिसंबर में राज्य परिषद के जनरल कार्यालय ने बुजुर्गों को दी जाने वाली सामाजिक सेवी प्रणाली (2011-2015) के अनुसार 2015 तक देश के हर नर्सिग होम और कम्युनिटी सेंटरों में हर 1000 बुजुर्गों के लिए 30 बिस्तर उपलब्ध करवाए जाएँगे।

चीन के नागरिक मामलों के मंत्री ली लिगुओ ने बताया कि 2010 तक चीन में बुजुर्गों के लिए कुल 3.2 मिलियन नर्सिग होम और कम्युनिटी सेंटर खुल गए या सरल शब्दों में कहें तो हर 1000 बुजुर्गों के लिए 18 बिस्तर हैं जो कि विकसित देशों के औसत स्तर से काफी कम हैं जहाँ हर 1000 बुजुर्गों के लिए 50 से 70 बिस्तर हैं।

संगठनों में सुधार लाने हेतु 12वीं पंचवर्षीय योजना (2011-2015) तक अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए चीन बुजुर्गों के लिए बने अपने हर नर्सिग होम और कम्युनिटी सेंटर में 3.4 मिलियन बिस्तर जोड़ने की योजना है।

लोगों के जीवन स्तर में लगातार होते सुधारों को देखते हुए कई वरिष्ठ नागरिक केवल भौतिक सुख-सुविधाओं के बारे में चिन्तित नहीं होते बल्कि वे अपने आध्यात्मिक जीवन के बारे में भी चिन्तित रहते हैं। इसलिए यह अत्यावश्यक हो जाता है कि हम उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए उन्हें समझे और उनकी उचित देखभाल करें।

देश के वरिष्ठ नागरिकों की आध्यात्मिक और मानसिक ज़रुरतों को ध्यान में रखते हुए चीन ने 2011 में अपने लॉ ऑन द प्रोटेक्शन ऑफ राइटस एंड इंट्रेस्टस ऑफ एजेड में ज़रूरी संशोधन किए। संशोधित कानून के तहत माता-पिता को नज़रअंदाज़ करना या अकेले छोड़ देना वर्जित है और साथ में यह भी हिदायत दी जाती है कि बच्चे अक्सर अपने माता-पिता से मिलने उनके घर जाएँ।

जैसे-जैसे चीनी समाज धीरे-धीरे वरिष्ठ नागरिकों का समाज बनता जा रहा है, इस आयु वर्ग के लोगों को बेहतर सुविधाएँ प्रदान करने के लिए पूरा समाज नए उपायों की खोज में लगा है और विशेष रूप से 4-2-1 मॉडल परिवार जो खासकर देश के बड़े शहरों में बसता है उनकी समस्याओं का समाधान ढ़ूँढने में लगा है।

श्रोताओं, आपको हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम का यह क्रम कैसा लगा। हम आशा करते हैं कि आपको पसंद आया होगा। आप अपनी राय व सुझाव हमें ज़रूर लिख कर भेजें, ताकि हमें इस कार्यक्रम को और भी बेहतर बनाने में मदद मिल सकें। क्योंकि हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम आप से है, आप के लिए है, आप पर है। इसी के साथ हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। आप नोट करें हमारा ई-मेल पताः hindi@cri.com.cn । आप हमें इस पते पर पत्र भी लिख कर भेज सकते हैं। हमारा पता हैः हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पी .ओ. बॉक्स 4216, सी .आर .आई.—7, पेइचिंग, चीन , पिन कोड 100040 । हमारा नई दिल्ली का पता हैः सी .आर .आई ब्यूरो, फस्ट फ्लॉर, A—6/4 वसंत विहार, नई दिल्ली, 110057 । श्रोताओ, हमें ज़रूर लिखयेगा। अच्छा, इसी के साथ मैं हेमा कृपलानी आप से विदा लेती हूँ इस वादे के साथ कि अगले हफ्ते फिर मिलेंगे।

तब तक प्रसन्न रहें, स्वस्थ रहें। नमस्कार

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