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12-04-03
2012-04-03 18:49:41
न्यूशिंग स्पेशल के आज के कार्यक्रम में हम आज खान-पान के विषय पर चर्चा करेंगे। नहीं, हम आपको किसी चीनी भोजन के बारे में नहीं बताएँगे बल्कि बात करेंगे कि भोजन खाया कैसे जाता है। मुँह से और कैसे बस इतनी सिंपल- सी बात है और क्या। जी हाँ, बात तो बहुत सिंपल-सी है लेकिन हाथ से लेकर मुँह तक खाना पहुँचता कैसे है ये अपने आप में एक कला है। जी हाँ, कला क्यों, क्योंकि चीन में खाना खाने के लिए चॉपस्टिक का इस्तेमाल किया जाता है जो किसी भी विदेशी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होता। अब अगर जिन्हें चम्मच-काँटे या हाथ से खाने की आदत हो उन्हें आप अचानक हाथों में दो लकड़ियाँ थमा दें और कहें कि भई इससे खाना उठाओ और खाओ। तब तो बड़ी दयनीय हालत होती है, पेट में कूद रहे होते हैं चूहे, सामने रखा होता है स्वादिष्ट खाना लेकिन देखिए तो प्लेट से मुंह तक का सफर कितना कठिन, जटिल हो सकता है। चीन की अन्य नायाब कलाओं में से एक यह भी अनूठी कला है जिसे चाहते न चाहते हुए आपको सीखना ही पड़ेगा क्यों.....क्योंकि सवाल पापी पेट का जो होता है। चलिए, हमारी बातें सुन आपको लग रहा होगा कि कितना मुश्किल है चीन में रहना, खाना तो ऐसी कोई बात नहीं हैं। एक बार अगर आपको चॉपस्टिक से खाना आ गया तो यकीनन आप चम्मच-काँटे अपने से दूर ही रखेंगे।

