अधिकांश चीनी लोगों की नज़र में भारत एक रहस्यमय देश है। लेकिन पड़ोसी देश होने के नाते उसे जान लेने में सभी चीनियों की जिज्ञासा है। चीन के थांग राजवंश में महाभिक्षु आचार्य ह्वेनसान की यात्रा वृत्तांत में चित्रित पवित्र भारत, ताज महल के पीछे प्रचलित राजा-रानी के अमर प्रेम की कहानी, बॉलिवुड फिल्मों में मधुर गीत व मनोहर नृत्य, विश्वविख्यात स्वादिष्ट भारतीय व्यंजन...... ये सब चीनी लोगों को आकृष्ट करते हैं। इधर के वर्षों में चीन व भारत के बीच आदान प्रदान के विस्तार के चलते ज्यादा से ज्यादा चीनी लोग भारत की यात्रा पर जा रहे हैं।
2012 चीन भारत मैत्री व सहयोग वर्ष के मौके पर पांच सौ चीनी युवाओं से गठित प्रतिनिधि मंडल ने फरवरी के अंत से मार्च के शुरू तक भारत की दस दिवसीय यात्रा की थी, चीन व भारत के इतिहास में सबसे बड़े पैमाने वाली आदान प्रदान योजना के भागीदार के रूप में चीनी युवा लोग भारत की धरती पर पधारे थे और उन्हें वहां के विशेष रीति रिवाज़ व दोनों देशों की जनता में बनी परंपरागत मैत्री की खूब अनुभूति हुई है।
"सर्वप्रथम मुझे एहसास यह हुआ है कि भारत एक बहुत सुन्दर देश है। सफेद रंग का ताज महल, त्रिवेन्द्रम का नीला आसमान, समुद्र में हरी लहर, नारियल का जंगल, बीच पर सफेद रेत इत्यादि, मन को बहुत लुभाते हैं।"
यह आवाज़ चीन के हेपेई प्रांत की राजधानी शी च्याच्वांग से आई युवा शिक्षक तू युबो की है। चीनी युवा प्रतिनिधि मंडल की एक सदस्या के रूप में भारत पर कदम रखते ही वह भारत के प्राकृतिक सौंदर्य से आकर्षित हुआ। उन्हीं की तरह सभी चीनी युवा लोग वहां की प्राकृतिक सुन्दरता, सांस्कृतिक धरोहर, सीधा सादे व मेहमाननवाज निवासियों से प्रभावित हुए थे। तू युबो ने कहा कि वह भारतीय लोगों के मेहमाननवाजी व उत्साहपूर्ण लोकाचार से बेहद प्रभावित हुआ है। उसने कहा:
"यहां के लोग बहुत अच्छे हैं। जब हम बस में बैठे शहरों की सड़कों पर चल रहे थे, बस की खिड़की से बाहर झांकते थे, तो पास चलते कोई भी भारतीय लोग हमारी ओर मैत्रीपूर्ण मुस्कराते देखते हैं। अगर किसी परेशानी में हो, तो वे लोग हमारी मदद करने आगे आते हैं। मसलन् हमारे लिए सामान ले जाना और मार्ग बताना इत्यादि। मुझे लगता है कि भारतीय जनता बहुत मैत्रीपूर्ण और मिलनसार है।"
भारत की यात्रा पर गए चीनी युवा प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों की नज़र में भारतीय लोग बहुत मेहमाननवाज हैं। विभिन्न स्थलों की यात्रा के दौरान स्थानीय लोग स्वादिष्ट भोजन और पकवान खिलाते हैं और गाते नाचते हुए अपनी जातीय रीति रिवाज़ दिखाते हैं। पेइचिंग के शी छाहाई खेल स्कूल के विद्यार्थी छन रूलुंग को लगता है कि भारतीय लोगों का जीवन बहुत आरामदेह ही नहीं, सुखमय भी है। उसने कहा:
"मुझे लगता है कि भारत बहुत अच्छा देश है। यहां की जनता का जीवन भी खुशहाल है, बहुत आरामदेह व सुविधापूर्ण। याद है कि यहां आने के समय मैंने पहली बार देखा कि कई लोग घास के मैदान पर बैठे आराम से बातें करते हैं और ताश खेलते हैं। लगता है कि वे लोग एक बड़े परिवार के सदस्य हों। विशेष कर यहां के कुत्ता भी घास के मैदान पर लेटते हैं। उन्हें देखकर मैंने सोचा कि यहां के जानवर भी इतने आरामदेह जीवन बिता रहे हैं, तो मानव जाति का जीवन तो क्या कहना। सच कहो, तो मुझे भारत के प्रति बहुत अच्छा लगता है।"
वास्तव में मौजूदा भारत यात्रा का पेइचिंग शी छाहाई खेल स्कूल के विद्यार्थी छन रूलुंग के लिए विशेष महत्व हुआ है। उस की 18 वर्ष की जन्मतिथि दक्षिण भारत के समुद्र तटीय शहर त्रिवेन्द्रम में मनाई गई थी। भारत की यात्रा करने वाले युवा प्रतिनिधि मंडल के बड़ी बहनों, बड़े भाइयों और प्रतिनिधि मंडल के साथ भारतीय दोस्तों ने उसे एक अविस्मरणीय जन्मदिन की पार्टी दी। भारतीय दोस्तों ने हिन्दी व मलयालम भाषा में उसे जन्मदिवस की बधाई दी और सब लोगों ने एक साथ ऊंची आवाज़ में हेप्पी बर्थडे गीत गाया। त्रिवेन्द्रम के हॉटल में भारतीय वेटरों ने बर्थडे पार्टी में छन रूलुंग के लिए विशेष तौर पर चॉकलेट केक तैयार किया। भारतीय मित्रों व चीनी बहनों व भाइयों की शुभकामनाओं में छन रूलुंग ने एक विशेष 18 वर्ष का जन्मदिन मनाया। हर बार इसकी चर्चा में छन रूलुंग तो बहुत भाववविभोर हुआ करता है। उसने कहा कि प्रतिनिधि मंडल में सबसे छोटे युवा प्रतिनिधि के रूप में उसे बहुत ज्यादा प्यार मिला है। उस का कहना है:
