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12-04-10
2012-04-09 15:51:23

 

यह चाइना रेडियो इंटरनेशनल है। श्रोता दोस्तो, न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में, मैं हेमा कृपलानी आप सब का हार्दिक स्वागत करती हूँ।

घरेलू हिंसा आज विश्व भर में एक ज्वलंत मुद्दा बन गया है। लेकिन भारत और चीन में परिवार के भीतर हिंसा का अस्तित्व स्वीकार नहीं किया गया है। यह पूरी दुनिया के लिए एक ऐसा मुद्दा है जो बढ़ती चिंता का विषय बन गया है क्योंकि यह परिवार के सभी सदस्यों विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। चीनी लॉ सोसायटी के घरेलू हिंसा विरोधी नेटवर्क के नवीनतम आँकड़ों से पता चला है कि वर्ष 2004 से 2008 तक देश भर में विभिन्न महिला समूहों ने हर साल 40,000 से 50,000 घरेलू हिंसा की शिकायतों का निपटारा किया है और इस संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। अभी हाल में संपन्न हुए चीनी जन राष्ट्रीय प्रतिनिधि सभा यानी एन.पी.सी और चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन यानी सी.पी.पी.सी.सी के वार्षिक पूर्णाधिवेशन में राजनीतिक सलाहकार और अखिल चीन महिला संघ की उपाध्यक्षा झंग यान ने कहा कि घरेलू हिंसा से संबंधित वर्तमान कानून त्रासदियों को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं हैं इसलिए ज़रूरत है कि उनको ठोस और कठोर बनाया जाए। इसके अलावा, घरेलू हिंसा से संबंधित कानून, एक बेहतर सामाजिक स्थिरता और सद्भाव को बढ़ावा देंगे। बढ़ते हुए आकड़े सोचने पर मज़बूर कर देते हैं कि आखिर क्या कारण है जो महिलाओं को आज भी घरेलू हिंसा का शिकार बनना पड़ता है। लैंगिग समानता को बढ़ावा देने के अभियान के बावजूद यहाँ घरेलू हिंसा में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। यहाँ चीन में भी घरेलू हिंसा की दुखद घटनाएँ आम हैं लेकिन इसका शिकार होने वाली महिलाएँ इसे परिवार का निजी मामला कहते हुए किसी के साथ अपने साथ होने वाले दुर्व्यवहार को नहीं बताती और अंदर ही अंदर इसे चुप करके सहती रहती हैं। इसकी शिकार महिलाएँ केवल शारीरिक नहीं मानसिक रुप से भी प्रताड़ित की जाती हैं। वे इसे अपना पर्सनल मामला समझते हुए शर्म के कारण कि कैसे किसी से अपने परिवार की तकलीफों के बारे में बताएँ अपने आप को भी समाज से धीरे-धीरे दूर कर लेती हैं और अपनी तकलीफों और परेशानियों को अकेले अपने दिल पर बोझ लिए तनन्हाइयों के अंधेरे में खो जाती हैं। जब दर्द हद से गुजर जाता है तो कुछ महिलाएँ इतनी मायूस हो जाती हैं कि खुद को बचाना या उसके खिलाफ खड़े होना भी छोड़ देती हैं और दर्द से छुटकारा पाने के लिए मौत को गले लगा लेती हैं या आत्महत्या की कोशिश करती हैं। यह तो हमने आपको यहां कि बात बताई चलिए अब हम बात करते हैं भारत की वहां घरेलू हिंसा के कारण, सुरक्षा, चुनौतियों और इसके उपचार के लिए प्रावधान विषय पर क्या – क्या काम हो रहे हैं। इस बारे में हम आज बात करने जा रहे हैं प्रमिला जी से।

बातचीत....................................................................................

श्रोताओं, आपको हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम का यह क्रम कैसा लगा। हम आशा करते हैं कि आपको पसंद आया होगा। आप अपनी राय व सुझाव हमें ज़रूर लिख कर भेजें, ताकि हमें इस कार्यक्रम को और भी बेहतर बनाने में मदद मिल सकें। क्योंकि हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम आप से है, आप के लिए है, आप पर है। इसी के साथ हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। आप नोट करें हमारा ई-मेल पताः hindi@cri.com.cn । आप हमें इस पते पर पत्र भी लिख कर भेज सकते हैं। हमारा पता हैः हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पी .ओ. बॉक्स 4216, सी .आर .आई.—7, पेइचिंग, चीन , पिन कोड 100040 । हमारा नई दिल्ली का पता हैः सी .आर .आई ब्यूरो, फस्ट फ्लॉर, A—6/4 वसंत विहार, नई दिल्ली, 110057 । श्रोताओ, हमें ज़रूर लिखयेगा। अच्छा, इसी के साथ मैं हेमा कृपलानी आप से विदा लेती हूँ इस वादे के साथ कि अगले हफ्ते फिर मिलेंगे।

तब तक प्रसन्न रहें, स्वस्थ रहें। नमस्कार

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