चलिए, इस कला को सीखने से पहले जानते हैं इसके इतिहास के बारे में। चॉपस्टिक, प्राचीन चीन में ओरिजिनेट यानि उत्पन्न हुआ और पूर्वी एशिया में इसका व्यापक प्रयोग हुआ। माना जाता है कि चीनी लोगों ने ही चॉपस्टिक का आविष्कार किया, लेकिन क्यों किया गया इस बारे में कोई ठोस कारण नहीं मिला। दरअसल, महान चीनी दार्शनिक कॉन्फ्युशियस ने चॉपस्टिक की ठोस वकालत की थी। चीनी जनता जो कॉन्फ्युशियसवाद का समर्थन करती है और उनसे प्रभावित हैं उनका मानना है कि चॉपस्टिक नम्रता और परोपकार को प्रतिबिंबित करता है, जो कॉन्फयुशियस के नैतिकता के पाठ में से एक है। शुरुआत में चॉपस्टिक चिमटे की तरह थे जिनके कोने आपस में जुड़े हुए होते थे लेकिन अब वे दो अलग चॉपस्टिक हैं। हालांकि, चॉपस्टिक का प्रयोग अब भी एशिया में व्यापक रुप से हो रहा है लेकिन वे एक समान नहीं हैं उदाहरण के लिए चीनी चॉपस्टिक, जापानी चॉपस्टिक से एकदम भिन्न हैं। जापानी चॉपस्टिक छोटे, राउंड और कोने से तेज़ होते हैं जबकि चीनी चॉपस्टिक लंबा, आयताकार और अंत में जाकर सीधा होता है। चीनी चॉपस्टिक बांस, प्लास्टिक, लकड़ी, हड्डी, धातु, जेड और हाथीदांत सहित विभिन्न सामग्री से बनाया जाता है। बांस सबसे लोकप्रिय सामग्री है क्योंकि यह एशिया में बहुतायत में मिलता है और बांस आसानी से विभाजित किया जाता है और हीट रसिस्टेंट भी होता है यानि गर्म नहीं होता। धातु से बने चॉपस्टिक इतने आम नहीं है। एक समय में यह माना जाता था कि चाँदी से बने चॉपस्टिक यदि जहरीले भोजन के संपर्क में आए तो वे काले हो जाएँगे।हालांकि, धातु से बने चॉपस्टिक टिकाऊ होते हैं और आसानी से साफ किया जा सकता है लेकिन वे भोजन को उतने बेहतर तरीके से नहीं पकड़ पाते जितने के लकड़ी से बने चॉपस्टिक। धातु से बने चॉपस्टिक ज्यादा महंगे होते हैं और बहुत ज्यादा गर्म हो जाते हैं। लोग हाथी दांत, जेड और सोने से बने चॉपस्टिक का उपयोग लक्जरी आइटम के रूप में करते हैं। चीनी भोजन विश्व प्रसिद्ध है लेकिन अगर गलत बर्तनों का उपयोग किया गया तो खाने का मज़ा नहीं आता। दो पतली और फिसलने वाली लकड़ियों का प्रयोग चावल और सब्जियों को उठाने के लिए करना अपने आप में चुनौती है लेकिन कई विदेशी अपने चीनी दोस्तों की तरह इसका बखूबी प्रयोग करना जानते हैं। अगर आप चम्मच और काँटे प्रयोग करने के आदी हैं तो चॉपस्टिक का प्रयोग करना काफी मुश्किल होता है। हो सकता है कि खाना उठाते समय आपसे बार-बार खाना नीचे गिर जाए खासकर तब जब आपको खाना मुँह तक ले जाने में संकोच हो रहा हो। वैसे भी किसी को चॉपस्टिक से खाना कैसे खाया जाता है सिखाना मुश्किल होता है। जैसा कि अन्य कौशल के लिए ज़रुरी है अभ्यास करना तो अभ्यास कीजिए और बनिए परफेक्ट। चीनी व्यंजन एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का उत्पाद है। अब यह व्यापक रूप से उपलब्ध है और दुनिया भर में लोकप्रिय भी। चॉपस्टिक, पारंपरिक चीनी भोजन खाने के काम आता है। उनके उपयोग के लंबे इतिहास के परिणाम स्वरूप चॉपस्टिक- शिष्टाचार विकसित किया गया है। चॉपस्टिक का उपयोग करने के कुछ रिवाज हैं। इन रिवाजों से चीनी संस्कृति और भावनाओं को समझा जा सकता है। तो वे क्या हैं, चलिए हम आपको वो भी बताते हैं।

- कभी भी अपने चावलों की कटोरी में चॉपस्टिक सीधा खड़ा करके न रखें।

- कटोरी या प्लेट के किनारे पर चॉपस्टिक न बजाए ऐसा करना असभ्य माना जाता है और पुराने समय में भिखारी ऐसा शोर किया करते थे लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचने के लिए।

- किसी की तरफ चॉपस्टिक से इशारा न करें।

- चॉपस्टिक के साथ खेलना अशिष्टता माना जाता है।

हालांकि, चॉपस्टिक को लेकर कई डूस और डोंटस हैं, और शिष्टता के ये नियम एक देश से दूसरे के लिए अलग हैं। चाहे चीन में आज के युवा लोगों के लिए, इन रिवाजों का इतना महत्व नहीं हो, लेकिन किसी विदेशी के लिए अब भी ये चॉपस्टिक शिष्टाचार के कुछ नियम पता होना फायदेमंद साबित हो सकता है।

अब बात करते हैं चीन की अल्पसंख्यक जाति के एक खास त्योहार के बारे में.....................