"सुन्दर समुद्र तटीय शहर त्रिवेन्द्रम में मैं ने अपना 18 वर्ष का जन्मदिन बिताया। भारतीय मित्रों व चीनी युवा प्रतिनिधि मंडल के बड़े बहन भाइयों ने इसे मनाने के लिए विशेष तौर पर बर्थडे पार्टी आयोजित की। इसके प्रति मेरा गहरा एहसास हुआ है, मैं बहुत प्रभावित हुआ हूं और बहुत अच्छा लगता है। मन की बातें कहूं, तो जिन्दगी भर मैं इसे नहीं भूल सकता।"
भारतीय लोगों की सदभावना व मैत्री का एहसास करने के साथ-साथ चीनी युवा लोगों को उनकी ईमानदारी व सादगी का भी महसूस हुआ है। पेइचिंग के देहांगथांग सांस्कृतिक व्यवसाय ग्रुप के बोर्ड अध्यक्ष थांग युनखे के पास इसके बारे में समृति की एक असाधारण कहानी है।
भारत की यात्रा के दौरान उन्होंने अपनी पत्नि के लिए एक बहुमूल्य साड़ी का कपड़ा खरीदा। चीन में साड़ी तथा उसकी ब्लाउज़ बनाने वाला टेलर नहीं मिलता है। इस तरह थांग युनखे को भारत में साड़ी के कपड़े को साड़ी बनाना है। लेकिन यात्रा की व्यस्त समय सूची है और खाली समय नहीं मिल सकता। स्वदेश लौटने के लिए सिर्फ दो दिन बाकी है, थांग युनखे हॉटल के आसपास एक ओटो-रिक्शा वाले को बुलाकर टेलर के यहां गए। बिलकुल खाली समय न मिलने के कारण उन्होंने टेलर शॉप से हॉटल तक आने जाने का पूरा किराया ओटो रिक्शा वाले को देकर उससे अपनी साड़ी वापस लाने का फैसला किया। लेकिन दोस्तों ने थांग को समझाया कि होशियार रहें। क्योंकि कई हज़ार रूपये की साड़ी ओटो रिक्शा वाले के लिए मूल्यवान चीज़ भी है। अगर वह टेलर के यहां साड़ी लाने के बाद हॉटल वापस नहीं आता, तो भारत में अपने ठहरने के लिए सिर्फ एक दो दिन बाकी होने की वजह से उसे ढूंढ़ पाना असंभव है। लेकिन उस ओटो रिक्शा वाले के साथ कई बार के संपर्क और भारत यात्रा के दौरान भारतियों के प्रति दिन ब दिन बढ़ते रहे विश्वास के आधार पर थांग युनखे ने अपने फैसले को नहीं बदला। बाद में उसी ओटो रिक्शा वाले ने ठीक समय पर उनके लिए साड़ी वापस लायी और उन से टिप भी नहीं मांगी। भारत में ठहरने के अंतिम दो दिन के दौरान हॉटल से आने जाने के वक्त जब वह थांग युनखे से मिला, तो हमेशा मुसकराते हुए उत्साह के साथ उनसे नमस्कार कहता रहा। इस कहानी की चर्चा में पेइचिंग देहांगथांग सांस्कृतिक व्यवसाय ग्रुप के बोर्ड अध्यक्ष थांग युनखे ने कहा:
"मुझे इस ओटो रिक्शा वाले को बहुत मैत्रीपूर्ण लगता है। वह जिम्मेदार ही नहीं, दोस्ताना भी है। कई दिनों की भारत यात्रा के बाद मुझे लगता है कि भारतीय लोग हमारे साथ अच्छे व्यवहार करते हैं। हर दिन भारतियों के प्रति हमारी समझ बढ़ती है और सदभावना व विश्वास भी मज़बूत होता गया है।"
थांग युनखे का विचार है कि दूसरे लोगों पर विश्वास करने से ही सची दोस्ती प्राप्त हो सकती है। आदान प्रदान से पारस्परिक समझ पैदा होगी और आपस में संपर्क के जरिए मैत्री कायम होगी। चीन व भारत के बीच का संबंध भी ऐसा ही है। चीनी युवा प्रतिनिधि तू यूबो ने इस प्रकार कहा:
"चीन व भारत के बीच इस प्रकार वाली युवाओं की आवाजाही जारी रखना चाहिए, जिस से हमारे दोनों देशों की मैत्री बढ़ेगी और दोनों देशों के युवाओं के बीच समझ मज़बूत होगी। चाहे भारतीय युवा हमारे देश की यात्रा पर आते हो, या हम चीनी युवा लोग भारत का दौरा करने जाते हो, ज्यादा से ज्यादा संपर्क व आवाजाही से द्विपक्षीय संबंध जरूर मज़बूत होगा। भारत की एक बार फिर यात्रा करने की मेरी तीव्र अभिलाषा है। क्योंकि यहां के लोग अच्छे हैं और प्राकृतिक दृश्य बहुत सुन्दर है।"