न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में, मैं हेमा कृपलानी आप सब का हार्दिक स्वागत करती हूँ। दोस्तों, सर्दियों का मौसम यानि सेहत बनाने का मौसम, सेहत का पूरा ध्यान रखने का मौसम, गुलाबी-गुलाबी सर्दी में चटख रंग के कपड़े पहनने का मौसम, मुँगफली-चिक्की खाने का मौसम, गर्म-गर्म अदरक वाली चाय का मौसम, आंगन में बैठ धूप सेंकते हुए सारे मौहल्ले की खबर रखने का मौसम। वाह........जीवन के कई खूबसूरत सालों तक सर्दी का यही मतलब होता था मेरे जैसे कई भारतीयों के लिए जो उत्तर भारत से हैं और अब यहाँ बीजिंग में बस गए हैं। यहाँ की भयानक सर्दी ने सर्दी की परिभाषा ही बदल दी है। यहाँ की सर्दी का मतलब केवल दाँतों का किटकिटाना नहीं बल्कि शरीर को चीरती सर्द-रूखी हवाएँ, हड्डियों तक को जो दहला दें ऐसी चिलिंग सर्दी। स्वेटर, शॉल तक सीमित होने वाली सर्दियाँ यहाँ थर्मल, स्वेटर, कोट, जैकेट, डक फैदर यानि डाउन जैकेट, मोटे-मोटे दस्ताने, टोपियाँ, लम्बे-लम्बे जूते, फेस मास्क, मफ्लर ...........उफ लिस्ट इतनी लम्बी हैं और बाहर जाने से पहले इतने कपड़ों की परतें चढ़ानी पड़ती कि लगता है अंतरिक्ष की यात्रा पर जा रहे हैं या जंग लड़ने। लेकिन मज़ाल है कि आप इतने कपड़ों के हथियारों के साथ भी बीजिंग की सर्दी के साथ जंग में जीत पाएँ। सवाल ही नहीं उठता। बाहर निकलते ही बचने की जगह ढ़ूँढ़ना शुरु कर देते हैं ताकि खुद को ठंडी-सर्द हवाओं से बचा सकें। सर्दियों में बड़े तो बड़े छोटे बच्चे भी कुछ कम नहीं दिखते इतने मोटे-मोटे जैकेट, टोपियाँ पहन इतने क्यूट और चब्बी-चब्बी, मोटे-मोटे दिखते हैं कि बस पूछो मत। जहाँ कहीं नज़र घुमाकर देख लिजिए हर कोई कपड़ों की चलती-फिरती दुकान नज़र आएगा - फैशन का एक नया रूप दिखाते हुए। हममम..........सर्दियाँ में फैशन का एक नया, अनोखा रंग-रूप दिखता है। चाहे वे स्वेटर के अलग-अलग स्टाइल हो, जैकेटस के साइज़ हो, टोपियों के तो क्या कहने कहीं नकली चोटियाँ बनी हैं तो कहीं खरगोश के कान, भालू के बाल हैं तो शेर की आँखें। बूट्स.............ओह मॉय गॉड चाइनीस लड़कियों को बूट्स से मौहब्बत हैं। बेपनाह मौहब्बत। घुटनों तक लम्बे-लम्बे बूट्स, हर रंग में, स्टाइल में पहने दिखती हैं। आजकल तो यहाँ पर सुनहरी सीपियों वाले बूट्स भी दिख रहे हैं। पतले-पतले स्लैक्स पहनिए और फिर चढ़ाइए अपने पैरों में बूट्स। इतना करके अभी दिल नहीं भरा था कि कुछ दिन पहले ही रात के अंधेरे में मेरी नज़र किसी के पैरों पर पड़ी और जो मैंने देखा उसे देख पहले तो मैं दहल गई और उनके चेहरे को देख मैं मुस्कुराई क्योंकि दिल से सहसा ही आवाज़ निकली, ये है चीन मेरी जान। चलिए, आपको बताती हूँ मैंने क्या देखा रात के अंधेरे में मेरे सामने अचानक भालू के पैर उसके नुकीले पंजें थे और उसकी खाल के रंग और बालों से हूबहू