पश्चिम के लोगों के लिए वेलेंटाइन डे का मतलब कुछ अलग ही होता है लेकिन आज हम आपको बताएँगे चीन की एक अल्पसंख्यक ली जाति के वेलेंटाइन डे के बारे में जिसके बारे में लोग बहुत कम जानते हैं या तो बिल्कुल भी नहीं जानते है। ली जाति के लोग अपना वेलेंटाइन डे 3 मार्च को मनाते हैं। ली लोग विभिन्न शो और प्रतियोगिताओं का आयोजन करते हैं, इस मौके पर वे गाते हैं, नृत्य करते हैं, नौका प्रतियोगिता होती है और कैम्पफायर आदि जैसी पार्टियों का आयोजन भी करते हैं। युवा ली पुरुषों और महिलाओं को त्योहार के दौरान अकेले में मिलने की आज़ादी दी जाती है।

सदियों से दक्षिण चीन के हाइनान प्रांत में रहने वाले ली अल्पसंख्यक जाति के लोगों का यह बहुत लोकप्रिय त्योहार है। इसके पीछे एक पुरानी गाथा है कि हज़ारों साल पहले हाइनान द्वीप प्रांत में एक बार ऐसी बाढ़ आई जो अपने साथ सब कुछ बहा कर ले गई और जिसने उस प्रांत को पूरी तरह तबाह कर दिया था।

एक पौराणिक कथा के अनुसार, द्वीप पर केवल एक भाई और बहन जीवित रह गए थे जिन्होंने दुबारा अपने जातीय समूह को आबाद करने का फैसला लिया। लेकिन उनकी कोशिशें नाकामयाब रही क्योंकि उस द्वीप पर बहुत कम लोग जीवित रह गए थे। जब कोई विकल्प नहीं रहा तो महिला ने अपने चेहरे पर टैटू बनाकर अपनी पहचान छुपाई और अपने ही भाई के साथ शादी की और बच्चे पैदा किए। अंततः वे अपनी अल्पसंख्यक जाति को विलुप्त होने से बचा पाए।

प्राचीन समय में ली युवतियाँ चौक पर सुन्दर कपड़े पहन युवकों के शिकार से लौटने का इंतज़ार किया करती थी। उनके वापस लौटने के बाद युवक उन सुन्दर कन्याओं को अपने शिकार के अनुभव और अपनी बहादुरी तथा साहस के किस्से सुनाते थे ताकि वे अपनी पसंदीदा लड़की का दिल जीत सकें।

चीनी कैलेंडर के अनुसार हर साल 3 मार्च को ली लोग तैयार होकर उस महान जोड़े को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। वे जातीय गीत गाते और नृत्य करते हैं और अपनी जाति के रिवाज़ के अनुसार युवक-युवती विशिष्ट तरीके से अपने प्यार का इज़हार करने के लिए पहाड़ गीत गाते हैं जो चीन की जातीय क्षेत्रों में लोकप्रिय हैं।

यदि उत्सव के दौरान किसी को अपना मनपसंद साथी मिल जाता है तो वह उस व्यक्ति को प्यार की निशानी देता है। युवक बालों की पिन या बाली देता है और युवती अपने हाथों से बुना कमरबंद देती है। इस तरह उपहार की रस्म के बाद वे दोनों साथ में घूमने जाते हैं।

आजकल, संगीत समारोह आम हो गए हैं। युवा ली महिलाएँ त्योहार के लिए तैयार होती हैं और युवा ली पुरुषों का इंतज़ार करती हैं क्योंकि यह एक ऐसा दिन होता है जब महिलाएँ अपनी सुन्दरता का प्रदर्शन कर सकती हैं जबकि पुरुषों को मौका मिलता है महिलाओं को जानने का।

एक और पारंपरिक गतिविधि का आयोजन किया जाता है। वह है बांबू रौड जम्प, जिसमें 12 से 16 लोग भाग लेते हैं। कुछ लोग बांस के डंडों को पकड़ते हैं और कुछ लोग मिलकर उन बांस के डंडों के बीच नृत्य करते हैं।

 

3 मार्च को ली लोगों का परंपरागत जातीय त्योहार मनाया जाता है। इस त्योहार के जरिए ली जाति के लोग आपस में और करीब आते हैं और इस त्योहार से उनके जीवन, इतिहास और संस्कृति की झलक भी देखने को मिलती है। कई देशी और विदेशी पर्यटकों को भी अब यह भव्य त्योहार अपनी ओर आकर्षित करने लगा है।

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