न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में, मैं हेमा कृपलानी आप सब का हार्दिक स्वागत करती हूँ। दोस्तों, स्ट्रेस या तनाव आधुनिक समाज में एक बहुप्रचलित मानसिक रोग की श्रेणी में आता है।संभवतः समय के साथ बढ़ते घरेलू विवाद, आपसी मतभेद, कार्य की व्यस्तता, दूसरों से आगे निकलने की होड़, अपने मनोनुकूल कार्य का न होना, दफ्तर में अपने से ऊपर बैठे अधिकारी द्वारा तिरस्कृत किया जाना, बढ़ते तनाव व गलत संगत की वजह से किसी नशे का आदी हो जाना, बदलते समय के अनुरूप अपनी सोच में बदलाव न लाना, लंबे समय से किसी बीमारी से पीड़ित रहना तथा सबसे महत्वपूर्ण कारण अपने अंदर की प्रतिभा तथा क्षमता को नजरअंदाज कर अपने आपको दूसरों से हीन समझना स्ट्रेस के मुख्य कारणों में से है।बड़े तो बड़े, बच्चे तथा युवा भी तेजी से इस रोग का शिकार हो रहे हैं। पढ़ाई का अत्यधिक बोझ, घर पर होमवर्क का टेंशन, माता-पिता द्वारा बच्चे को स्कूल में कम अंक मिलने पर डाँटना, बच्चों को अपनी रुचि के अनुरूप कार्य करने से रोकना आदि मुख्य कारण हैं। अंततः कारण अनेक पर बीमारी एक यानी स्ट्रेस-तनाव। तो क्या किया जाए ये तो बिल्कुल गले की हड्डी की तरह बन गया है न निगला जाए न उगला जाए। समझदारी तो यही कहती है कि हम सब को इसे मैनेज कर, अवाइड करना सीख लेना चाहिए। तो जैसा कि आप को याद होगा हम पिछले हफ्ते बात कर रहे थे, हमारी एक खास मेहमान डॉ.अरुणा ब्रूटा जी से तो आज अपनी बात उनके साथ जारी रखते हुए। डॉ.अरुणा ब्रूटा जी दिल्ली की जानी-मानी साइकॉलॉजिस्ट हैं।
बातचीत....................................................................................................
श्रोताओं, आपको हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम का यह क्रम कैसा लगा। हम आशा करते हैं कि आपको पसंद आया होगा। आप अपनी राय व सुझाव हमें ज़रूर लिख कर भेजें, ताकि हमें इस कार्यक्रम को और भी बेहतर बनाने में मदद मिल सकें। क्योंकि हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम आप से है, आप के लिए है, आप पर है। इसी के साथ हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। आप नोट करें हमारा ई-मेल पताः hindi@cri.com.cn । आप हमें इस पते पर पत्र भी लिख कर भेज सकते हैं। हमारा पता हैः हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पी .ओ. बॉक्स 4216, सी .आर .आई.—7, पेइचिंग, चीन , पिन कोड 100040 । हमारा नई दिल्ली का पता हैः सी .आर .आई ब्यूरो, फस्ट फ्लॉर, A—6/4 वसंत विहार, नई दिल्ली, 110057 । श्रोताओ, हमें ज़रूर लिखयेगा। अच्छा, इसी के साथ मैं हेमा कृपलानी आप से विदा लेती हूँ इस वादे के साथ कि अगले हफ्ते फिर मिलेंगे।
तब तक प्रसन्न रहें, स्वस्थ रहें। नमस्कार