मिलता-जुलता घुटनों तक लम्बा बूटस पहने एक सुंदर-सी चाइनीस लड़की जिसने भालू के मुँह जैसी टोपी भी पहन रखी थी। बाइगॉड अगर असली भालू भी यह देखता तो कहता- हाय, कुदरत ने मुझे भी ऐसा सुंदर चेहरा दिया होता तो मैं भालू नहीं कुछ और ही कहलाता। वैसे फैशन के नाम पर हमने जानवरों को भी नहीं छोड़ा ना। चलिए, ये तो रही फैशन की बातें। अब अगर सर्दी इतनी भयानक है तो जाहिर–सी बात है कि खान-पान पर भी इसका असर होगा। हम जैसे देसी लोग तो अपने देसी नुस्खें ही अपनाते हैं- गुड़, अजवाइन, सूखे मेवे अच्छी मात्रा में लेते हैं और अगर यहां के लोगों की बात करें तो वे ग्रीन टी, पोर्क, रेड मीट, फलों में संतरे, नाशपाती का सेवन ज्यादा करते हैं। गुनगुना पानी बहुत पीते हैं क्योंकि सर्दियों में चलने वाली सर्द हवाओं से डरायनिस बहुत ज्यादा बढ़ जाती है इसलिए शरीर में पानी की कमी न हो पानी बहुत ज्यादा पीते हैं। अपनी रूखी-सूखी त्वचा की नमी बनाए रखने के लिए बॉडी क्रीम, लोशन तो यहाँ किलो के भाव में प्रयोग में लाए जाते हैं। आप हैरान हो रहे होंगे की सर्दियों के बारे में इतनी बातें कोई कैसे कर सकता है लेकिन जनाब 6-7 महीनों तक चलने वाली इतनी लम्बी तथा भयानक सर्दी का सामना करने के लिए तैयारी भी तो पुख्ता होनी चाहिए। यहाँ बीजिंग में सर्दियों में हर जगह घर, दफ्तर, बाज़ारों में हीटिंग की जाती है यानि जब तक आप भीतर है आपको ठंड का एहसास तक नहीं होता और जब आप बाहर निकलते हैं तो इंतज़ार कर रही होता हैं ठंडी हवाएँ आप से लड़ने को तैयार होती हैं मानो कह रही हो आजा बेटा देख लूँगी तुझे भी। लेकिन एक बात है चाहे कितनी भी सर्दियाँ हो काम में कभी कोई बाधा नहीं आती, रोज़मर्रा का जीवन सामान्य चलता रहता है। कभी कोई सर्दी का बहाना नहीं बनाता। दुकानों के दरवाज़ों पर मोटे-मोटे गद्देदार परदे लगाए जाते हैं, साइकिलों-मोटरसाइकिलों के हैंडल पर मोटे-मोटे दस्ताने लगाएँ जाते हैं ताकि वाहन चलाते समय चालक के हाथ जम न जाएँ। जमने से एक बात और याद आई सर्दियों में फ्रिज का इस्तेमाल बहुत कम होता है, घर की बॉलकनी या कोई खुली जगह जहाँ हीटिंग ना हो वहाँ लोग अपने फल, सब्जियाँ या दूसरा फ्रिज में रखने वाला सामान आराम से रख सकते हैं। खराब होने का कोई खतरा नहीं। अरे भई, जब बाहर का तापमान -15 तक जाता है तो फ्रिज की क्या मजाल उसके सामने वह सामान ज्यादा ठंडा कर सके। जब ठंड हद से ज्यादा बढ़ जाती है तो उन दिनों रास्ते पर चलते हुए आप किसी को पहचान भी नहीं सकते क्योंकि केवल आँखें दिखती है बाकि चेहरा ढका हुआ होता है। इसका एक और फायदा होता है अगर किसी से बचकर निकला हो तो कोई आपको पहचान नहीं सकता और अगर आप किसी अप्रिय व्यक्ति से सॉरी बुलवाना चाहते हैं तो बिंदास उनके कंधे से टकराइए और देखिए वो आपको सॉरी कहेंगे। देखा है न फायदा सर्दियों का वैसे मैं मज़ाक कर रही हूँ। इसे सीरीयसली मत लिजिए।
दोस्तों, क्या आप जानते हैं इतनी लम्बी सर्दियाँ, छोटे दिन और लम्बी रातें लेकर आती हैं अपने साथ बीमारियाँ, डिप्रैशन और अवसाद(स्ट्रेस)। इसे विनटर ब्लूस कहते हैं अंग्रेजी में। कुछ लोग तो इनसे इतना ज्यादा प्रभावित होते हैं कि जिसे मेडिकल टर्म में seasonal affective disorder यानि SAD कहते हैं। मतलब वो लोग जिन्हें इस मौसम में ज़रूरत से ज्यादा उदासीनता घेर लेती है। इस तरह के रोग केवल सर्दियों में होते हैं जब सूरज की रोशनी कम होने से शरीर में भावनात्मक बदलाव होने लगते हैं जिसकी वजह से डिप्रैशन होता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर लोगों को व्यायाम करने की सलाह देते हैं ताकि वे अपने विनटर ब्लूस से बाहर आ सकें और अवसाद(स्ट्रेस) को मैनेज करें। तीन हफ्ते व्यायाम करने के बाद आपके दिमाग की केमेस्ट्री में सुधार होने लगता है। SAD का पहला इलाज लाइट थैरेपी से किया जाता हैं जहाँ हर रोज़ घर में पीले बल्बों को जलाकर इतनी तेज़ रोशनी करें ताकि आपको गर्म मौसम का एहसास होने लगे। कुछ हर्बल दवाएँ भी दी जाती हैं। हांलाकि, इस मौसम में विटामिन डी का स्तर सब में कम होता है। लेकिन विनटर ब्लूस से लड़ने का सबसे बेहतर तरीका है कि आप ज्यादा से ज्यादा एक्टीव रहें, संतुलित खाना खाएँ और फिर देखिए कैसे हँसी-खुशी से निकलता है सर्दियों का मौसम। तो दोस्तों, आज हमने अपडेट कर दिया आपको बीजिंग की सर्दियों से अब आपको अपने यहाँ का मौसम और भी सुहावना और प्यारा लग रहा होगा और आप सोच रहे होंगे कि हम तो एवंई अपने यहां के मौसम के बारे में शिकायत करते रहते हैं। तो आप लिजिए मज़े वहाँ के मौसम के और यहाँ हम लेते हैं इस मौसम के मज़े।
श्रोताओ, आपको हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम का यह क्रम कैसा लगा। हम आशा करते हैं कि आपको पसंद आया होगा। आप अपनी राय व सुझाव हमें ज़रूर लिख कर भेजें, ताकि हमें इस कार्यक्रम को और भी बेहतर बनाने में मदद मिल सकें। क्योंकि हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम आप से है, आप के लिए है, आप पर है। इसी के साथ हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। आप नोट करें हमारा ई-मेल पताः hindi@cri.com.cn । आप हमें इस पते पर पत्र भी लिख कर भेज सकते हैं। हमारा पता हैः हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पी .ओ. बॉक्स 4216, सी .आर .आई.—7, पेइचिंग, चीन , पिन कोड 100040 । हमारा नई दिल्ली का पता हैः सी .आर .आई ब्यूरो, फस्ट फ्लॉर, A—6/4 वसंत विहार, नई दिल्ली, 110057 । श्रोताओ, हमें ज़रूर लिखयेगा। अच्छा, इसी के साथ मैं हेमा कृपलानी आप से विदा लेती हूँ इस वादे के साथ कि अगले हफ्ते फिर मिलेंगे।
तब तक प्रसन्न रहें, स्वस्थ रहें। नमस्कार